"मिलान में इतालवी वोग (Vogue) पत्रिका की नयी फोटो-प्रदर्शनी लगाने की तैयारी हो रही है" के समाचार के साथ अंग्रेज़ी फोटोग्राफर किर्स्टी मिशेल (Kirsty Mitchell) की एक तस्वीर देखी तो देखता रह गया.
आजकल क्मप्यूटर की मदद से तस्वीरें बना कर कलाकार कई तरह की पूरी काल्पनिक दुनियाँ बना सकते हैं, जिन पर "अवतार" (Avatar) जैसी पूरी फ़िल्में बनती हैं. इन फ़िल्मों को देख कर यह कहना कठिन होता है कि उनमें कितना असली है और कितना क्मप्यूटर पर बना हुआ है.
इसलिए जब किर्स्टी की तस्वीर देखीं तो यही सोचा कि उन्होंने भी इसे क्मप्यूटर की मदद से ही बनाया होगा. जैसे कि पिछले कुछ वर्षों में एच.डी.आर. (HDR) यानि हाई डायनेमिक रेन्ज की फोटो तकनीक आयी है जिसमें कई तस्वीरों को मिला कर उनसे एक तस्वीर बनाते हैं, जिसमें रंग बहुत निखर कर आते हैं. मैंने सोचा कि किर्स्टी की तस्वीरें एच.डी.आर से बनी होंगी. लेकिन जब पढ़ा कि किर्स्टी ने यह तस्वीर क्मप्यूटर पर नहीं बनायी, बल्कि उन्होंने सचमुच के वस्त्र, विग, मेकअप आदि बना कर, सचमुच के फ़ूलों के सामने वह तस्वीर खीँची है, तो बहुत आश्चर्य हुआ और अच्छा भी लगा.
आज आप को फोटोग्राफ़ी का शौक हो तो उसे पूरा करने के बहुत तरीके हैं. डिजिटल फोटोग्राफ़ी के कैमरे सस्ते भी मिलते हैं. फोटोग्राफ़ी कैसे करें, फोटो को कैसे सुधारें, उनकी कमियों को कैसे छुपायें, उनके रंगो को कैसे निखारें - इस सब को समझने के पाठ इंटरनेट पर मुफ्त भरे पड़े हैं, हालाँकि अधिकाँश अंग्रेज़ी में ही है, हिन्दी में इस तरह की अच्छे स्तर की सुविधाएँ न के बराबर हैं. उदाहरण के लिए, दुनिया के जाने माने फोटोग्राफ़र किस तरह की तस्वीरें खींचते हैं इसे देखने के लिए, उनसे प्रेरणा पाने के लिए और फोटोग्राफी के ट्यूटोरियल पढ़ने के लिए, मुझे 121 क्लिकस की वेबसाइट अच्छी लगती है. जबकि फोटो कैसे खींचने चाहिये इस पर मुझे यूट्यूब पर एडोरामा के वीडियो पाठ भी अच्छे लगते हैं (इन्हें सही समझने के लिए पहले सबसे पुराने वाले पाठ शुरु से देखिये), पर इनके जैसी वेबसाइट और वीडियो अन्य भी बहुत हैं, आप खोजेंगे तो बहुत से मिल जायेंगे.
यानि कि तकनीकी दृष्टि से आज हर कोई बढ़िया फोटोग्राफर बनना सीख सकता है. पर हर कोई बढ़िया तकनीक वाला फोटोग्राफर, बढ़िया कलाकार नहीं होता. आप किसकी फोटो खीँचते हैं, किस एँगल से खीँचते हैं, उसमें किसको महत्व देते हैं, आप की तस्वीरों में आप का व्यक्तिगत दृष्टिकोण क्या है, आप का अपना अन्दाज़ क्या है - आप को कलाकार माना जाये यह उन सब बातों पर निर्भर करता है. इस दृष्टि से देखें तो किर्स्टी की तस्वीरें अन्य फोटोग्राफरों से भिन्न, फोटोग्राफी के कलाजगत में अपनी विशिष्ठ जगह बनाती हैं.
किर्स्टी का जन्म 1976 में इँग्लैंड के कैन्ट जिले में हुआ. उन्होंने फोटोग्राफ़ी 2007 में करनी शुरु की. उनकी माँ बच्चों के लिए किताबें लिखती थीं. सन 2008 में माँ की कैन्सर रोग से मृत्यू के बाद, माँ की याद में ही किर्स्टी ने "वन्डरलैंड" (Wonderland) श्रृँखला की तस्वीरें खीँचना शुरु किया, जिसमें वह अपनी माँ कि किताबों के कल्पना जगतों को मूर्त रूप देना चाहती थीं.
सबसे पहले वह हर तस्वीर की मानसिक तस्वीर बनाती हैं, रंगो का चयन करती हैं, अपने हाथों से उसकी पौशाक, विग, और फोटो में प्रयोग की जाने वाली हर वस्तु को बनाती हैं. तस्वीरों को खीँचने के लिए वह सही मौसम की, जैसे कि बर्फ़ हो या किसी विषेश रंग के फ़ूल खिले हों, इसकी प्रतीक्षा करती हैं. जब सब कुछ उन्हें उनकी कल्पना के अनुसार मिल जाता है तो वह तस्वीर खीँचती हैं. इस तरह उनकी हर एक तस्वीर के पीछे, कई महीनो की मेहनत लगती है.
किर्स्टी की तस्वीरों को दुनिया भर में प्रदर्शनियों के आमँत्रण और पुरस्कार मिले हैं. वह पहले फैशन और कोसट्यूम की एक कम्पनी में काम करती थीं, वहाँ से सन 2011 में उन्होंने इस्तीफ़ा दे कर अपना फ्रीलाँस काम खोला है. वह कहती हैं, "चार साल पहले कोई मुझे कहता कि बड़ी प्रदर्शिनों में मेरी तस्वीरें लगेंगी, हार्पर बाज़ार जैसी प्रसिद्ध पत्रिकाओं के मुख्यपृष्ठ पर छपेगीं तो कौन विश्वास करता? इतालवी वोग पत्रिका की मिलान में लगने वाली प्रदर्शनी के लिए मुझे कई हज़ार फोटोग्राफरों में से चुना गया है. मुझे यह सब सपना सा लगता है."
आप किर्स्टी के काम के कुछ नमूने देखिये, सचमुच उनका काम प्रशंसनीय है, इसलिए भी क्योंकि यह क्मप्यूटर पर नहीं बना और इसे उन्होंने अपनी मेहनत से बना कर अपनी कल्पना को साकार किया है.
आप किर्स्टी मिशेल की और तस्वीरें उनकी वेबसाइट पर देख सकते हैं. क्या मालूम, आप में से किसी पाठक को इससे प्रेरणा मिले, किर्स्टी की नकल करने की नहीं, बल्कि, अपनी कल्पना से अपनी नयी दृष्टि बनाने की और उसे सच में बदलने की, ताकि एक दिन हम आप के काम को भी इसी तरह अचरज से देखें और आप को वाह-वाह कहें.!
.बहुत सुन्दर आभार . हम हिंदी चिट्ठाकार हैं.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद डा शिखा
हटाएंअद्भुत, अविश्वसनीय.
जवाब देंहटाएंपहली बार देख कर मुझे भी ऐसा ही लगा था! धन्यवाद राहुल :)
हटाएंबहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंधन्यवाद प्रवीण
हटाएंbahut sundar hain :) dhanyawad humein inka anubhav karane ke liye :)
जवाब देंहटाएंऋचा, आप का भी धन्यवाद इस सराहना के लिए
हटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन संभालिए महा ज्ञान - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद शिवम :)
हटाएंawesome simply !!!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद mysay.in
हटाएंVERY VERY NICE AND HEART TOUCHING WONDERFUL
जवाब देंहटाएंधन्यवाद रमाकाँत जी
हटाएंचित्र तो वास्तव में ही स्वपनिल दुनिया का आभास देते हैं
जवाब देंहटाएंजामुनी और मेजेन्टा सपने! :)
हटाएंधन्यवाद काजल
सचमुच, सपनों की दुनियां का आभास दिलाती है किस्ट्री की ये तस्वीरें.. मैं भी एक शौकिया फोटोग्राफर हूँ और नए प्रयोग मुझे भी बड़े अच्छे लगते हैं... ये तस्वीरें हमें ये सिखाती हैं कि बिना कंप्यूटर और सोफ्टवेयर्स की मदद से भी हम इस तरह की तस्वीरें ले सकते हैं; और सच कहूँ तो किस्ट्री की तस्वीरों में जो जीवंतता हम देख रहे हैं ये कभी भी कंप्यूटर जनित तस्वीरों में नहीं पायी जा सकती...
जवाब देंहटाएंमैं तुमसे बिल्कुल सहमत हूँ कि मानव की हाथों से बनायी कला में बात कुछ और ही है. इसका अर्थ यह नहीं कि कम्प्यूटरों से बनी दुनिया सुन्दर नहीं होती लेकिन उनकी बात अलग होती है!
हटाएंसचमुच. आज डिजिटलयुग में कोई सोच भी नहीं सकता कि ये वास्तविक फोटू होंगी....
जवाब देंहटाएंदिलचस्प.
शुरु शुरु में विश्वास नहीं होता! धन्यवाद दीपक
हटाएंअद्भुत तस्वीरें बधाई
जवाब देंहटाएंdhanyavad mukul
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