tag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post5132480627179144335..comments2024-03-27T06:40:09.006+01:00Comments on जो न कह सके: समयचक्रSunil Deepakhttp://www.blogger.com/profile/05781674474022699458noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-17191823622919244052006-06-19T16:33:59.350+02:002006-06-19T16:33:59.350+02:00वाह सुनील प्रा जी। फट्टे चक्क दिये आपने। इस एक ब्र...वाह सुनील प्रा जी। फट्टे चक्क दिये आपने। इस एक ब्रह्मवाक्य कि "किसके पास फुरसत होगी भविष्य में चक्रडिस्क से धूल झाड़ने की" ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया है। जब अपने पास श्वेत श्याम अलबमों की धूल झाड़ने का वक्त नही तो जो आज यूएसबी ,फायरवायर और मिनीटेप से जूझकर, उनमें घँटो कपाकर तैयार डीवीडी को भविष्य में बाँके बिहारी देंखेगे या एटिक के बाक्स में छोड़ देंगे ? यह प्रश्न अब मथ रहा है मुझको।Atul Arorahttp://www.blogger.com/profile/00089994381073710523noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-87392208815742652652006-06-19T17:43:41.810+02:002006-06-19T17:43:41.810+02:00CD= चक्र-डिस्क ..आप तो 'झेलेबल' वाले फ्यूज...CD= चक्र-डिस्क ..आप तो 'झेलेबल' वाले फ्यूजन से भी आगे निकल गए.<br>बहुत सुंदर चिट्ठा लिखा है. :)eswamihttp://hindini.com/eswaminoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-86162001854001339552006-06-19T21:00:26.580+02:002006-06-19T21:00:26.580+02:00वाह साहब वाह, परिवर्तन प्रकृति का नियम है। दुनिया ...वाह साहब वाह, परिवर्तन प्रकृति का नियम है। दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है और बहुत कम लोग ही आगे क्या होगा ये सोच सकते हैं। सतत् बदलती इस दुनिया में बस आज ही सच है शाश्वत है। हम पूरा जीवन आगे आने वाली पीढी की खुशहाली के लिये सोचते हैं, पर उन्हे इसकी कितनी जरूरत होगी, या जो हम कर रहे हैं, ये उनके काम का होगा भी या नही, ये न हम सोचते हैं और न हमारे पूर्वजों ने सोचा था। यही संसार की नियति है।ई-छायाhttp://www.blogger.com/profile/15074429565158578314noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-88345377507394047082006-06-20T06:54:54.721+02:002006-06-20T06:54:54.721+02:00नई जन-उपयोगी वस्तुएं तथा व्यवहार जीवन का हिस्सा बन...नई जन-उपयोगी वस्तुएं तथा व्यवहार जीवन का हिस्सा बन ही जाते हैं, जो वर्तमान से तालमेल नहीं बिठा पाते वे ही पुरानी बातो के लिए रोते हैं.संजय बेंगाणीnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-68102351927592003152006-06-20T06:54:54.720+02:002006-06-20T06:54:54.720+02:00बिलकुल सही.बिलकुल सही.Pratyakshahttp://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.com