tag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post3909487402222892916..comments2024-03-27T06:40:09.006+01:00Comments on जो न कह सके: अधिकारSunil Deepakhttp://www.blogger.com/profile/05781674474022699458noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-47434984795093675662007-01-26T20:48:22.680+01:002007-01-26T20:48:22.680+01:00दीपक जी, विषय बहुत कुछ सोचने पर बाध्य करने वाला था...दीपक जी,<br> विषय बहुत कुछ सोचने पर बाध्य करने वाला था । कुछ जख्मों को कुरेदने वाला भी था । किन्तु मैंने केवल यही कहा कि समलैंगिकता एक निजी मामला है ओर आम व्यक्ति की समझ से बाहर है । ऐसा नहीं है कि यदि हम चाहें तो भी नहीं समझ सकते । पर कितने लोग ऐसा प्रयत्न करेंगे ? ऐसे व्यक्तियों के माता पिता तक यह यत्न करने का कष्ट नहीं करते । मैं एक ऐसे ही नासमझ व असंवेदनशील अति पढ़े लिखे माता पिता और उनको न न कह सकने वाले अति पढ़े लिखे, विद्वान, जीनियस व्यक्ति को जानती हूँ जिसने समलैंगिक होते हुए भी एक कन्या से विवाह रचाया और उसके जीवन में विष घोल दिया । वह विष का प्याला आज भी उसे चाहने वाले पी रहे हैं । यह घटना तब की है जब यह विषय चर्चा का नहीं था । तब तो हम विक्टोरियन जीवन मूल्यों में जीने वाले किसी के पति या पत्नी के ऐसे होने के विषय में कल्पना भी नहीं कर सकते थे । अपनी बेटी के तलाक के विषय पर सोच भी नहीं सकते थे । सोचती हूँ यदि आज वह जीवित होती तो क्या कहती । सो मैंने एक बेहद कीमती जीवन इस विषय के प्रति अज्ञानता व निजी स्वार्थ की भेंट चढ़ते देखा है । <br> इस सबके बावजूद मैं यही कहूँगी कि उस व्यक्ति को या किसी भी अन्य व्यक्ति को अपनी जीवन शैली चुनने का अधिकार है । बस वह किसी साधारण असमलैंगिक से विवाह न करे, उसे धोखा न दे । शायद इस घटना के लिए हम व हमारा समाज भी दोषी था जो वह कायर खुल कर न कह सका कि वह समलैंगिक है । या यह न कह सका कि वह विवाह नहीं करेगा ।<br> जहाँ तक इलाज का प्रश्न है तो यह कोई बीमारी तो है नहीं और यदि इसका कोई इलाज है तब भी व्यक्ति को अपने होने वाले साथी को इस विषय में बता देना चाहिए ।<br> अतः चर्चा तो हमें अवश्य करनी चाहिए पर संवेदना के साथ । न हम सही हैं न वे गलत, गलत है तो केवल धोखा ।<br> उनके परिवार बनाने के विषय में मैं पहले ही बोल चुकी हूँ । उन्हें अधिकार है इसका किन्तु बच्चे इस संसार में लाने से पहले उन्हें अपने समाज के विषय में सोच लेना चाहिये । क्या उन बच्चों का जीवन आम परिवारों के बच्चों से कहीं कठिन तो न होगा ?<br> दीपक जी,इस मुद्दे को उठाने के लिए धन्यवाद, चाहे इसने कुछ जख्मों को हरा कर दिया ।<br>घुघूती बासूतीघुघूती बासूतीnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-89738182418552017002007-01-28T05:57:37.432+01:002007-01-28T05:57:37.432+01:00सुनील भाई, थीम बहुत अच्छी बन पड़ी है। बहुत सुन्दर। ...सुनील भाई, <br>थीम बहुत अच्छी बन पड़ी है। बहुत सुन्दर। मुझे बहुत खुशी है कि आपने मेरी आह को वाह! वाह! मे बदला।<br><br>सुनील भाई, एक परेशानी दिख रही है, यदि पोस्ट पर कोई कमेन्ट ना हो तो, कमेन्ट करने का लिंक नही दिखता। मतलब, पोस्ट पर पहली कमेन्ट कैसे की जाए, मुझे समझ मे नही आया। जरा देखिएगा।Jitendra Chaudharyhttp://www.blogger.com/profile/09573786385391773022noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-24885475159723979602007-01-28T08:00:24.545+01:002007-01-28T08:00:24.545+01:00घुघूती बासूती जी, तर्क और विचारों की बात करना बहुत...घुघूती बासूती जी, तर्क और विचारों की बात करना बहुत आसान है, स्वयं अपने आप पर बीते तो बात बदल जाती है. मेरी बात ने आप के पुराने घाव कुरेदे, इसका मुझे दुख है. आप ने आपबीती के बाद भी, मानव अधिकारों की बात की, यह प्रशंसनीय है.Sunil Deepakhttp://www.blogger.com/profile/05781674474022699458noreply@blogger.com