किसी भी देश से कोई नेता या राजा आदि दिल्ली आयें तो उन्हें राजघाट जो जाना ही पड़ता है, गाँधी जी के स्मारक को फ़ूल चढ़ाने के लिए. केवल साऊदी अरब के राजा को "धार्मिक कारणों" से यह छूट दी गयी कि उन्हें गाँधी जी की समाधी के सामने सिर न झुकाना पड़े (व्यक्तिगत रुप में इस बात से बिल्कुल सहमत नहीं था)
अमरीकी राष्ट्रपति बुश जी को गाँधी जी की समाधी तो जाना ही था. इस बारे में भारतीय लेखिका अरुँधति राय ने अंग्रेज़ी के अखबार The Hindu में लिखा था, "वह अकेला ही युद्ध अपराधी नहीं होगा जिसे राजघाट पर आने का भारत सरकार से निमंत्रण मिला हो. पर जब बुश उस प्रसिद्ध पत्थर पर फ़ूल रखेगा तो लाखों भारतीय हिल जायेंगे मानो उन्हें चाँटा लगा हो, मानो उसने समाधी पर आधा लिटर खून डाल दिया हो."
बुश जी के राजघाट जाने से लाखों भारत वासियों के दिल दहले या नहीं, यह मुझे नहीं मालूम. उस दिन मैं दिल्ली में ही था और लगा कि दिल्ली की जनता बुश जी से बहुत प्रसन्न हो.
पर असली हल्ला बुश जी से नहीं उनके कुत्तों की वजह से हुआ. क्योंकि कुत्तों को सुरक्षा जाँच करने के लिए समाधी के पास जाने दिया गया, इस पर बहस शुरु हो गयी. बुश जी के जाने के बाद, लोगों ने समाधी को पवित्र जल से धो कर साफ़ किया, मंत्र पढ़े. मुझे लगा गाँधी जी का बड़ा अनादर इस ढ़कोसले से हुआ.
वह गाँधी जो सभी धर्मों के आदर की बात करते थे, जो मानवता की बात करते थे, जो भगवान के बनाये हुए सभी प्राणियों से प्रेम और अहिंसा की बात करते थे, अगर उनकी समाधी के पास कुत्ता चला गया तो वह अपवित्र हो गयी, क्यों ? और अगर समाधी के ऊपर उड़ते हुए कौआ या चिड़िया बीट कर देती है तो क्या हर रोज़ पवित्र यज्ञ करवाते हैं ?
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bahut bhadiya. waise dubya se jitna pyaar europe walon lo hai utna to democratic party ko nahi hai
जवाब देंहटाएंमैं भी इस बारे मे लिखना चाहता था, लेकिन आपने वही कहा जो मैं कहना चाहता था, अगर मन की पवित्रता की बात हो तो कुत्ते मनुष्यों से ज़्यादा पवित्र हैं।
जवाब देंहटाएंसुनीलजी मेरे मन की बात आपने लिख दी है, सऊदी के राजा वाली बात नई पता चली।
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