tag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post84259978624057737..comments2024-03-27T06:40:09.006+01:00Comments on जो न कह सके: बच्चों की रोटीः एक सुबह बोलोनिया मेंSunil Deepakhttp://www.blogger.com/profile/05781674474022699458noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-80021330057332683202005-08-08T13:51:43.826+02:002005-08-08T13:51:43.826+02:00मैं आज की यह टिप्पणी पूरी संजीदगी के साथ लिख रहा ह...मैं आज की यह टिप्पणी पूरी संजीदगी के साथ लिख रहा हूँ। कारण यह हो सकता है कि , आप से बीसों , तीसों हज़ार किलोमीटर दूर , एक ऐसा व्यक्ति , जो आप को बिल्कुल नहीं जानता हो , उसने आप की भावनाओं के साथ न्याय करने में कोई हिचक नहीं दिखलाई , तमाम कठिनाइयों के बावजूद । मुझे , इस लेख के दिये लिंक की सारी तस्वीरें , बोलती सी लगीं । सजीव , सगेपन से जोड़ गयीं , ये नेपच्यून की तस्वीरें । मैंने किसी "हक" से तो यह तस्वीरें नहीं माँगी थीं , (न हीं आप के लिये , यह जरूरी ही था। ) पर , ऐसा ही कुछ सोच , बशीर बद्र ने कहीं लिखा है ;<br>"मैकदे में , अजानों को सुन के रोया बहुत ,<br>लग रहा , इस शराबी को दिल से , खुदा याद है " <br><br>पुनः सधन्यवाद , और साभार ,<br><br>आप का ,<br>राजेश<br>(सुमात्रा)RAJESHhttp://www.blogger.com/profile/07513885073414867392noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-79742009802366971982005-08-09T06:04:25.053+02:002005-08-09T06:04:25.053+02:00राजेश जी,शायद लेख से आप ने देखा हो, नेपच्यून की मु...राजेश जी,<br>शायद लेख से आप ने देखा हो, नेपच्यून की मुर्ती की तस्वीर लेने के बहाने, मैंने एक सुबह बड़े सुंदर ढ़ंग से अपने शहर को घूमने में बितायी. उस पर आप का यह संजीदा, मन छूने वाला संदेश. धन्यवाद तो मुझे आप को देना चाहिये. सुनीलSunil Deepakhttp://www.blogger.com/profile/05781674474022699458noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115561631155571591.post-33750632690268932382005-08-09T08:17:01.936+02:002005-08-09T08:17:01.936+02:00सुनील जी, बधाई इतने अच्छे वर्णन पर और आपके द्वारा ...सुनील जी, बधाई इतने अच्छे वर्णन पर और आपके द्वारा खींचे गये चित्र काफ़ी सादे व सुन्दर होते हैं।खयालhttp://www.blogger.com/profile/15373573505567241038noreply@blogger.com