मंगलवार, जनवरी 10, 2006

नौटंकी की तलाश में (१)

रोम की एक इतालवी छात्रा जो हिंदी पढ़ती हैं और नौटंकी के विषय पर शोध कर रहीं हैं, को कहा था कि दिल्ली जाऊँगा तो तुम्हारे लिए नौटंकी के नाटक की किताब ढ़ूँढ़ूगा. पहले तो बेटे के विवाह की खरीददारी के दौरान ही कुछ दुकानों पर पूछा पर नहीं मिली. विवाह के कामों से छुट्टी मिली तो सोचा कि दरियागंज के पुस्तक बाज़ार में ढ़ूँढ़ा जाये.

दक्षिण दिल्ली से पहले क्नाट प्लेस आया फिर मेट्ररो ले कर चावड़ी बाज़ार. मेट्ररो जहाँ आधुनिक तकनीक से बनी, स्वच्छ वातावरण से सजी, बीसवीं सदी का यातायात है, चावड़ी बाज़ार अभी अठाहरवीं शताब्दी में खोया लगता है और मेट्ररो स्टेशन से बाहर निकल कर झटका सा लगा मानो "बैक टू फ्यूचर" फिल्म में पहुँच गया हूँ. छोटी छोटी गलियाँ, दुकानें, भीड़ भड़क्का, गाँयें, बकरियाँ, भेड़ें, सामान ढ़ोते गधे, बुरका पहने स्त्रियाँ, गंदे पानी की खुली नालियाँ आदि वह दुनियाँ बनाते हैं जो धीरे धीरे दिल्ली जैसे बड़े शहरों से लुप्त हो रही है.

सीताराम बाज़ार से हो कर तुर्कमान गेट की तरफ आया. यह वही जगह है जहाँ एमरजैंसी के दौरान संजय गाँधी ने झुग्गी झौंपड़ी सफाई और जबरदस्ती नसबंदी के अभियान चलाये थे. वहाँ से दरियागंज आया तो फुटपाथ पर किताबों की दुकाने लगी थीं. करीब दो घंटे घूमा, कई किताबें भी खरीदीं, पर नौटंकी की किताब नहीं मिली. दरियागंज के यह बाज़ार जो हर रविवार को लगता है भारत के सबसे बड़े पुस्तक बाज़ारों में से एक है. हिंदी अंग्रेज़ी के साहित्य की किताबें तो मिलती ही हैं, स्कूल और विश्वविद्यालय की किताबें और कभी कभी ध्यान से ढ़ूँढ़िये तो दुर्लभ पुरानी किताबें भी मिल सकती हैं. अगर आप को पढ़ना अच्छा लगता है तो इस बाज़ार में कुछ घंटे तो ऐसे बीतते हैं कि पता ही नहीं चलता.


वापस चावड़ी बाजार के मेट्ररो स्टेशन की ओर चला तो एक छत पर एक लड़का पालतू कबूतरों को उड़ाता दिखाई दिया. फिर एक छोटे बच्चे को एक रिक्शे पर अकेला बैठा देखा तो उसकी तस्वीर खींचने का दिल किया. कैमरा निकाला ही था कि मेरे चारों ओर बच्चे जमा हो गये. एक तेज़ बच्चा बोला कि पहले हमारी तस्वीर लीजिये, इन भेड़ों के साथ. तो पहले उनकी तस्वीर खींची और फिर रिक्शे पर बैठे बच्चे की.



अंत में वापस घर पहुँचा तो थक गया था और नौटंकी की किताब भी नहीं मिली थी, पर चावड़ी बाज़ार का यह दर्शन मुझे बहुत अच्छा लगा.

1 टिप्पणी:

  1. सुनील, अगर समय मिले तो श्रीराम सेंटर या राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में पता कीजिये, हो सकता है वहाँ आपको नौटंकी के बारे में किताब मिल जाये.

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