tag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post6481033382472727559..comments2024-03-27T06:40:09.006+01:00Comments on जो न कह सके: भारत की बेटियाँSunil Deepakhttp://www.blogger.com/profile/05781674474022699458noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-18632835858393353282015-09-03T14:19:36.730+02:002015-09-03T14:19:36.730+02:00धन्यवाद वर्षा जी. मैं तो टीवी कम देखता हूँ लेकिन स...धन्यवाद वर्षा जी. मैं तो टीवी कम देखता हूँ लेकिन समाचारों की बात हो तो मुझे भी प्राइवेट चैनलों के चीखने चिल्लाने से दूरदर्शन की शान्य कही बातें बेहतर लगती हैं. लेकिन दूरदर्शन सरकारी समाचारों में विश्वार करता है, निष्पक्ष समाचार वहाँ नहीं मिलते तो टीवी में सही संतुलित समाचारों की कमी है जिसे पूरा करने के लिए ठीक रास्ता नहीं दिखता.Sunil Deepakhttps://www.blogger.com/profile/05781674474022699458noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-2407713519475359872015-09-03T10:22:38.893+02:002015-09-03T10:22:38.893+02:00दूरदर्शन की सरकारी न्यूज़ से उकताकर प्राइवेट चैनल्...दूरदर्शन की सरकारी न्यूज़ से उकताकर प्राइवेट चैनल्स देखने शुरू किये थे पर अब वापस दूरदर्शन पर आ गए हैं! न्यूज़ चैनल्स खबर दिखाते नहीं , खबर को बनाते हैं, अपने दर्शक वर्ग के हिसाब से मसाला मारके। और डॉक्युमेंट्रीज़ भी इसी तरह बनायी जाती हैं। बिकने के हिसाब से। Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-853921113635739542015-04-10T02:05:08.257+02:002015-04-10T02:05:08.257+02:00धन्यवाद नमन. शायद इसी बात को स्वीकार करना कठिन है,...धन्यवाद नमन. शायद इसी बात को स्वीकार करना कठिन है, क्योंकि स्वयं को बदलने का वह रास्ता लम्बा है तथा कठिन है. स्वयं को नहीं बदलो, दूसरों को बदलने की सोचना अधिक आसान है. इसलिए हमारी कोशिश रहती है कि उपदेश व भाषण दे कर दुनिया को बदल दे! Sunil Deepakhttps://www.blogger.com/profile/05781674474022699458noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-2330888641443266962015-04-09T19:55:52.207+02:002015-04-09T19:55:52.207+02:00प्रिय सुनील दीपक जी,
हमारे समाज के पुरुष आइना देख...प्रिय सुनील दीपक जी, <br />हमारे समाज के पुरुष आइना देखना ही नहीं चाहते, और कोई अगर उन्हें आइना दिखाना भी चाहे तो वो नही देखेंगे,,,इंसान को अगर कोई बदलने वाला है तो वो स्वयं है., <br /><br />http://love-you-maa.blogspot.in/Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/10349442176225596871noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-28622632660769009222015-03-31T11:36:44.644+02:002015-03-31T11:36:44.644+02:00दुनिया का यही असूल बना है कि कमज़ोर पर ही दोष डालो...दुनिया का यही असूल बना है कि कमज़ोर पर ही दोष डालो, जिसके साथ कुछ बुरा हुआ हो, उसी से कहो कि उसका दोष है. प्रश्न है कि कौन दिखायेगा हमारे समाज के पुरुषों को आइना ?Sunil Deepakhttps://www.blogger.com/profile/05781674474022699458noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-64640972721574954162015-03-31T11:13:28.538+02:002015-03-31T11:13:28.538+02:00सही बात है...हमारे राजनेता, धर्मगुरु, क्या यही नही...सही बात है...हमारे राजनेता, धर्मगुरु, क्या यही नहीं कहते कि लड़कियों को रात को काम नहीं करना चाहिये, जीन्स नहीं पहननी चाहिये, आदि ? यानि उनकी सोच है कि इस सब की वजह से उनका बलात्कार हुआ. यानि गलती उन्हीं की है, समाधान भी उन्हें ही करना है. <br />जब तक यह सोच नहीं बदलती तब तक कुछ नहीं हो सकता!Jyoti Dehliwalhttps://www.blogger.com/profile/07529225013258741331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-48202559381649767002015-03-31T05:54:55.290+02:002015-03-31T05:54:55.290+02:00धन्यवाद हेमेन्द्र जी तथा कविता जी.
दुनिया बदलनी ह...धन्यवाद हेमेन्द्र जी तथा कविता जी.<br /><br />दुनिया बदलनी हो तो पहले स्वयं को बदलो, यह कहना आसान है, करना कठिन. तब तक बैन करना, फाँसी की सजा माँगना आदि ही अधिक आसान है!Sunil Deepakhttps://www.blogger.com/profile/05781674474022699458noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-90415411394275765692015-03-31T03:02:55.273+02:002015-03-31T03:02:55.273+02:00किसी ने मुझसे कहा था लोग वह चीज़ देखना पढना पसंद कर...किसी ने मुझसे कहा था लोग वह चीज़ देखना पढना पसंद करते हैं जैसे वोह हैं... और इसमें न्यूज़ चैनल्स का भी कोई दोष नहीं दिखाया जा सकता, जिस दिन हम क्वालिटी जर्नलिज्म देखना पढना शुरू कर देंगे शायद उस दिन यह सब बदल जाये... Hemendrahttps://www.blogger.com/profile/00718583913514367312noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-86202056609635702132015-03-30T09:07:45.837+02:002015-03-30T09:07:45.837+02:00क्या हमारी टीवी चैनल भी टीआरपी के चक्कर में चिल्ला...क्या हमारी टीवी चैनल भी टीआरपी के चक्कर में चिल्लाने वाली बहसों, हर बात को ब्राकिन्ग न्यूज़ बनाना, स्केन्डल बनाना जैसी बातों में नहीं व्यस्त रहतीं ? और समाचार पत्रों या चैनलों को दोष देना आसान है पर लाखों करोड़ों लोग उन्हीं चैनलों को देख कर चटकारे लेते हैं. जहाँ गम्भीरता से बात हो रही हो, तथा जटिल समस्याओं के समाधान सोचे खोजे जायें, तो उन्हें कितने लोग देखते हैं ?....<br />...सच तो यही है की जटिल समस्याओं का समाधान निकालने वालों का भारी अकाल हैं देश में .. ....<br />..गंभीर विचारणीय आलेख ..कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.com