मेडस्केप पर आजकल एक नई बहस शुरु हुई है मोटे डाक्टरों के बारे में. बहस का विषय है "क्या मोटे डाक्टर अपना काम करने के लिए उपयुक्त हैं?"
मोटा होना स्वास्थ्य के लिए हानीकारक माना गया है क्योंकि इससे बहुत सी बीमारियों जैसे हृदय रोग, रक्तचाप का बढ़ना, डायबाटीज़, इत्यादि के होने की सम्भावना बढ़ जाती है. प्रश्न यह है कि डाक्टर का काम क्या केवल दूसरों का इलाज करना और सलाह देना है या उन्हें स्वयं प्रेरणादायद उदाहरण बन कर रहना चाहिए? अगर कोई मोटा डाक्टर किसी दूसरे व्यक्ति को सैर करने, कसरत करने, खाना कम खाने और पतला होने की सलाह दे, तो उसका असर होगा या नहीं?
जब कोई बात खुद पर लागू होती है तो उसे पढ़ने की रुचि भी बढ़ जाती है. क्योंकि पिछले दस सालों में मेरा वजन भी करीब दस किलो से अधिक बढ़ा है तो इस बहस का प्रश्न पढ़ कर दिल पर तीर की तरह लगा. और तुरंत पढ़ने लगा. मेडस्केप डाक्टरों के लिए शिक्षा और नयी जानकारी पाने का वेबपृष्ठ है, जो मुफ्त है बस केवल रजिस्ट्रेशन करना पड़ता है.
बहस के प्रश्न के उत्तर देने वाले दो पक्षों में बँट गये हैं. एक ओर है रोबर्ट सेंटोर जैसे लोग जो कहते है कि डाक्टर कोई फिल्मी सितारा या फुटबाल का खिलाड़ी नहीं, उनका कर्तव्य है कि जनता को अच्छा उदाहरण दें और दूसरों के लिए प्रेरणात्मक जीवन जीयें. वह सिगरेट पीने वाले डाक्टरों की भी बात करते हैं और कहते हैं कि आज ऐसे डाक्टर धीरे धीरे कम हो रहे हैं और अगर मोटापे पर भी वैसा ही प्रचार किया जाये तो भविष्य में मोटे डाक्टर भी कम हो जायेंगे. वह कहते हैं कि मोटे डाक्टर की दूसरों को पतले होने की सलाह मरीज़ों द्वारा गम्भीरता से नहीं ली जायेगी.
बहस के दूसरे पक्ष में हैं पेन्नी मारकेत्ती जैसे लोग जो मानते हैं कि दुनिया में वैसे ही मोटे लोगों के विरुद्ध सोचना, उन्हें सुस्त, गंदा और बेवकूफ समझना जैसे विचार फ़ैले हुऐ हैं, और इस तरह की बात उठाने वाले डाक्टर कट्टरपंथी हैं जो मानव की कमजोरियों को नहीं समझ पाते और अपनी बात सही होने की सोच में इतने लीन होते हैं कि दूसरों से सुहानूभूति से बात नहीं कर पाते, इसलिए उनकी सलाह का कम असर पड़ता है. दूसरी ओर मोटे डाक्टरों में मरीज़ों की स्थिति के बारे में अधिक समझ और सुहानुभूति होती है और उनका सम्बंध अपने मरीज़ों से अधिक अच्छा होता है.
बीच में कुछ और लोग भी हैं जो डाक्टरों के अधिक काम के बोझ तले मरने की बात करते हैं, कहते हैं कि वैसे ही बेचारों के पास साँस लेने की फुरसत नहीं. उनके घरवाले पहले ही नाराज रहते हैं कि उनके पास घर और परिवार के लिए कुछ समय नहीं होता. अगर अब उन्हें मरीज़ों को प्रेरणा देने के लिए पतले होने के लिए अगर हर रोज कसरत करने के लिए एक घँटे का समय और निकालना पड़े, तो यह समय वे कहाँ से निकालें?
मुझे भी लगता है कि ठीक से रहो, ऐसे करो, वैसे न करो, जब जरुरत से ज्यादा होने लगे तो जीवन की खुशी कुछ कम हो जाती है. काफी न पियो, वाईन न पियो, ऊँची ऐड़ी के जूते न पहने, तंग कपड़े न पहने, मिठाई न खाओ ... उपदेश सुनने लगो तो कभी खत्म ही नहीं होते. और ऐसे लम्बे जीवन का क्या फ़ायदा जिसमें कुछ भी ऐसा न हो जिससे आनंद मिले?
और यह भी है कि आधुनिक जीवन में मोटा होना जैसे घोर पाप बन गया है. सुंदरता का जमाना है. अगर आप जवान, सुंदर, पतले नहीं तो आप की कीमत कुछ कम है. कुछ समय पहले हाँगकाँग में एक कपड़े की दुकान में घुसा तो वहाँ काम करने वाली पतली सी नवयुवती मेरी ओर भागी भागी आई, "नहीं, आप के लिए यहाँ कुछ नहीं मिलेगा". उसके चेहरे का भाव देख कर, "यह मोटू बूढ़ा यहाँ कैसे घुस आया", मन को धक्का सा लगा और बिना कुछ कहे दुकान से बाहर निकल आया, यह नहीं कहा कि मैं अपने लिए नहीं, बेटे के लिए कुछ लेना चाहता था.
पर यह भी है कि वजन अधिक होने से सुस्ती सी रहती है, कपड़े ठीक से नहीं फिट होते है, और आजकल कुछ पतले होने के चक्कर में खूब वर्जिश हो रही है. वजन कम हुआ या नहीं, यह देखने की अभी हिम्मत नहीं आई. डरता हूँ कि अगर मशीन पर चढ़ूँ और सूई अपने स्थान से घटने की बजाय बढ़ गयी होगी तो कितना धक्का लगेगा. पर यह मेरी कोशिश किसी को प्रेरणा देने के लिए नहीं है, यह सिर्फ मेरे अपने लिए है.
और आप क्या कहते हैं? मोटे डाक्टरों की सलाह को क्या आप मानेंगे? और अगर मोटे और पतले डाक्टरों में से चुनना हो तो किसे चुनेंगे?
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I would say that for personal reasons you might want to get fit. All doctors I have gone to have had a beer belly :)
जवाब देंहटाएंSomehow inspite of all the smoking, drinking, odd work hours and beer guts doctors do tend to live a long, relatively healthy life. Wishing the same for you.
मैंने आमतौर पर डॉक्टरों को फिट ही पाया है. कार्डियोलॉजी के डाक्टरों को कभी लिफ़्ट का प्रयोग करते नहीं देखा. तीन-चार मंजिल भी वे सीढ़ियों से चढ़ते हैं. हाँ, कुछ डाक्टरों को सिगरेट और शराब के एडिक्ट के रूप में पाया तो धक्का लगा.
जवाब देंहटाएंएक मज़ेदार अनुभव सुनाऊँ. एक डाक्टर से पुराने मरीज होने के कारण परिचय सा था. एक बार उन्हें अपनी समस्या बताने गया तो उन्होंने दवाई की पर्ची लिखने के बाद एक और पर्ची लिखी. मैं समझा कुछ और दवाई होगी. परंतु उन्होंने उसमें लिखा था ब्लेक लेबल वाइन की बोतल लाओ. उसके लिए उन्होंने बाकायदा मुझे पैसे भी दिए. बेचारे डाक्टर मरीजों में अति व्यस्त थे, अतः यह अशोभनीय कार्य मुझे करना पड़ा था :)
मैं पेनी मारकेत्ती के विचारों से सहमत हूँ - यह संभव है कि मोटे डॉक्टर की सलाह कुछ मरीज नही माने पर जो लोग इस वजह से सलाह नही मानते वो तो कसरत ना करने का कोई और बहाना भी निकाल सकते हैं। यह सर्व विदित सत्य है कि कसरत लाभकारी होती है। दूसरी बात यह की मोटापे को घटाने के अलावा डॉक्टर बहुत कुछ और भी करते हैं जिनमे उनके मोटापे से परेशानी नही आनी चाहिये। अंत में, दुनिया में डॉक्टरों की वैसे भी कमी है, और कम करने से मरीज़ों का नुकसान ही होगा। दुनिया का सबसे बड़ा झूठा भी सच बोलने की सलाह दे सकता है पर इससे उसकी सलाह की सत्यता तो कम नही हो जाती।
जवाब देंहटाएंदुबला आदमी अगर कुपोषण का शिकार है तो वो भी सुंदर नही मरियल दिखता है. कई मॉडल्स भी होती तो दुबली हैं लेकिन स्वस्थ्य नहीं होतीं.
जवाब देंहटाएंमोटापा अपने साथ बिमारियां लाता है. मोटा ना होने के आग्रह की बडी और सही वजह स्वास्थ्य हो सुंदर दिखना दूसरे नंबर पर हो. डाक्टर के पेशे का संबंध ही तन और मन के स्वास्थ्य से है.
डॉक्टर को हैंडसम दिखने के लिए नहीं बल्की "लीड बाई एक्ज़ाम्पल" के व्यक्तिगत नीयम के तहत स्वस्थ्य होना चाहिए - ये सिद्ध करने के लिए की अगर अपने व्यस्त दिन में वे अनुशासित रह सकते हैं तो दूसरे भी. क्या ये अपेक्षा उनके साथ ज्यादती है? नहीं है - क्योंकी डाक्टर अगर ये सिद्ध कर दें की नियमित व्यायाम सुबह उठ कर ब्रश करने जितना जरूरी है, और वो शरीर को वैसे है चाहिए जैसा सही संतुलित भोजन पानी तो समाज की प्रियारिटी अपने आप सही होने लगेगी.
डाक्टरों पर कितना अधिक दबाव होता है समाज का! :)
डाक्टरों की सलाह लेना ज़रूरी है चाहे वो मोटे हों या खुद बीमार ;) मैं ने सिगरेट पीते डाक्टर्स भी देखे हैं :) और सुनिलजी, मैं ये मोटे लोगों पर लेख पढ कर डर जाता हूं। सिर्फ तीन वर्ष पहले मेरी कमर 30cm थी और अब 34cm होगई है :( मैं कुछ ज़्यादा नही खाता शायद दुबई की हवा और पानी ने मुझे मोटा बना दिया।
जवाब देंहटाएंजिंदगी आपकी अपनी है, मोटा होना या पतला होना हर व्यक्ति विशेष का अपना निश्चय है और ९९ प्रतिशत आपका इस पर कोई नियंत्रण नही होता। पतला होना निश्चय ही लाभकारी है। पर जरूरी नही मोटे होकर आप कम स्वस्थ हों।
जवाब देंहटाएंमैने नियमित वर्जिश या योग के बाद भी लोगों का वजन बढते देखा है।
आपकी व्यावसायिक जिंदगी को व्यक्तिगत जिंदगी से मिश्रित करने का कोई भी कदम मुझे कभी ठीक नही लगता।
इतिहास गवाह है कि मरीजों ने ऐसे कितने मोटे डाक्टरों को उतना ही सम्मान और प्यार दिया है, जितना पतले डाक्टरों को।
किसी और का यह निर्णय करना कि आपको पतले होना चाहिये या मोटा, चाहे वह कोई भी हो, आपका विशेषाधिकार हनन है।
कई बार आदमी हारमोन के चलते भी मोटा हो जाता है, अब एक अच्छे मोटे डाक्टर और अपने काम में ठीक ठाक पतले डाक्टर में आप किसे चुनते हैं ये तो डाक्टर की कारीगरी से डिसाईड होगा ना।
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