tag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post290073276038832272..comments2024-03-27T06:40:09.006+01:00Comments on जो न कह सके: दिल के घावSunil Deepakhttp://www.blogger.com/profile/05781674474022699458noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-14394021405295527992006-12-04T10:13:51.350+01:002006-12-04T10:13:51.350+01:00एक कहावत के अनुसार पिड़ा वही समझ सकता है, जिसके स्व...एक कहावत के अनुसार पिड़ा वही समझ सकता है, जिसके स्वयं की एडीयाँ फटी हो.<br>शर्णार्थियों का दर्द-अपने सपनो के संसार को खो देने का दर्द मात्र और मात्र वे ही समझ सकते हैं.संजय बेंगाणीhttp://www.tarakash.com/joglikhinoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-89437231715690364352006-12-04T12:15:18.393+01:002006-12-04T12:15:18.393+01:00सुनील जी,आपका कहना बिल्कुल सही है: जब तक जीवन है त...सुनील जी,<br><br>आपका कहना बिल्कुल सही है: जब तक जीवन है तब तक माया मोह तो रहेगा ही। यह सन्त-सम्मत भी है। परमहंस रामकृष्ण को बैंगन भर्ता (या किसी अन्य खाद्य पदार्थ, ठीक से याद नहीं है) का बड़ा शौक था। जब किसी ने उनसे कहा कि आप सन्त होकर ऐसा कैसे कर सकते हैं तो उनका उत्तर था कि शरीर रखने के लिये किसी न किसी चीज़े लगाव रखना आवश्यक है। यदि किसी चीज़ से भी लगाव नहीं है तो शरीर छूट जाएगा और आप माया मोह से मुक्त हो जायेंगे।Laxmi N. Guptahttp://www.blogger.com/profile/14687987767363226405noreply@blogger.com