बिना कुछ किये करोड़ रुपये बन जायें तो इसमें क्या बुरा है ? इसी चक्कर में बहुत से लोग अपना बहुत कुछ खो बैठे हैं, यह जान कर मुझे बहुत आश्चर्य हुआ. जर्मनी की फ्रीडा स्परिंगर बैक नाम की स्त्री पिछले 12 साल से नाईजीरिया की राजधानी लागोस में इसी चक्कर में हैं. उनका कहना है कि इस काम का विश्वकेन्द्र नाईजीरिया में ही है जहाँ हज़ारों लोग इस धँधे में लगे हैं. धोखाधड़ी की कानूनी धारा जिसे भारत में 420 कहते हैं, नाईजीरिया में 419 के नाम से जानी जाती है और फ्रीडा के अनुसार यह वहाँ का गृह उद्योग है जिससे नाईजीरिया बहुत विदेशी मुद्रा कमाता है.
यह धोखा बहुत पुराना है और पहले चिट्ठियों के द्वारा होता था, अंतरजाल के आविष्कार के बाद, ईमेल से इसे और भी तरक्की मिली है. फ्रीडा ने मुकदमा किया है फ्रेड आउडूआ पर जो इस धँधे का बादशाह कहलाते हैं और 12 साल से कोशिश कर रहीं हैं कि अपना पैसा वापस पा सकें और आउडूआ को जेल भिजवा सकें. जब बात चिट्ठियों से होती थी, इस धोखे के शिकार बनते थे केवल विकसित देशों के लोग, पर अब यह धोखा ईमेल से सारे विश्व में हो सकता है.
धोखे का तरीका बहुत आसान है. फ्रीडा को नाईजीरिया जाने का हवाई टिकट भेजा गया, वहाँ रहने के लिए पाँच सितारा होटल में मुफ्त ठहराया गया. उन्होने कहा कि मरने से पहले फ्रीडा के पति ने कुछ पैसा वहाँ एक प्राइवेट बिजलीघर में लगाया था जिसमें करोड़ों का फायदा हुआ. पर पैसे मिलने से पहले, फ्रीडा को टेक्स देना था और वकील की फीस, कुल रकम का १ प्रतिशत. फ्रीडा को विभिन्न तथाकथित बैंक आफिसरों से मिलाया गया, और सरकारी दफ्तरों में घुमाया गया, सब कुछ असली लगता था. सब खर्चों में फ्रीडा ने करीब 3,60,000 यूरो खर्च किये और तब समझीं कि धोखा था.
तब से फ्रीडा ने उन धोखेबाजों से लड़ने का फैसला किया है, वहीं लागोस में ठहर गयीं हैं. उनके जैसे धोखा खाये बहुत से लोगों ने उनके साथ जुड़ने का फैसला किया है. पहले तो श्री आउडुआ ने उन्हें गम्भीरता से नहीं लिया था, सोचा था थक कर यह औरत वापस अपने देश चली जायेगी पर वह इतनी जिद्दी निकलेंगी इसकी अब उन्हें भी चिंता होने लगी है और उन्होंने फ्रीडा को उसके पैसे वापस देना का वायदा किया है.
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आज दो तस्वीरें पिछले साल की, घर के पास एक खेत से जहाँ गर्मियों में पोपी के फ़ूल खिलते हैं. इस साल गर्मियाँ आने का नाम ही नहीं ले रहीं. कल रात का न्यूनतम तापमान था 5 डिग्री. अभी तक रात को रजाई ले कर सोना पड़ रहा है.
सुनील जी, मुझे भी ऐसे बहुत से संदेश आते हैं और मै मानता हूँ कि इतना खुशकिस्मत तो मै हो नही सकता, लिहाजा मै भी उन्हे कचराघर के हवाले करता हूँ।
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