tag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post6167501837885700706..comments2024-03-27T06:40:09.006+01:00Comments on जो न कह सके: मानव शरीरों से अमूर्त कलाSunil Deepakhttp://www.blogger.com/profile/05781674474022699458noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-85306587015461632402011-08-15T19:06:48.357+02:002011-08-15T19:06:48.357+02:00खजुराहो, नागा साधुओं और दिगम्बर जैन मुनियों के इस...खजुराहो, नागा साधुओं और दिगम्बर जैन मुनियों के इस देश के लिए भी आश्चर्यजनक.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-13114194580247594122007-04-24T08:22:51.430+02:002007-04-24T08:22:51.430+02:00जब सभी नग्न हो जाएंगे तो फिर शर्म रहेगी भी कहाँ. ब...जब सभी नग्न हो जाएंगे तो फिर शर्म रहेगी भी कहाँ. <br><br>बात सही है. पर झिझक भी होती है, यह भी सही है. बचपन से ही हमे कपडो मे बांध दिया जाता है, और शरीर को छुपाना ही सिखाया जाता है.पंकज बेंगाणीhttp://www.blogger.com/profile/05608176901081263248noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-67531434410940953942007-04-24T13:34:30.496+02:002007-04-24T13:34:30.496+02:00वाकई देह को लेकर हमारी ग्रंथियॉं काफी जटिल हैं।इस ...वाकई देह को लेकर हमारी ग्रंथियॉं काफी जटिल हैं।<br><br>इस समझ व चित्रों को साझा करने के लिए शुक्रिया।मसिजीवीhttp://www.blogger.com/profile/07021246043298418662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-40146457979982123182007-04-24T14:58:17.546+02:002007-04-24T14:58:17.546+02:00आपका यह लेख देख कर अच्छा लगा.कपड़ो का महत्व मात्र म...आपका यह लेख देख कर अच्छा लगा.<br><br>कपड़ो का महत्व मात्र मौसमी प्रहारो से शरीर को बचाने जितना ही रहना चाहिए, इसे सभ्यता संस्कृति से जोड़ना बेवकूफि है.<br><br> कपड़े अपना महत्व खो देंगे वही सभ्यता के चरम होगा. जहाँ से चले थे वहीं पहूँच जाएंगे.<br><br>मानव देह का कला से सिधा सम्बन्ध है, आखिर मानव देह से सुन्दर है भी क्या?संजय बेंगाणीhttp://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-50008030892154042462007-04-24T16:46:21.794+02:002007-04-24T16:46:21.794+02:00http://hindini.com/eswami/?p=19 मैं इस बारे में २०...http://hindini.com/eswami/?p=19 <br>मैं इस बारे में २००५ में ब्लाग कर चुका हूं! :)eSwamihttp://www.blogger.com/profile/04980783743177314217noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-80895716614039898702007-04-24T21:18:09.977+02:002007-04-24T21:18:09.977+02:00सुनील जी, ट्यूनिक जी के छविचित्रण को तो पहले भी कभ...सुनील जी, ट्यूनिक जी के छविचित्रण को तो पहले भी कभी देखा था, कदाचित ई-स्वामी के चिट्ठे द्वारा या कहीँ और, यह नहीँ कह सकता।<br><br>परंतु लेख के उत्तरार्ध में आपने जो बातें उठाई हैं वे नि:सन्देह बहुत अधिक चिंतन व गहरी सोच को मजबूर करती हैं। इस प्रकार सामूहिक रूप से अपने शरीर का चित्रण तो दूर, मात्र प्रदर्शन अपने आप में दुष्कर प्रतीत होता है। कारण सोचने पर समझ में आता है कि हम सूक्ष्म की अपेक्षा स्थूल को महत्वपूर्ण मानते हैं, डरते हैं अपने ही रूप से, जो कि कभी भी सम्पूर्ण रूप से सुन्दर (perfect) हो ही नहीं सकता, बिना आंतरिक सुन्दरता के। बाहरी रूप को ही सच व सुन्दरता का पर्याय मान बैठे हैं। मेरे विचार से यह कार्य यदि <b>बिना किसी दुराग्रह उद्देश्य व स्वार्थ के लिये सहज रूप से</b> कोई कर सकता है तो वह योगी ही है|<br><br>इस प्रकार के कार्य कर सकने की क्षमता में भारतवासी को पाश्चात्य देश के नागरिक की अपेक्षा अधिक श्रेय मिलना चाहिये। क्योंकि सामाजिक रूप से निर्वस्त्र हो सकने में अपने यहाँ का परिवेश, सामाजिक मान्यताएं, अपनी विचारधाराएं जितना अवरोध उत्पन्न कर सकती हैं वह कदाचित पश्चिम में नहीं तो इस अवरोध पर विजय पा सकने में यहाँ के नागरिक को अपने ऊपर, मन पर विजय प्राप्त करनी होगी, पाश्चात्य निवासियों में अधिकतर को ऐसी किसी विचारधारा के अवरोध का ख्याल कम ही आयेगा। <br><br>यह तो परिस्थितियों व अपने दृष्टिकोण पर है कि यह मात्र उच्छश्रंखलता है, दिखावा है, व्यावसायिकता है, कला है, या कि उससे भी अलग एक दर्शन और गहन चिंतन।Rajeev (राजीव)http://www.blogger.com/profile/04166822013817540220noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-72599946656997185592007-07-09T23:07:47.805+02:002007-07-09T23:07:47.805+02:00नग्नता से पहले सुरक्षा ज़रूरी है। हमारे यहाँ पूरे क...नग्नता से पहले सुरक्षा ज़रूरी है। हमारे यहाँ पूरे कपड़े पहने लड़की सुरक्षित नहीं और आप कपड़े उतारने की बात कर रहे हैं। जिन देशों की आप बात कर रहे हैं वहाँ का कानून, पुलिस वगैरह देखें कैसे काम करती है।रजनीश मंगलाhttp://www.blogger.com/profile/08365898829052109147noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-61609317870957471622007-07-09T23:10:34.638+02:002007-07-09T23:10:34.638+02:00दूसरी बात, नग्नता का भाव बचपन से ही विकसित होता है...दूसरी बात, नग्नता का भाव बचपन से ही विकसित होता है और होना चाहिए। बड़े होकर वे सब विकृतियां दिमाग से नहीं जाती हैं। यानि उसी सांस्कृति में बड़े होना ज़रूरी है।रजनीश मंगलाhttp://www.blogger.com/profile/08365898829052109147noreply@blogger.com