शुक्रवार, जून 17, 2011

अंत का प्रारम्भ

पिछले कुछ सालों में इटली के प्रधानमंत्री श्री सिल्वियो बरलुस्कोनी का नाम विश्व भर में जाना जाने लगा है. जिन्हें इटली के बारे में कोई अन्य जानकारी नहीं है, वे भी बरलुस्कोनी का नाम जानते हैं. इसका कारण यह भी है कि विश्व भर में पत्रकारिता बदल रही है. उदारवाद और वैश्वीकरण से, अखबारों में बिक्री कैसे बढ़ायी जाये की चिन्ता भी बढ़ी है और इस चिन्ता को घटाने में बरलुस्कोनी जी बड़े सहयोगी हैं क्योंकि वह नियमित रूप से सेक्स से जुड़े स्कैंडलों के हीरो हैं जिनकी खबरे दुनिया के समाचार पत्र खुशी से छापते हैं.

उत्तरी इटली के मिलान शहर के उद्योगपति, बरलुस्कोनी ने पहला पैसा ज़मीन और घरों के बनाने और उनकी बिक्री से बनाया, फ़िर टेलीविज़न और अखबारों के व्यवसाय में झँडे गाड़े. आज उनके व्यवसाय विभिन्न क्षेत्रों में फ़ैले हैं और वह दुनिया के सबसे अमीर लोगों में गिने जाते हैं. सत्रह वर्ष पहले, राजनीति में आने से पहले, वह 1980 के दशक में इटली की समाजवादी पार्टी के नेता इटली के प्रधान मंत्री बेत्तिनो क्राक्सी के करीबी मित्र समझे जाते थे. 1990 के दशक के प्रारम्भ में इटली में "साफ़ हाथ" का स्कैंडल हुआ जिसकी चपेट में उस समय के बहुत सारे भ्रष्टाचारी राजनीतिज्ञ आ गये. जेल से बचने के लिए क्राक्सी को इटली छोड़ मोरोक्को भागना पड़ा. उस समय को इटली के "पहले गणतंत्र का अंत" कहा जाता है और तब आशा थी कि इटली में भ्रष्टाचार विहीन नया "दूसरा गणतंत्र" बनेगा. उस समय नये गणतंत्र के दूत के रूप में राजनेता बरलुस्कोनी का जन्म हुआ, उन्होंने "फोर्स्ज़ा इतालिया" (Forza Italia) यानि "मजबूत इटली" नाम का नया राजनीतिक दल बनाया जिसमें राजनीति से बाहर के नये "ईमानदार" लोगों को जगह दी गयी.

Berlusconi posters

लोगों का कहना था कि बरलुस्कोनी राजनीति से बाहर के व्यक्ति हैं, पहले से ही इनके पास पैसा है, उन्हें देश का पैसा खाने की आवश्यकता नहीं, वह ईमानदारी से देश की सेवा करेंगे. उनकी इस स्वच्छ छवि में कुछ कमियाँ थीं, जैसे कि उनके विरुद्ध चल रहे कुछ मुकदमें और राजनीति में उनका पुरानी फासिस्ट पार्टी से गठबँधन, पर इन दोनो बातों को उनके प्रशंसकों ने बहुत गम्भीरता से नहीं लिया. नब्बे के दशक में उन्होंने चुनाव जीते और सरकार बनायी, लेकिन गठबँधन के साथियों ने उनका पूरा साथ नहीं दिया और उनकी सरकार बहुत समय तक नहीं चली. उसी समय में उन पर लगे मुकदमे भी बढ़ने लगे. इससे बरलुस्कोनी ने दो तरह की बातों को बढ़ावा दिया - पहली बात कि मुझसे सत्ता में रहने वाले वामपंथी दल डरते हैं और मुझे राह से हटाने के लिए वामपंथी मजिस्ट्रेटों के सहयोग से झूठे मुकदमे चलाये रहे हैं, और दूसरी बात कि मैं देश को तरक्की की राह पर ले जाना चाहता हूँ लेकिन बाकी के दल आपस में मिल कर मुझे यह मौका नहीं दे रहे.

इन्हीं दो संदेशों को वह विभिन्न रूपों में पिछले दशक में भी दौहराते रहें हैं, हालाँकि इस दशक में वह स्वयं सबसे अधिक समय से सत्ता में हैं. जवान कम उम्र की लड़कियों और युवतियों पर सेक्स सम्बंधी बातें व इशारे करना, अपनी मर्दानगी की डींगे मारना, इन सब बातों के लिए वह शुरु से ही जाने जाते थे. प्रधानमंत्री बनने के बाद जब विभिन्न अंतरराष्ट्रीय सभाओं आदि में उन्होंने अन्य देशों की नारी नेताओं के बारे में बिना सोचे समझे टिप्पणियाँ की या इशारे किये, तो विभिन्न देशों की जनता ने उन्हें पहचानना शुरु कर दिया. विरोधी दलों की औरतों के बारे में उनकी टिप्पणियाँ बार बार अखबारों में मुख्यपृष्ठ का मसाला बनती रही हैं.

अपनी इस दृष्टि के समर्थन में उन्होंने यह कहना शुरु कर दिया कि मैं जिस औरत को चाहूँ, उसे राजनीति में नेता बना सकता हूँ, क्योंकि नेता बनने के लिए उनको बस किसी पुरुष नेता का सहारा चाहिये, और कुछ नहीं. जनता में वह बहुत लोकप्रिय थे, और उनकी इस तरह की बातों को बहुत गम्भीरता से नहीं लिया गया, लोग कहते थे कि वह अच्छे नेता हैं, काम बढ़िया करते हैं, इस तरह की बातें तो वह हँसी मज़ाक में कहते रहते हैं और साथ ही यह भी कि इस तरह की बातें उनकी व्यक्तिगत जीवन की बाते हैं, इन्हें गम्भीरता से नहीं लेना चाहिये.

पर पिछले दो तीन सालों में उनकी इस तरह की बातें इतनी बढ़ गयीं हैं कि इन बातों के पीछे उनकी सरकार क्या करती है या नहीं करती, इसकी बात होनी बन्द हो गयी है. उन पर चलने वाले मुकदमे हर साल नये जुड़ रहे हैं, लेकिन वह कहते हैं कि सब झूठे हैं, कि मुकदमे कम्युनिस्ट मजिस्ट्रेटों द्वारा उन्हें सत्ता से हटाने के लिए बनाये जा रहे हैं. उनकी सरकार ने कई नये कानून बनाये हैं ताकि वह अपने मुकदमों से छुटकारा पा सकें.

उनके विरुद्ध पैसे दे कर जवान युवतियों से सेक्स सम्बंध करने के बहुत से मामले निकले हैं. पैसा दे कर सेक्स करना, यह इतालवी कानून के विरुद्ध नहीं, लेकिन युवती कम से कम 18 साल की होनी चाहिये. लेकिन अन्य युवतियों की वेश्यावृति से पैसे कमाना, यानि दल्लेबाज़ी गैरकानूनी है.

इसलिए, इन मामलों में यही कहा गया कि उन्होंने कोई गैर कानूनी काम नहीं किया, लेकिन उन युवतियों ने पत्रिकाओं को प्रधान मंत्री के साथ अपने आत्मीय अनुभवों की बातों के साक्षात्कार बेच कर सनसनी फैलायी और दल्लाबाज़ी के अपराध में उनके कुछ सहयोगियों पर मुकदमे चले. ऐसी बातें भी निकलीं कि अच्छे खाते पीते घरों की पढ़ी लिखी युवतियाँ उनसे दोस्ती बनाती हैं ताकि ऊँचे पद की नौकरी या संसद में जगह पा सकें. कहते हैं कि उनके मंत्री मंडल में और देश के विभिन्न शहरों की स्थानीय सरकारों में इस तरह से उन की जान पहचान वाली बहुत सी यवतियाँ हैं जिनमें से कुछ ने स्वीकारा है कि उनके प्रधान मंत्री से प्रेम या सेक्स सम्बंध भी रहे हैं. उनकी संगीत, नृत्य और कम कपड़े पहने हुए युवतियों की पार्टियों में विदेशी राष्ट्रपति, मंत्री, प्रधानमंत्री भी हिस्सा लेते हैं, इसकी बातें भी कई बार निकली.

इन सब बातों में हर बार अखबार में पहले पन्ने पर हेडलाईन निकलती हैं, कुछ दिन हल्ला उठता है, फ़िर बात गुम हो जाती है, यह समझना कठिन होता है कि क्या सच है, क्या झूठ. तीन साल पहले उनकी पत्नी ने उन पर आरोप लगाया कि वह नाबालिग युवतियों से सम्बंध बना रहे थे और उनसे अलग होने का फैसला किया. लेकिन 75 वर्षीय बरलुस्कोनी इससे हताश नहीं हुए हैं और तलाक के बाद उनके चर्चे और भी बढ़ गये हैं. कुछ महीने पहले, मोरोक्को की एक सत्रह साल की नाबालिग लड़की रूबी से सेक्स का स्कैंडल निकला, जिसकी बहुत चर्चा रही, लेकिन यह कहना कठिन है कि इसका कुछ असर पड़ेगा या यह भी भुला दिया जायेगा. इस बात पर कुछ मास पहले सारी इटली में विभिन्न शहरों में उनके विरुद्ध स्त्री समूहों द्वारा आयोजित बड़े प्रदर्शन हुए थे. नीचे की तस्वीरों में, बरलुस्कोनी के विरुद्ध बोलोनिया शहर में हुए प्रदर्शन की कुछ तस्वीरें.

Anti-Berlusconi protests, Bologna, February 2011 - images by S. Deepak

Anti-Berlusconi protests, Bologna, February 2011 - images by S. Deepak

Anti-Berlusconi protests, Bologna, February 2011 - images by S. Deepak

विदेश में लोग बार बार पूछते हैं कि इतने स्कैंडल के बाद भी बरलुस्कोनी कैसे प्रधानमंत्री बने हुए हैं और जनता में इतने लोकप्रिय हैं. ऐसा नहीं कि इटली में उनके विरुद्ध बोलने वाले लोग नहीं, लेकिन यह भी सच है कि 30 या 33 प्रतिशत वोट लेने वाली उनकी पार्टी पिछले राष्ट्रीय चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी थी. यानि, 67 से 70 प्रतिशत लोग उनके विरुद्ध हैं, पर उनके विरोधी अलग अलग गुटों या दलों में बँटे हैं, मिल कर उनका सामना नहीं कर पाते. पिछले दो दशकों में विरोधी दल अगर सत्ता में आये भी हैं, तो आपस में ही लड़ते रहे हैं.

लेकिन शायद अब स्थिति कुछ बदलने लगी है. मई के अंत में देश के कई बड़े शहरों में चुनाव हुए. करीब करीब हर जगह, बरलुस्कोनी की पार्टी को मात मिली. पिछले सप्ताह, सरकार के चार निर्णयों पर विरोधी दलों ने जनमत का आयोजन किया, जिसमें बरलुस्कोनी ने सबसे कहा कि वोट देने नहीं जाईये ताकि जनमत असफ़ल हो जाये. लेकिन लोग वोट देने गये और सरकार के चारों निर्णयों को जनता ने गलत कहा, यानि सरकार को यह निर्णय बदलने पड़ेंगे. इनमें से एक निर्णय बरलुस्कोनी पर चलने वाले मुकदमें से सम्बंधित भी है.

कल तक बरलुस्कोनी जी लगता था कि अपने किले में सुरक्षित हैं, उन्हें कोई हरा नहीं सकता, अब अचानक लोग कहने लगे हैं कि शायद बरलुस्कोनी का समय गया, जनता का उन पर विश्वास नहीं रहा. बहुत से लोग कह रहे हैं कि यह बरलुस्कोनी के अंत का प्रारम्भ है.

उनकी सरकार के पास अभी दो साल और हैं. प्रतीक्षा करनी पड़ेगी यह देखने के लिए कि क्या वह इन दो सालों में अपनी छवि को सुधार सकेंगे? नयी नीतियाँ बना सकेंगे जिनसे उनके प्रशंसक फ़िर से उन पर विश्वास करने लगें? क्या विरोधी दल मिल कर काम कर सकेंगे और सरकार बना सकेंगे? इन सब प्रश्नों के उत्तर तो समय ही देगा.

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4 टिप्‍पणियां:

  1. मजा आया पढ़ कर. मजा इस लिए नहीं कि सेक्स वेक्स की बाते थी. दरअसल वहाँ कि वास्तविक स्थिति पर वहाँ रहने वाला ही लिख सकता है और वह भी हिन्दी में पढ़ना बहुत अच्छा लगा. निष्पक्ष पत्रकारी अहंकार से मुक्त... अच्छा लेख.

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  2. कुछ तो मर्यादा हो राजनीति में।

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  3. बहुत सरल और जानकारी भरा लेख। इटली के बारे में बहुत काम जानता था। रुबी और प्रधानमंत्री के स्‍केंडल की खबर तो तेजी से फैली लेकिन बरलुस्‍कोनी के बारे में कुछ नही पता था। इटली के माफिया जिसकी राजनीति में खासी दखलंदाजी हुआ करती थी उसके क्‍या रुख हैं?

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  4. आप सब को टिप्पणियों के लिए धन्यवाद.

    प्रवीण, शायद भारतीय या एशियाई सोच विचार में मर्यादा का बहुत ऊँचा स्थान है, लेकिन यहाँ लगता है कि लोग नेताओं के व्यक्तिगत जीवन के आचरण पर उतना ध्यान नहीं देते. पर क्या बात खुल कर आती या पर्दों के पीछे छुपी रहती है, इसको छोड़ दें तो शायद पैसा खाने, रिश्तोदारों और मित्रों को फायदा पहुँचाने और भ्रष्टाचार आदि में दुनिया के बहुत से राजनीतिक नेता मिलते जुलते हैं.

    सदन, सत्ता में आने के लिए माफ़िया का क्या हिस्सा है, यह नहीं कह सकता, पर होगा अवश्य. यहाँ कई बार बरलुस्कोनी के माफ़िया गुटों से सम्बंधों की बात उठायी गयी है पर बात अफ़वाहों की अधिक लगती है, तथ्यों की कम.

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"जो न कह सके" पर आने के लिए एवं आप की टिप्पणी के लिए धन्यवाद.

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