tag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post5215620853791827838..comments2024-03-27T06:40:09.006+01:00Comments on जो न कह सके: बालों का रंगSunil Deepakhttp://www.blogger.com/profile/05781674474022699458noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-9198155581611075882012-10-23T16:04:58.721+02:002012-10-23T16:04:58.721+02:00बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
कृपया आप इसे अवश्य देखें औ...बहुत सुन्दर प्रस्तुति!<br /><br />कृपया आप इसे अवश्य देखें और अपनी अनमोल टिप्पणी दें<br /><br /><a href="http://shalinikikalamse.blogspot.in/2012/10/blog-post.html" rel="nofollow"><b>यात्रा-वृत्तान्त विधा को केन्द्र में रखकर प्रसिद्ध कवि, यात्री और ब्लॉग-यात्रा-वृत्तान्त लेखक डॉ. विजय कुमार शुक्ल ‘विजय’ से लिया गया एक साक्षात्कार</b></a>Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/14167053354313199541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-89246114811859321962012-10-22T06:53:42.193+02:002012-10-22T06:53:42.193+02:00धन्यवाद अनु, इस सराहना के लिए :)धन्यवाद अनु, इस सराहना के लिए :)Sunil Deepakhttps://www.blogger.com/profile/05781674474022699458noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-89100268651505890972012-10-21T18:59:13.669+02:002012-10-21T18:59:13.669+02:00बहुत प्यारी पोस्ट....
जाने कहाँ से आपके ब्लॉग तक आ...बहुत प्यारी पोस्ट....<br />जाने कहाँ से आपके ब्लॉग तक आना हुआ....<br />आपकी लेखन शैली सुन्दर और सहज है....<br />तय बात है कि आपने बाल धूप में सफ़ेद नहीं किये :-)<br /><br />सादर<br />अनु <br />ANULATA RAJ NAIRhttps://www.blogger.com/profile/02386833556494189702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-33857021953851752392012-10-15T05:00:29.146+02:002012-10-15T05:00:29.146+02:00धन्यवाद वीरेन्द्र जी, आप की बात बिल्कुल सही है, और...धन्यवाद वीरेन्द्र जी, आप की बात बिल्कुल सही है, और आप ने कही भी बहुत कवितामय रूप में है. :)<br /><br />कई बार मुझे लगता है कि जीवन इतना आसान था, सब कुछ हमेशा मन चाहा मिला, इसलिए अनुभव और यह सफ़ेद बाल, दोनो ही बिना मेहनत के ही मिल गये!Sunil Deepakhttps://www.blogger.com/profile/05781674474022699458noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-64292281520966810552012-10-15T04:29:13.613+02:002012-10-15T04:29:13.613+02:00सुनील दीपक जी धवल हिमालय लिए सर पे चलना अर्जित सुख...सुनील दीपक जी धवल हिमालय लिए सर पे चलना अर्जित सुख है जीवन के अनुभवों का .बाल धुप में सफ़ेद नहीं होते हैं सफेदी अनुभव की होती है जो व्यक्तित्व को एक विशेष गरिमा प्रदान करती है .बढ़िया संस्मरण परक रचना है आपकी .<br />virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-74585457120714824132012-10-14T21:07:06.614+02:002012-10-14T21:07:06.614+02:00चन्द्र भूषण जी, आप को शतः धन्यवाद :)चन्द्र भूषण जी, आप को शतः धन्यवाद :)Sunil Deepakhttps://www.blogger.com/profile/05781674474022699458noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-35649741234628571342012-10-14T19:55:12.244+02:002012-10-14T19:55:12.244+02:00वाह!
आपकी इस ख़ूबसूरत प्रविष्टि को कल दिनांक 15-10...वाह!<br />आपकी इस ख़ूबसूरत प्रविष्टि को कल दिनांक 15-10-2012 को <a href="http://charchamanch.blogspot.in" rel="nofollow"><b> सोमवारीय चर्चामंच-1033</b></a> पर लिंक किया जा रहा है। सादर सूचनार्थ<br />चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’https://www.blogger.com/profile/01920903528978970291noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-39393207124563712622012-10-14T12:54:22.305+02:002012-10-14T12:54:22.305+02:00माफ़ कीजियेगा, समझने में कुछ भूल हुई। माफ़ कीजियेगा, समझने में कुछ भूल हुई। संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-24190347777430218282012-10-12T19:48:58.193+02:002012-10-12T19:48:58.193+02:00धन्यवाद चन्द्र भूषण जीधन्यवाद चन्द्र भूषण जीSunil Deepakhttps://www.blogger.com/profile/05781674474022699458noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-20837986183563445242012-10-12T19:07:52.744+02:002012-10-12T19:07:52.744+02:00बहुत ख़ूब वाह!
आपकी नज़रे-इनायत इसपर भी हो-
रात ...बहुत ख़ूब वाह!<br /><br />आपकी नज़रे-इनायत इसपर भी हो-<br /><br /><a href="http://cbmghafil.blogspot.in/2012/10/blog-post_12.html" rel="nofollow"><b>रात का सूनापन अपना था</b></a><br />चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’https://www.blogger.com/profile/01920903528978970291noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-83101222018143428142012-10-12T18:16:08.095+02:002012-10-12T18:16:08.095+02:00रमाकाँत जी ठीक कहा आप ने, अनुभव के संग से ही तो हम...रमाकाँत जी ठीक कहा आप ने, अनुभव के संग से ही तो हम अपने सारे जीवन को रंगते हैं, उसे कैसे रंगे? धन्यवाद :)Sunil Deepakhttps://www.blogger.com/profile/05781674474022699458noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-81566077345224475632012-10-12T17:45:07.995+02:002012-10-12T17:45:07.995+02:00आप ही कहिये, इतनी किस्मत से मिले सफ़ेद बाल, इनको क...आप ही कहिये, इतनी किस्मत से मिले सफ़ेद बाल, इनको कैसे रँगा जा सकता है?<br /><br />अनुभव को रंगा नहीं जा सकता .Ramakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-78583497762409890122012-10-12T17:27:49.648+02:002012-10-12T17:27:49.648+02:00:))))) बहुत धन्यवाद :))))) बहुत धन्यवाद Sunil Deepakhttps://www.blogger.com/profile/05781674474022699458noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-28275464437542043002012-10-12T16:08:24.710+02:002012-10-12T16:08:24.710+02:00आपको ढेरों शुभकामनायें, आप ऐसे भी बहुत अच्छे लगते ...आपको ढेरों शुभकामनायें, आप ऐसे भी बहुत अच्छे लगते हैं।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-60885855064765577542012-10-12T13:55:59.320+02:002012-10-12T13:55:59.320+02:00धन्यवाद संजय. :))
(अभी तक दादा बनने का मौका नहीं ...धन्यवाद संजय. :))<br /><br />(अभी तक दादा बनने का मौका नहीं मिला, और लगता है है कि जल्दी मिलेगा भी नहीं!)<br />Sunil Deepakhttps://www.blogger.com/profile/05781674474022699458noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-82888803673157454592012-10-12T12:31:02.747+02:002012-10-12T12:31:02.747+02:00ये लॉजिक जानने के बाद तो हम भी यही कहेंगे, बिल्कु...ये लॉजिक जानने के बाद तो हम भी यही कहेंगे, बिल्कुल न रंगियेगा।<br />पहले समय में कई मामले सुने हैं कि संतान बचती नहीं थी तो अजब अजब टोटके करते थे लोग, नाम अजीब सा रख देना, टोकन अमाऊंट के बदले दाई को बेच देना आदि। दुर्भाग्य को ऐसी बातों से झाँसा दे सकने जैसी बातें आज अजीब बेशक लगें लेकिन लोगों की सादगी तो बता ही देती हैं। <br />आप तो फ़िर दादाजी बन चुके, हम तो अभी सिर्फ़ पापाजी ही हैं लेकिन फ़िर भी अंकल कह्कर पुकारे जाते हैं और बुरा भी नहीं मानते:)संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.com