tag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post9132527561358180197..comments2024-03-27T06:40:09.006+01:00Comments on जो न कह सके: मेरे प्रिय कछुएSunil Deepakhttp://www.blogger.com/profile/05781674474022699458noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-89470864224290009262006-08-18T04:56:39.666+02:002006-08-18T04:56:39.666+02:00हाँ सुनील जी, मैंने लोगों को गणेश, नाना तरह के देश...हाँ सुनील जी, मैंने लोगों को गणेश, नाना तरह के देश विदेश के मग, यहाँ तक की बटन भी कलेक्ट करते देखा है। कछुये का पहली बार सुना। सुंदर कलेक्शन है।मानसीhttp://www.blogger.com/profile/05856256075886086146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-50452770221859594342006-08-18T06:04:59.646+02:002006-08-18T06:04:59.646+02:00"कमाल का कछुआ कलेक्शन" हैं.आगे बढ़ा पाते ..."कमाल का कछुआ कलेक्शन" हैं.<br>आगे बढ़ा पाते तो अच्छा संग्रह होता. कम से कम जो हैं वे तो गल्ती से कम न हो ऐसी प्रार्थना करूंगा. :)संजय बेंगाणीhttp://www.tarakash.com/joglikhinoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-44439104141058762442006-08-18T06:19:08.620+02:002006-08-18T06:19:08.620+02:00सुंदर कछुये !एनिड बलाईटन की किकी, टिम्मी और बस्टर ...सुंदर कछुये !<br><br>एनिड बलाईटन की किकी, टिम्मी और बस्टर मुझे भी बहुत भाते थे ।Pratyakshahttp://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-5021380273587438032006-08-18T19:37:32.870+02:002006-08-18T19:37:32.870+02:00कछुए बहुत प्यारे लगते हैं. काश मैं कछुआ पाल सकता. ...कछुए बहुत प्यारे लगते हैं. काश मैं कछुआ पाल सकता. आपके बचपन की यादें पढ़कर मेरी मुराद पूरी हो गई. एक बार मैंने आपसे निवेदन किया था इसी ज़िक्र का. कभी प्रसंगवश उन दिनों का उल्लेख अवश्य कीजिएगा. आपका कलेक्शन और बढ़े इन्हीं कामनाओं के साथ धन्यवाद <br><br>नीरज दीवानAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-24196820116529456172006-08-18T21:41:52.526+02:002006-08-18T21:41:52.526+02:00बड़ा नायाब शौक है, सुनील जी. जिंदा कछुये का शौक तो ...बड़ा नायाब शौक है, सुनील जी. जिंदा कछुये का शौक तो सुना था.मगर यह तो पहली बार देख(फोटो मे) और सुन रहा हूँ.<br>शुभकामनाऎं..<br>समीर लालUdan Tashtarihttp://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-8952656144136578202006-08-20T09:34:57.570+02:002006-08-20T09:34:57.570+02:00सुनील जी,बचपन में, बिर्ला मंदिर के बागों में तो हम...सुनील जी,बचपन में, बिर्ला मंदिर के बागों में तो हम भी बहुत बार खेले है मगर कछुए नहीं ला पाए कभी, हां मगर ये बात तो है कि कछुआ कलैक्शन का अपन ये अंदाज़ ना ही छोड़ें तो अच्छा क्योंकि कछुए और खरगोश की कथा में भी कछुआ निरंतर चलता ही रहा और जीत गया, आपका संग्रह भी हो सकता है कि दुनिया में नायाब हो, और अब जब इतना संग्र्ह बन ही गया है, तो उसे छोड़ना क्या..........जारी रखे इस संग्रह को संभव है, कि विशव में कछुओं का ये अनोखा संगर्ह कल को चर्चित हो जाए..!renu ahujahttp://www.blogger.com/profile/02591828927451096298noreply@blogger.com