tag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post1206339128848871065..comments2024-03-27T06:40:09.006+01:00Comments on जो न कह सके: मानव अधिकारSunil Deepakhttp://www.blogger.com/profile/05781674474022699458noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-83072863048319562012007-02-22T07:50:50.357+01:002007-02-22T07:50:50.357+01:00यह तो सच है कि भारत में मानवाधिकार की संपूर्ण सुरक...यह तो सच है कि भारत में मानवाधिकार की संपूर्ण सुरक्षा कहीं दूर है पर जब भी जम्मू-कश्मीर इत्यादि का नाम आता है तो हमेशा संदेह रहता है कि कहीं सीमाबलों के दैनिक काम को ही ये लोग मानवाधिकार हनन ना बता डांले। भारत में ऐसा होना संभव है यह हम सभी जानते हैं और संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट क्षेत्रिय मानवाधिकार संगंठनो से ही संकलित होती होगी।Ashish Guptahttp://www.blogger.com/profile/09921628437600152113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-13118585187651320902007-02-22T13:14:28.680+01:002007-02-22T13:14:28.680+01:00भारत के संविधान का अनुच्छेद 22(3)(ख)पुलिस को शांति...भारत के संविधान का अनुच्छेद 22(3)(ख)पुलिस को शांतिकाल में भी यह अधिकार देता है कि वह निवारक निरोध कानून (preventive dentention law) के तहत किसी भी व्यक्ति को कोई अपराध करने से पहले ही, केवल संदेह के आधार पर दो महीने तक हिरासत में रख सके और पुलिस उस व्यक्ति को हिरासत में लिए जाने का आधार बताने के लिए भी बाध्य नहीं है। इस दौरान व्यक्ति न्यायालय में अपने मौलिक अधिकारों के हनन की गुहार भी नहीं कर सकता और किसी वकील की कानूनी मदद भी लेने के अधिकार से उसे वंचित किया जा सकता है। <br>पूरी दुनिया में केवल भारत ही एक ऐसा लोकतंत्र है, जिसके संविधान में शांतिकाल के लिए भी ऐसा मानवाधिकार-विरोधी प्रावधान अब भी मौजूद है। पता नहीं, ऐसी क्या मजबूरी है कि अब तक किसी भी सरकार ने भारतीय संविधान में से कलंक के इस धब्बे को हटाने की जरूरत नहीं महसूस की। भारत में इस प्रावधान के दुरुपयोग की अनगिनत शिकायतें मिलती रही हैं, विशेषकर राजनीतिक कारणों से। जबकि सरकार देश की सुरक्षा संबंधी हितों को ध्यान में रखते हुए इस प्रावधान को बरकरार रखने का औचित्य जताती रही है। <br><br>जब तक भारतीय संविधान में यह प्रावधान मौजूद है तब तक देश में मानवाधिकारों को पूरी तरह सुनिश्चित कर पाना संभव नहीं हो सकेगा।Srijan Shilpihttp://www.blogger.com/profile/09572653139404767167noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-65804776732608326302007-02-22T14:59:37.413+01:002007-02-22T14:59:37.413+01:00भारत,कम से कम कैदियों को त्वरित न्याय दे कर व घरेल...भारत,कम से कम कैदियों को त्वरित न्याय दे कर व घरेलू हिंसा पर अंकूश लगा कर अपनी स्थिती को सुधार सकता है.संजय बेंगाणीwww.tarakash.com/joglikhinoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-57061201924387121672007-02-23T03:38:21.857+01:002007-02-23T03:38:21.857+01:00सुनील,इंडीब्लॉगीज़ पर परिणाम देखे, 'उडनतश्तरी&#...सुनील,<br><br>इंडीब्लॉगीज़ पर परिणाम देखे, 'उडनतश्तरी' के साथ 'जो ना कह सके' और 'बिहारी बाबू कहिन' भी चुने गये हैं. <br><br>ढ़ेर सारी बधाई!अनुराग श्रीवास्तवnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-35515769771525096802007-02-23T05:26:37.781+01:002007-02-23T05:26:37.781+01:00मानवाधिकार की बातों को कुछ देर के लिए विराम देते ह...मानवाधिकार की बातों को कुछ देर के लिए विराम देते हुए इंडीब्लॉगीज़ पुरस्कार के विजेताओं में शामिल होने पर छोटे भाई की बधाई स्वीकार हो.शशि सिंहwww.lokmanch.comnoreply@blogger.com