tag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post5951084945541922562..comments2024-03-27T06:40:09.006+01:00Comments on जो न कह सके: बम और जहाज़Sunil Deepakhttp://www.blogger.com/profile/05781674474022699458noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-28029742522081146252014-04-10T11:37:13.811+02:002014-04-10T11:37:13.811+02:00कल 11/04/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://n...कल <b>11/04/2014</b> को आपकी पोस्ट का लिंक होगा <a href="http://nayi-purani-halchal.blogspot.in" rel="nofollow"> http://nayi-purani-halchal.blogspot.in </a> पर <br />धन्यवाद !<br />Yashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-86143728223680964752006-12-07T10:45:12.380+01:002006-12-07T10:45:12.380+01:00मैने भी अभी कुछ दिनों पहले ही "क्लस्टर बम&quo...मैने भी अभी कुछ दिनों पहले ही "क्लस्टर बम" के बारे में जाना था. वह तो खैर मेरी खुद की जिज्ञासा थी जो हथियारों के प्रति है।<br><br>मगर निसन्देह, इस तरह के विनाशक हथियारों का "प्रयोग" अनैतिक है, और किसी भी हाल में इनका विरोध होना ही चाहिये.<br><br>मगर यही तो विडंबना है, जहाँ किसी ताकतवर देश का स्वार्थ उनसे जुड़ गया तो फ़िर तो मुश्किल है कुछ साधारण देशों की गुहार सुनना.<br><br>हथियारों का विरोध वो ही देश करेंगे जो इनको झेल चुके होंगे और इनकी भयावहता से परिचित होंगे, इस्तेमाल करने वाले देशों से कुछ आशा रखना तो....!! शायद मुर्खता ही होगी।विजय वडनेरेhttp://www.blogger.com/profile/17831681213658005534noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-13282182359080004712006-12-07T12:59:26.703+01:002006-12-07T12:59:26.703+01:00मैं तो सम्पुर्ण निर्स्त्रीकरण के पक्ष में हूँ, पर ...मैं तो सम्पुर्ण निर्स्त्रीकरण के पक्ष में हूँ, पर निकट भविष्य में तो इसके आसार कम ही है.<br>इंतजार है उस दिन का जब फौजे मात्र आपदाओं में लोगो की जाने बचने का काम करेगी.संजय बेंगाणीhttp://www.tarakash.com/joglikhinoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-35852732169649615322006-12-08T02:24:21.670+01:002006-12-08T02:24:21.670+01:00"Emirates" ने अपने जहाजों पर मोबाइल फोन ..."Emirates" ने अपने जहाजों पर मोबाइल फोन का प्रयोग शुरू कर दिता है।<br><br>नार्वे की विचारधारा सराहनीय है। अस्त्रों का रखना या ना रखना - यह विचारधारा कई तथ्यों से प्रभावित हो कर पनपती है।<br><br>इन कई तथ्यों में से एक है हमारी (देश) की भैगोलिक स्थिति। <br><br>स्कैडेनिविया के देश मूलत: शान्तिप्रिय देश हैं, उनमें परमाणु अस्त्र विकसित करने की क्षमता तो है लेकिन फिर भी वह ऐसा कर नहीं रहे हैं। कारण है पड़ोसी राष्ट्रों के बीच 'सच्चा' विश्वास।<br><br>इस तरफ़ भारत की भौगोलिक स्थिति देखिये - एक तरफ़ पाकिस्तान है, अफ़गानिस्तान है, चीन है, बांग्ला देश का नाम भी ले ही लिया जाये। किसी को एक दूसरे पर विश्वास नहीं। कश्मीर - अरुणाचल - सिक्किम मुद्दे भी अनगिनत। एक दूसरे को रौंद देने की - अपने अहंकार (और कद) को बढ़ाने की अभिलाषा भी है।<br><br>पारस्परिक विश्वास है नहीं और शायद चाहते हुये भारत के लिये निरस्तीकरण का मार्ग सुलभ या cयावहारिक नहीं रह जाता है।<br><br>इस स्थिति में हथियारों के प्रति भारत का रवैया शायद केवल आत्मरक्षा का ही है - विनाश या विध्वंस फैलाने का नहीं।<br><br>अटल बिहारी जी के शब्दों में - हम इतिहास तो बदल सकते हैं लेकिन भूगोल नहीं।<br><br>एक बात जो उन्होंने नहीं कही कि हम अपना रवैया भी बदल सकते हैं। काश यह रवैया बदले और एशियाई देश, नार्वे की सोच की महज़ तारीफ़ ना करते हुये, उसका अनुसरण भी कर सकें।<br><br>नार्वे की सोच 'मानवता' की सोच है।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-37270729111117339462006-12-30T11:18:47.890+01:002006-12-30T11:18:47.890+01:00इस विषय पर मैं नोर्वे का आंख मूंद कर समर्थन करता ह...इस विषय पर मैं नोर्वे का आंख मूंद कर समर्थन करता हूं।Anil Sinhahttp://www.blogger.com/profile/13340040809737389788noreply@blogger.com