tag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post3677005692376251915..comments2024-03-27T06:40:09.006+01:00Comments on जो न कह सके: खोये हुए शब्दSunil Deepakhttp://www.blogger.com/profile/05781674474022699458noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-18385450006124586712011-11-12T22:32:03.209+01:002011-11-12T22:32:03.209+01:00एहसास अपनी भाषा में ही व्यक्त होते हैं!
सुंदर पोस्...एहसास अपनी भाषा में ही व्यक्त होते हैं!<br />सुंदर पोस्ट!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-60767637531541561932011-08-13T04:06:50.383+02:002011-08-13T04:06:50.383+02:00भाषा और शब्द खोने लगते हैं, सच लग रहा है। अपने शब्...भाषा और शब्द खोने लगते हैं, सच लग रहा है। अपने शब्दों को खो देना एक त्रासदी है। शब्द मानव की सबसे बड़ी उपलब्धि है।चंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-8394754246997791572011-08-13T04:04:25.228+02:002011-08-13T04:04:25.228+02:00इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.चंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-1630724133933543332005-07-05T04:47:57.233+02:002005-07-05T04:47:57.233+02:00हिन्दी मे ब्लौग लिखना शुरु किया है तो धीरे धीरे खो...<i>हिन्दी मे ब्लौग लिखना शुरु किया है तो धीरे धीरे खोये हुए शब्द वापस आने लगे हैं.</i><br><br>मुझे भी कुछ ऐसा ही लगा था, कुछ महीने विदेश में था तो वहाँ हिन्दी में बात करते समय भी सीमित शब्दों का ही इस्तेमाल होता था, वहाँ के वातावरण के अनुसार। वापस भारत आ के इतने सारे हिन्दी बोलने वालों से बातचीत करके, वही पुराने, पर अलग अलग शब्द सुन के और फिर बोल के बहुत अच्छा लगा। <br><br>आपने सही कहा कि भाषा सोचने का तरीका व दायरा बदल देती है।आलोकhttp://www.blogger.com/profile/03688535050126301425noreply@blogger.com