शुक्रवार, अगस्त 05, 2005

गाँधी जी और कम्प्यूटर

पिछले दिनों इटली की टेलीफोन कम्पनी "टेलीकोम" का यहाँ के टेलीविजन पर नया विज्ञापन आया जिसने कुछ हलचल सी मचा दी है और उसके बारे में बहुत सी बहसे हुई हैं.

विज्ञापन के शुरु का दृश्य है कि गाँधी जी धीरे धीरे चल कर अपनी कुटिया की ओर जा रहे हैं. कुटिया में वह पालथी मार कर बैठ जाते हैं और बोलना शुरु करते हैं.

गाँधी जी के सामने एक वेबकैम उनकी वीडियो तस्वीर ले कर उसे सारी दुनिया में दिखा रहा है. फिर दिखाते हैं कि सारी दुनिया में लोग गाँधी जी की बात को सुन और देख रहे हैं. न्यू योर्क और क्रैमलिन में विशालकाय पर्दों पर, इटली और चीन में मोबाईल टेलीफोन पर, अफ्रीका में रेगिस्तान में एक कम्प्यूटर पर. विज्ञापन के अंत में यह वाक्य उभरते हैं "अगर सारी दुनिया ने यह संदेश सुना होता तो आज यह दुनिया कैसी होती ?"

इस विज्ञापन में गाँधी जी को अंग्रेज़ी में बोलते दिखाया गया हैं. 2 अप्रैल 1947 को दिल्ली में दिया गये उनका यह भाषण "एशिया में आपसी संबध" नाम की अंतरराष्ट्रीय सभा में दिया गया था. जो अंश विज्ञपन में दिया गया है उसमें गाँधी जी कहते हैं "अगर आप दुनिया को कोई संदेश देना चाहते हैं तो प्रेम का संदेश दीजिये, सत्य का संदेश दीजिये. मैं आप के दिलों से माँग कर रहा हूँ. अपने दिलों की धड़कनों को मेरे शब्दों के साथ एक हो कर बजने दीजिये. एक मित्र ने मुझसे पूछा कि क्या मैं "एक दुनिया" की बात में विश्वास करता हूँ? यह कैसे हो सकता है कि मैं "एक दुनिया" के सिद्धांत से अलग कुछ और सोचूँ? मैं "एक दुनिया" में विश्वास करता हूँ."

विज्ञापन के बारे में कई सारी बहसे हो रही हैं.

एक बहस तो यह कि अगर गाँधी जी का संदेश अहिंसा का संदेश था तो फिर इस विज्ञापन को बनाने का काम होलीवुड के प्रसिद्ध निर्देशक स्पाईक ली को क्यों सौंपा गया जिन्होंने "मैलकोम एक्स" जैसी हिंसावादी फिल्में बनायी हैं?

दूसरी बहस यह है कि गाँधी जी तो उपभोक्तावादी (कोनस्यूमिस्टिक) संस्कृति के खिलाफ़ थे. इसलिए उनकी छवि और शब्दों को एक विज्ञापन में कम्प्यूटर और टेलीफोन बेचने के लिए उपयोग करना उनका अपमान करना हैं.

तीसरी बहस है इस विज्ञापन के संदेश की, जो कहता है कि अगर इस दुनिया के लोगों ने गाँधी जी की बातें सुनी होती तो शायद आज यह दुनिया भिन्न होती. लोग कहते हैं कि अगर गाँधी जी को स्वयं बन्दूक की गोली से मरना पड़ा तो उनके शब्द सुनने मात्र से दुनिया में हो रही हिंसा को कैसे रुकती?

इस बहस में आप कुछ भी कहिये या सोचिये, यह तो मानना ही पड़ेगा कि यह विज्ञापन बहुत सुंदर है. अगर आप इसे देखना चाहें तो यहाँ देख सकते हैं.



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1 टिप्पणी:

  1. विज्ञापन देखते हैं। बहस कुछ अधिक गलत तो नहीं लगती। विज्ञापन है ही ऐसी चीज।

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