tag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post146051360187060813..comments2024-03-06T10:19:09.646+01:00Comments on जो न कह सके: यादों की पगडँडियाँSunil Deepakhttp://www.blogger.com/profile/05781674474022699458noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-7518024062035793742012-01-29T15:44:33.415+01:002012-01-29T15:44:33.415+01:00शायद जगहें नहीं बदलती, हम बदल जाते हैं और यही बात ...शायद जगहें नहीं बदलती, हम बदल जाते हैं और यही बात है जो दिल को चुभती हो?Sunil Deepakhttps://www.blogger.com/profile/05781674474022699458noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-66380543598424094472012-01-29T13:52:57.024+01:002012-01-29T13:52:57.024+01:00इतने अरसे के बाद वहां लौटने पर आपका मन उदास हो गया...इतने अरसे के बाद वहां लौटने पर आपका मन उदास हो गया. मैं अपने अनुभव से कह सकता हूँ कि ऐसा अक्सर ही होता है. <br />लेकिन यही तो सच की कीमत है :(निशांत मिश्र - Nishant Mishrahttps://www.blogger.com/profile/08126146331802512127noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-9287514385224034022012-01-28T17:58:23.240+01:002012-01-28T17:58:23.240+01:00देवेन्द्र जी आप की इतनी सुन्दर टिप्पणी से मैं धन्य...देवेन्द्र जी आप की इतनी सुन्दर टिप्पणी से मैं धन्य हुआ, आप ने थोड़े से शब्दों में कविता लिख दी!Sunil Deepakhttps://www.blogger.com/profile/05781674474022699458noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-25951484796702615212012-01-28T17:55:38.093+01:002012-01-28T17:55:38.093+01:00अंतिम पैराग्राफ पढ़कर तो दिल से आह! ही निकलती है। ...अंतिम पैराग्राफ पढ़कर तो दिल से आह! ही निकलती है। <br /><br />सही है..यादों को दिल के मर्तबान में सहेज कर रख देना चाहिए। बुझी राख को कुरेदने से से कुछ भी हासिल होने वाला नहीं सिवाय इस अनुभूति के कि अब नहीं शेष बची है एक चिंगारी भी।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-14645569303721085692012-01-28T14:27:40.566+01:002012-01-28T14:27:40.566+01:00धन्यवाद संगीता जी. बड़े हो कर जहाँ रहे हों उसकी उत...धन्यवाद संगीता जी. बड़े हो कर जहाँ रहे हों उसकी उतनी याद नहीं आती जितनी बचपन और किशोरावस्था की जगहों और मित्रों की.Sunil Deepakhttps://www.blogger.com/profile/05781674474022699458noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-90024124614671772722012-01-28T14:23:20.512+01:002012-01-28T14:23:20.512+01:00बचपन की यादें सुखद होती हैं .. मन पीछे भागता है पर...बचपन की यादें सुखद होती हैं .. मन पीछे भागता है पर वक्त निकल चुका होता है ..बहुत कुछ बदल गया होता है .. आपकी यादों के साथ मैं भी अपने कॉलेज के दिनों में घूम आई ..संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-24785018118710066182012-01-27T21:10:08.001+01:002012-01-27T21:10:08.001+01:00आप सब को इन टिप्पणियों के लिए हार्दिक धन्यवाद.
पु...आप सब को इन टिप्पणियों के लिए हार्दिक धन्यवाद.<br /><br />पुरानी यादों के पीछे भागने का कोई फायदा नहीं, यह तार्किक तौर पर तो अच्छी तरह समझता हूँ लेकिन शायद दिल के कौनों में कहीं बचपन के उन दिनों की आत्मियता को फ़िर से पा सकने का लालच छुपा ही रहता है, जो तर्क नहीं सुनता केवल आशा करना जानता है! :)Sunil Deepakhttps://www.blogger.com/profile/05781674474022699458noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-50241438729731824182012-01-27T18:39:52.459+01:002012-01-27T18:39:52.459+01:00बड़े करीने से सहेजी हुई, आज से बेलाग मुकाबिल यादें...बड़े करीने से सहेजी हुई, आज से बेलाग मुकाबिल यादें.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-78402804398743579822012-01-27T14:28:45.587+01:002012-01-27T14:28:45.587+01:00बहुत सुन्दर रचना। धन्यवाद।बहुत सुन्दर रचना। धन्यवाद।Patali-The-Villagehttps://www.blogger.com/profile/08855726404095683355noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-17740950576868180492012-01-27T11:29:22.030+01:002012-01-27T11:29:22.030+01:00मैंने कई बार महसूस किया है अतीत में लौटना सदा सुखद...मैंने कई बार महसूस किया है अतीत में लौटना सदा सुखद नहीं होता, समय बीतने के साथ परिस्थितिया भी बदल जाती है ...पर हमारे मन में वही बालपन की यादें बनी रहती है ..उन्हें वर्तमान में नहीं आजमाना चाहिए ..sonalhttps://www.blogger.com/profile/03825288197884855464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-71063209476992139922012-01-27T10:02:35.551+01:002012-01-27T10:02:35.551+01:00har 12saal ke baad bahut kuch badal jaata hai wah ...har 12saal ke baad bahut kuch badal jaata hai wah to ek school hai...<br /><br />purani yaden dil ko bahut sakun deti hai...<br /><br />jai baba banaras....Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/07499570337873604719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-48076273440256384382012-01-27T09:30:38.536+01:002012-01-27T09:30:38.536+01:00मैं भी अपने स्कूल लगभग बीस साल बाद गया था महज़ एक ...मैं भी अपने स्कूल लगभग बीस साल बाद गया था महज़ एक दोस्त से मिलने दोस्त तो विसे ही था पर स्कूल बदल गया उस वृत्तांत को ब्लॉग पर साझा किया था मौका लगे तो पढियेगा एक और बात समानता की कोणार्क पहले आप गए पीछे मैं गया मैं अपने स्कूल साल 2010 में गया आप भी गए मेरे बाद लगता है कुछ टेलीपैथी टाईप का मामला हैMukulhttps://www.blogger.com/profile/17912641611101930410noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-52725900948738150792012-01-27T09:00:42.950+01:002012-01-27T09:00:42.950+01:00यादों में उतराने का आनन्द ही कुछ और है।यादों में उतराने का आनन्द ही कुछ और है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-64986799888418024602012-01-27T08:50:50.264+01:002012-01-27T08:50:50.264+01:00आपकी पोस्ट देखकर ही मुझे लगा था कि अन्त वैसा ही हो...आपकी पोस्ट देखकर ही मुझे लगा था कि अन्त वैसा ही होगा जैसा पढ़ने पर पाया। यादों का संसार आज के सच के संसार से बहुत अलग होता है। यादों के लोग, स्थान सब अलग होते हैं। कुछ वैसे ही जैसे हमारी कल्पना में लोग, लेखक, कलाकार आदि। किन्तु कल्पना और सत्य में भी वही अन्तर होता है जो यादों और आज के यथार्थ में। प्रायः स्मृति और कल्पना को वर्तमान के यथार्थ से मिलाना स्मृति और कल्पना के सीपिया रंगों में जबरन चटकीले रंग भरने के प्रयास सा होता है।<br />मैं भी लेख पढ़ यादों की पगडँडियों में दूर तक भटक आई।<br />घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-21705411553557626342012-01-27T08:06:08.422+01:002012-01-27T08:06:08.422+01:00वक्त बहुत शक्तिशाली होता है, उसके थपेडों से शायाद ...वक्त बहुत शक्तिशाली होता है, उसके थपेडों से शायाद ही कोई बचा है.. साधुवाद - भावनायों से औत्प्रोत इस पोस्ट के लिए.दीपक बाबाhttps://www.blogger.com/profile/14225710037311600528noreply@blogger.com