परिचय

डॉ. सुनील दीपक का परिचय





मैं सुनील हूँ, भारत में पैदा हुआ और भारत में ही मैंने चिकित्सा की पढ़ाई पूरी की। मेरे पिता ओमप्रकाश दीपक समाजवादी पार्टी की पत्रिका "जन" के सम्पादक थे, पत्रकार, अनुवादक व लेखक थे, उनकी किताबों में "लोहिया, एक असमाप्त" जीवनी भी है। घर हिंदी की किताबों से भरा था, परिवार में बहुत से लोग विश्वविद्यालय स्तर पर हिंदी पढ़ाते थे, और कई जाने-माने लेखक और कवि मेरे पिता के मित्र थे, शायद इसीलिए बचपन से मेरे मन में हिंदी साहित्य का प्रेम पनपा जिसने जीवन भर मेरा साथ दिया है।
 
मैंने पिछले चालीस सालों में स्वास्थ्य के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काम किया है और पिछले कुछ वर्षों में सेवा निवृत हो कर इटली के उत्तरपूर्व में एक छोटे से पहाड़ी शहर में रहता हूँ। मेरा अधिकांश जीवन भारत के बाहर बीता है, लेकिन दिल का तार हमेशा से भारत से जुड़ा हुआ है।
 
इस ब्लाग का जन्म २००५ में हुआ था और तब से चल रहा है। आज इंटरनेट से दुनिया छोटी हो गई है, लेकिन १९८०-९० के दशकों में ऐसा नहीं था, चिट्ठी-पत्र आने में महीना लग जाता था, फोन करना कठिन था, समाचार मिलना आसान नहीं था। इटली में भारतीय मूल के लोग बहुत कम थे, विदेश में रहते-रहते मुझे लगता था कि अपनी भाषा भूल सी गई थी। उस समय यह ब्लाग मेरे लिए अपनी भाषा से जुड़ा रहने का साधन था। 
 
पिछले कुछ वर्षों से, सेवा निवृत होने के बाद और विषेश रूप से कोविड महामारी के दिनों से, मैं अपना पहला हिंदी-उपन्यास लिखने की कोशिश कर रहा था। एक प्रकाशक से बात हुई है, मुझे आशा है कि इस वर्ष (२०२४ में) वह प्रकाशित होगा। आजकल मैं अपना दूसरा उपन्यास लिखने में व्यस्त हूँ।

सृजनात्मक लेखन के साथ-साथ, मेरे चिकित्सा के क्षेत्र (विकलांगता, शोध, सामुदायिक स्वास्थ्य तथा कुष्ठ रोग) के कुछ काम भी चल रहे हैं। मैं स्वास्थ्य तथा सामाजिक विकास के क्षेत्रों में काम करने वाली स्वयंसेवी संस्थाओं से सहयोग के लिए हमेशा तैयार रहता हूँ। अगर आप किसी ऐसी संस्था से जुड़े हैं और आप को लगता है कि मैं आप की कुछ सहायता कर सकता हूँ तो मुझसे सम्पर्क कीजिये।
 
अगर आप स्वास्थ्य तथा विकलांगता के विषयों में मेरा बहुत सारा लेखन, रिपोर्ट और किताबें पढ़ना चाहते हैं, तो वह मेरे वेबसाईट कल्पना की इस लिन्क पर निशुल्क उपलब्ध हैं, यह अधिकांश अंग्रेज़ी में हैं। 
 
इस ब्लाग का फेसबुक पृष्ठ है,जहाँ से आप मेरे नये आलेखों के बारे में सूचना पा सकते हैं।

मैं अंग्रेज़ी और इतालवी भाषाओं में भी ब्लाग लिखता हूँ।

आप चाहें तो मुझसे फेसबुक, टविटर, या इँस्टाग्राम से भी जुड़ सकते हैं।

अंत में, यदि आप मेरे आलेखों को अपने अखबार या पत्रिका में छापना चाहते हैं तो खुशी से छापिये, मुझे कोई आपत्ति नहीं। अगर आप उसके बारे में मुझे सूचना देंगे तो मैं आप का आभारी होऊँगा। और अगर आप को छापने के लिए मेरी तस्वीरों की ऊँचे रिज़ोल्यूशन में आवश्यकता है तो मुझसे सम्पर्क कीजिये।

***

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

"जो न कह सके" पर आने के लिए एवं आप की टिप्पणी के लिए धन्यवाद.

इस वर्ष के लोकप्रिय आलेख