tag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post7938653983822369691..comments2024-03-27T06:40:09.006+01:00Comments on जो न कह सके: इज्जत के लिएSunil Deepakhttp://www.blogger.com/profile/05781674474022699458noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-39231032701810013142005-12-17T08:42:34.206+01:002005-12-17T08:42:34.206+01:00सही कह रहे हो सुनील भाई, हमारे दोहरे मापदन्ड है, प...सही कह रहे हो सुनील भाई, हमारे दोहरे मापदन्ड है, पुरुषों के लिये अलग और स्त्रियों के लिये अलग।यदि कोई स्त्री इसमे बराबरी करने की कोशिश करती है तो हमारा समाज उसके चरित्रहीन करार देता है, यदि स्त्री चरित्रहीन करार दी जा सकती है तो पुरुष क्यों नही। लेकिन नही...वो तो उसकी मर्दानगी का प्रतीक है,वो तो चाहे जितनी स्त्रियों के साथ सहवास कर सकता है।समाज का ऐसा दोहरापन, ऊपर से तुर्रा ये कि हम तो स्त्रियों को बराबरी का दर्जा देते है, सम्मान देते है। स्थितियां नही बदली,जब तक विचार नही बदलेंगे, हम नही बदलेंगे,समाज नही बदलेगा।Jitendra Chaudharyhttp://www.blogger.com/profile/07082527004066336464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-47210131560364394822005-12-17T09:43:41.890+01:002005-12-17T09:43:41.890+01:00सुनील जी आपने न केवल सही बात कही है, बल्कि बहुत सह...सुनील जी आपने न केवल सही बात कही है, बल्कि बहुत सही ढ़ंग से कही है। इसे मैं अगली वर्ड फ़ाईल में लगाने वाला हूं।रजनीश मंगलाhttp://www.blogger.com/profile/08365898829052109147noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-83293182154069894152006-01-02T12:05:11.526+01:002006-01-02T12:05:11.526+01:00खामोश पानी के विषय में सुना है लेकिन देखने का अवसर...खामोश पानी के विषय में सुना है लेकिन देखने का अवसर नहीं मिला। उद्वेलित करने वाली फिल्म प्रतीत होती है।मसिजीवीhttp://www.blogger.com/profile/14926368545665547762noreply@blogger.com