tag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post6344697760628370245..comments2024-03-27T06:40:09.006+01:00Comments on जो न कह सके: अलेसान्द्रा का प्रश्नSunil Deepakhttp://www.blogger.com/profile/05781674474022699458noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-44624269744307026412011-01-27T11:14:20.138+01:002011-01-27T11:14:20.138+01:00बहुत कठिन स्थिति है.शायद नई स्थिति में रिश्तों को ...बहुत कठिन स्थिति है.शायद नई स्थिति में रिश्तों को भी नए नाम देने होंगे. नए रिश्तों को पुराने नाम ही क्यों दिए जाएँ या उनके लिए ही जिद की जाए.क्यों न केवल साथी ही कहा जाए? नए रिश्तों के लिए कानून भी नए बनाए जाएँ.<br />घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-31030621546222654182011-01-23T18:07:03.922+01:002011-01-23T18:07:03.922+01:00अनूप, चिट्ठाचर्चा में अलेसाँद्रा की कहानी को जगह द...अनूप, चिट्ठाचर्चा में अलेसाँद्रा की कहानी को जगह देने के लिए धन्यवाद.<br /><br />दिनेश जी, आप की बात तर्क की दृष्टि से सही है और मेरे विचार में अधिकतर लोग यही सोचते हैं. लेकिन मेरे विचार में अगर विवाह को दो लोगों के साथ रह कर परिवार बनाने की दृष्टि से देखूँ तो आज के बदलते वातावरण में वह नये परिवार भी दिखते हैं जिनमें पति पत्नि दोनो पुरुष हैं या नारियाँ हैं, वह किसी मित्र की सहायता से बच्चे भी पैदा करते हैं, मिल कर एक दूसरे का साथ निभाते हैं. तो मुझे लगता है कि उन्हें "परिवार" की मान्यता दे कर हम नर नारी के बने परिवार के किसी अधिकार को कम नहीं करते, बल्कि इन नये परिवारों को मान देते हैं.<br /><br />आज कल कितने ही विवाह टूटते हैं, पर इससे कोई यह तो नहीं कह सकता कि विवाह को समाप्त कर देना चाहिये. पर इस डर से कि समलैगिंग जोड़ा साथ छोड़ देगा, उनका विवाह न होने देना, इसमें किसका फायदा है? एक समलैंगिक जोड़े को कई सालों से जानता था, वह लोग तीस साल के करीब साथ रहे जब उनमें से एक की मृत्यु हुई. इतने साल साथ रह कर भी, साथ में सुख दुख निभा कर भी, उनके एँक दूसरे की चीज़ो पर कोई अधिकार नहीं था जो कि पति या पत्नि का होना चाहिये था. उसका भाई, जो जीते जी बात तक नहीं करते थे, उसके मरने के बाद, उस के फ्लेट पर कब्ज़ा लेने पहुँच गये और कानून ने उन्हें ही उस सम्पत्ति का हकदार माना.<br /><br />अलेसाँद्रा ने अपनी पत्नि के साथ बच्चा नहीं चाहा, लेकिन उस परिवार में उनके साथ बच्चा भी हो सकता था, तो भी क्या उसके माता पिता को तलाक लेना पड़ता? विज्ञान और तकनीकी प्रगति एक तरफ़, और दूसरी ओर हमारे समाज के बदलते माप दंड जिसमें व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अहम स्थान है, भविष्य में ऐसे प्रश्न अवश्य बढ़ायेगी. उनके उत्तर सोचने के लिए परिवार की परिभाषा भी शायद बदलेगी.Sunil Deepakhttps://www.blogger.com/profile/05781674474022699458noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-46568900678137643782011-01-23T16:27:23.617+01:002011-01-23T16:27:23.617+01:00बहुत अच्छी तरह आपने अलेसान्द्रा की समस्या लिखी। उस...बहुत अच्छी तरह आपने अलेसान्द्रा की समस्या लिखी। उसको शुभकामनायें। :)<br /><br />http://chitthacharcha.co.in/?p=1358अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-51866587555883411182011-01-23T16:19:36.277+01:002011-01-23T16:19:36.277+01:00दीपक भाई!
इटली का कानून यदि समलैंगिक कानून को मान्...दीपक भाई!<br />इटली का कानून यदि समलैंगिक कानून को मान्यता नहीं देता तो उस में बुराई क्या है। वस्तुतः विवाह की जो परंपरागत अवधारणा है वह तो स्त्री-पुरुष के मध्य ही हो सकता है। अलेक्सांद्रो और उस की पत्नी के बीच हुआ विवाह तो वैध ही था और है। यदि अलेक्सांद्रो का लिंग परिवर्तन हो गया है और वह भी स्त्री हो कर अलेक्सांद्रा हो गया है तो उस से उन का विवाह अवैध नहीं हो सकता। हाँ, यदि इटली के कानून में प्रावधान हो तो वह उस दिन से शून्य माना जा सकता है जिस दिन से लिंग परिवर्तन हुआ है। मेरा मानना है कि समलैंगिक लोगों का साथ पति-पत्नी जैसा कभी नहीं हो सकता क्यों कि वे संतान उत्पन्न नहीं कर सकते, इस कारण इस सम्बन्ध को विवाह नहीं कहा जा सकता। यह एक साझीदार जैसी स्थिति है। दो समलैंगिक एक साथ रहने का समझौता कॉन्ट्रेक्ट कर सकते हैं और साथ रह सकते हैं। उन के सम्बंध में विवाह का कानून लागू नहीं हो सकता। उन के संबंध उन के बीच हुई संविदा से ही निर्धारित होंगे। इस कारण इस तरह के संबंधों को विवाह कहना या विवाह की संज्ञा देना वहाँ भी उचित नहीं है, जहाँ इस संबंध को कानून ने मान्यता दे दी है। हाँ इन संबंधों को कॉन्ट्रेक्ट से शासित होने के साथ कुछ देशों में कानून बना कर उन से भी शासित किया जा सकता है। फिर भी वह विवाह नहीं होगा। उस में साझीदारों के दायित्व और अधिकार विवाह के पक्षकारों के दायित्वों और अधिकारों से भिन्न होंगे। <br />मेरा मानना है कि अलेक्सान्द्रा और उन की पत्नी अच्छे साझीदारों के रूप में साथ रह सकते हैं। यदि इटली का कानून उन का साथ नहीं देता है वे निश्चित रूप से मानवाधिकार वाली लड़ाई लड़ सकते हैं। लेकिन वे यदि यह दावा करें कि कानून उन्हें विवाह के पति-पत्नी जैसे अधिकार और दायित्व प्रदान करे, तो उन की यह जिद सही नहीं है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-13527681153666901092011-01-21T14:18:56.805+01:002011-01-21T14:18:56.805+01:00प्रसन्न रहना सीखना है, कैसे भी सीखा जाये।प्रसन्न रहना सीखना है, कैसे भी सीखा जाये।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-30228121203893184302011-01-21T10:27:08.604+01:002011-01-21T10:27:08.604+01:00@हिंदी ब्लोगजगत,बहुत धन्यवाद@हिंदी ब्लोगजगत,बहुत धन्यवादSunil Deepakhttps://www.blogger.com/profile/05781674474022699458noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-40029059926523692542011-01-21T10:21:45.022+01:002011-01-21T10:21:45.022+01:00अलेक्सांद्रा जी के बारे में और उनके विचारों से अव...अलेक्सांद्रा जी के बारे में और उनके विचारों से अवगत कराने का शुक्रिया।<br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">ज्योतिष,अंकविद्या,हस्तरेख,टोना-टोटका।</a><br /><a href="http://ss.samwaad.com/" rel="nofollow">सांपों को दूध पिलाना पुण्य का काम है ?</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-63575139460635452312011-01-21T08:00:04.192+01:002011-01-21T08:00:04.192+01:00Good post. You are in Hindiblogjagat.Good post. You are in Hindiblogjagat.Hindiblogjagathttp://hindiblogjagat.blogspot.com/noreply@blogger.com