tag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post2083800722554084079..comments2024-03-27T06:40:09.006+01:00Comments on जो न कह सके: तृतीय प्रकृति के द्वँदSunil Deepakhttp://www.blogger.com/profile/05781674474022699458noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-63621570224483144292007-01-07T16:48:31.235+01:002007-01-07T16:48:31.235+01:00आपका ये लेख अच्छा लगा! इन सब अंतर्लैंगिंक लोगों की...आपका ये लेख अच्छा लगा! इन सब अंतर्लैंगिंक लोगों की समस्यायें समझने और हल करने के लिये मन उदार और समझदार होना चाहिये!अनूप शुक्लhttp://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-46789095336131168912007-01-07T17:37:23.887+01:002007-01-07T17:37:23.887+01:00अच्छा विश्लेषण है। प्राचीन भारतीय वाङमय में अंतर्ल...अच्छा विश्लेषण है। प्राचीन भारतीय वाङमय में अंतर्लैंगिक प्रकृति के लोगों के बारे में जिस प्रकार की सम्यक समझ का परिचय मिलता है, वैसी समझ आधुनिक वैज्ञानिक युग में विकसित नहीं हो पाई है।Srijan Shilpihttp://www.blogger.com/profile/09572653139404767167noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-37176095764061126062007-01-07T20:48:56.361+01:002007-01-07T20:48:56.361+01:00तृतीय प्रकृति की इस विशद विवेचना के लिए धन्यवाद. क...तृतीय प्रकृति की इस विशद विवेचना के लिए धन्यवाद. कई नई जानकारियाँ प्राप्त हुई.हिंदी ब्लॉगर/Hindi Bloggerhttp://www.blogger.com/profile/01913218706012338593noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-73080644918163894962007-01-08T06:00:42.494+01:002007-01-08T06:00:42.494+01:00अच्छे लेख के लिए साधूवाद.इस विषय पर आपने फले भी लि...अच्छे लेख के लिए साधूवाद.<br>इस विषय पर आपने फले भी लिखा है, पर इस बार विचार ज्यादा स्पष्ट हुए है. <br>भारत में इतने मत विकसीत हुए हैं की शायद ही ऐसा कोई वाद हो जिसका समर्थन भारतीय ग्रंथो में ना मिले. त्याग से भोग तक, काम से मोक्ष तक. सहिंष्णुता से कट्टरता तक.संजय बेंगणीwww.tarakash.com/joglikhinoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-61986570570959283112007-01-08T06:02:50.429+01:002007-01-08T06:02:50.429+01:00आपने तो पौराणिकता में भी वैज्ञानिकता ढूंढ निकाला. ...आपने तो पौराणिकता में भी वैज्ञानिकता ढूंढ निकाला. परंतु दुख की बात यही है कि आधुनिक पोपों-पंडितों को कौन सिखाए-समझाए!Raviratlamihttp://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-32007769145769535792007-01-08T13:47:50.841+01:002007-01-08T13:47:50.841+01:00आपके इस आलेख को रचनाकार में प्रकाशित किया है ताकि ...आपके इस आलेख को रचनाकार में प्रकाशित किया है ताकि लोगों को कुछ ज्ञान तो हासिल हो!Raviratlamihttp://www.blogger.com/profile/09490024713870412478noreply@blogger.com