आदर्श प्रेमी या प्रेमिका ? कुछ बेतुका सा सवाल नहीं हैं यह क्या ? प्रेम क्या पूछ कर आता है किसी से या आने से पहले सर्वे करने का समय देता है ताकि आप सवाल जवाब कर सकें ? जब प्रेम का बुखार थोड़ा कम होता है और कुछ सोचने बूझने की समझ आती है, तब तक गुण अगुण गिनने के लिए बहुत देर हो चुकी होती है.
जब प्रत्यक्षा जी का संदेश पढ़ा "आप को टैग किया है" तो कुछ ठीक से समझ नहीं आया. फिर उनका आदर्श प्रेमी वाला लेख पढ़ा तो सोचा कि शायद अनूगूँज का नया तरीका निकला है. इन दिनों काम में ऐसा फँसा हूँ कि कुछ दिनों तक कुछ चिट्ठे लिखने पढ़ने का मौका ही नहीं मिला और मैं इस बात को भूल गया. आज सुबह सोचा कि कुछ चिट्ठे पढ़े जायें तो पाया कि यह टेगिंग रोग तो फ्लू से भी भयँकर रुप से फैल रहा है. सभी इस बीमारी में अटके हैं हाँलाकि विषय कुछ कुछ अदल बदल हो रहा है, कभी कोई प्रेमी प्रेमिका की बात करता है तो कभी कोई जीवन साथी की.
हीर राँझा और सोहनी महवाल जैसे प्रसिद्ध प्रेमियों का सोच कर तो यही ठीक लगता है कि आदर्श प्रेमी तो वही जो अपनी प्रेमिका को जीवन साथी बनाने से पहले ही खुदा को प्यारा हो जाये, यानि प्रेम को रुमानी धूँए में ही महसूस करे, उसे यथार्थ की कसौटी पर न परखे.
सोचने और सच में बहुत अंतर होता है. विद्यार्थी जीवन में सोचता था कि मुझे लम्बी, पतली, साँवली लड़कियाँ अच्छी लगती हैं, लेकिन प्यार हुआ उससे जिसमें इनमें से कोई भी बात नहीं थी. जब प्यार का बुखार आया तो दिमाग ने पहले के सभी विचारों को भुला दिया.
इसलिए अब लगता है कि अच्छा जीवन साथी मिलने के लिए गुणों की सूची नहीं, अच्छी किस्मत चाहिये. जो गुण मैं सोचता था कि मेरे जीवनसाथी में होने चाहियें, उनमें से बहुत कम हैं मेरी पत्नी में, पर उसमें वे बातें हैं जिनके बारे में प्रेम से पहले सोचा नहीं था. वाँछित गुणों की सूची, उम्र के साथ साथ बदलती रहती है.
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
इस वर्ष के लोकप्रिय आलेख
-
हिन्दू जगत के देवी देवता दुनिया की हर बात की खबर रखते हैं, दुनिया में कुछ भी ऐसा नहीं जो उनकी दृष्टि से छुप सके। मुझे तलाश है उस देवी या द...
-
अगर लोकगीतों की बात करें तो अक्सर लोग सोचते हैं कि हम मनोरंजन तथा संस्कृति की बात कर रहे हैं। लेकिन भारतीय समाज में लोकगीतों का ऐतिहासिक दृष...
-
अँग्रेज़ी की पत्रिका आऊटलुक में बँगलादेशी मूल की लेखिका सुश्री तस्लीमा नसरीन का नया लेख निकला है जिसमें तस्लीमा कुरान में दिये गये स्त्री के...
-
पिछले तीन-चार सौ वर्षों को " लिखाई की दुनिया " कहा जा सकता है, क्योंकि इस समय में मानव इतिहास में पहली बार लिखने-पढ़ने की क्षमता ...
-
पत्नी कल कुछ दिनों के लिए बेटे के पास गई थी और मैं घर पर अकेला था, तभी इस लघु-कथा का प्लॉट दिमाग में आया। ***** सुबह नींद खुली तो बाहर अभी ...
-
सुबह साइकल पर जा रहा था. कुछ देर पहले ही बारिश रुकी थी. आसपास के पत्ते, घास सबकी धुली हुई हरयाली अधिक हरी लग रही थी. अचानक मन में गाना आया &...
-
हमारे घर में एक छोटा सा बाग है, मैं उसे रुमाली बाग कहता हूँ, क्योंकि वो छोटे से रुमाल जैसा है। उसमें एक झूला है, बाहर की सड़क की ओर पीठ किये,...
-
हमारे एक पड़ोसी का परिवार बहुत अनोखा है. यह परिवार है माउरा और उसके पति अंतोनियो का. माउरा के दो बच्चे हैं, जूलिया उसके पहले पति के साथ हुई ...
-
२५ मार्च १९७५ को भी होली का दिन था। उस दिन सुबह पापा (ओमप्रकाश दीपक) को ढाका जाना था, लेकिन रात में उन्हें हार्ट अटैक हुआ था। उन दिनों वह एं...
-
गृत्समद आश्रम के प्रमुख ऋषि विद्यार्थियों को पढ़ा रहे थे, जब उन्हें समाचार मिला कि उनसे मिलने उनके बचपन के मित्र विश्वामित्र आश्रम के ऋषि ग...
आपने आठ आदर्श नहीं लिखे परंतु साहस दिखाया यह लिख कर कि'जो गुण मैं सोचता था कि मेरे जीवनसाथी में होने चाहियें, उनमें से बहुत कम हैं मेरी पत्नी में', शाबास. लेकिन उत्सुकता जरूर बनी हुई हैं कि आप कौनसे आठ आदर्श चाहते हैं (थे).
जवाब देंहटाएंआप शत प्रतिशत सही हैं. ऐसा है कि जब प्यार हो जाता है और बना रहता है तो साथी के सारे गुण आपके सोचे हुये गुणों को धाराशाई कर आपके ऊपर हावी हो जाते हैं. फ़िर लगता है कि पहले से जो मापदंड सोचा था ,खासा बेवकूफ़ाना था
जवाब देंहटाएंप्रत्यक्षा
सुनील जी, आप तो बड़े सस्ते में ही कन्नी काट गए!! ;)
जवाब देंहटाएंवैसे संजय भाई की तरह मैं भी जानने के लिए उत्सुक हूँ कि आप कौन से (आठ)गुण चाहते थे। और कुछ नहीं तो यही लिख दीजिए कि आपको श्रीमतीजी के कौन से गुण पसंद हैं। :)