मधु किश्वर का आऊटलुक में छपा लेख पढ़ कर दिल दहल गया. मानुषी जैसी पत्रिका निकालने वाली मधु जी का नाम जाना पहचाना है. अपने लेख में उन्होंने दिल्ली में कुछ जगह पर सड़कों पर सामान बेचने वालों के जीवन में सुधार लाने के लिए किये एक नये प्रयोग के बारे में लिखा है जिसका विरोध करने वाले कुछ स्थानीय गुँडों ने स्थानीय पुलिस वालों के साथ मिल कर उन पर तथा मानुषी के अन्य कार्यकर्ताओं पर हमले किये हैं. लेख पढ़ कर विश्वास नहीं होता कि हाईकोर्ट, गर्वनर, और यहाँ तक कि प्रधानमंत्री भी उन लोगों की रक्षा करने में असमर्थ हैं और इस प्रयोग के सामने आयीं रुकावटों को नहीं हटा पा रहे.
देश में कानून का नहीं स्थानीय गुँडों का राज चलता है यह तो तस्लीमा नसरीन, जोधा अकबर, मुम्बई में राज ठाकरे काँड जैसे हादसों से पहले ही स्पष्ट था. थोड़े से लोग चाहें तो मनमानी कर सकते हैं, पर सोचता था कि यह सब इसी लिए हो सकता है क्योंकि राजनीति में गुँडागर्दी का सामना करने का साहस नहीं क्योंकि वह वोट की तिकड़म का गुलाम है पर जान कर, चाह कर भी प्रधानमंत्री और गवर्नर कुछ नहीं कर पाते, इससे अधिक निराशा की बात क्या हो सकती है!
भारत दुनिया का सबसे बड़ा गणतंत्र है, आने वाले समय का सुपरपावर है और मुट्ठी भर लोगों के हाथ में कबुतर की तरह फड़फड़ाता है, अन्याय के सामने सिर झुका लेता है?
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
इस वर्ष के लोकप्रिय आलेख
-
हिन्दू जगत के देवी देवता दुनिया की हर बात की खबर रखते हैं, दुनिया में कुछ भी ऐसा नहीं जो उनकी दृष्टि से छुप सके। मुझे तलाश है उस देवी या द...
-
पिछले तीन-चार सौ वर्षों को " लिखाई की दुनिया " कहा जा सकता है, क्योंकि इस समय में मानव इतिहास में पहली बार लिखने-पढ़ने की क्षमता ...
-
अँग्रेज़ी की पत्रिका आऊटलुक में बँगलादेशी मूल की लेखिका सुश्री तस्लीमा नसरीन का नया लेख निकला है जिसमें तस्लीमा कुरान में दिये गये स्त्री के...
-
हमारे घर में एक छोटा सा बाग है, मैं उसे रुमाली बाग कहता हूँ, क्योंकि वो छोटे से रुमाल जैसा है। उसमें एक झूला है, बाहर की सड़क की ओर पीठ किये,...
-
हमारे एक पड़ोसी का परिवार बहुत अनोखा है. यह परिवार है माउरा और उसके पति अंतोनियो का. माउरा के दो बच्चे हैं, जूलिया उसके पहले पति के साथ हुई ...
-
कुछ दिन पहले "जूलियट की चिठ्ठियाँ" (Letters to Juliet, 2010) नाम की फ़िल्म देखी जिसमें एक वृद्ध अंग्रेज़ी महिला (वेनेसा रेडग्रेव...
-
अगर लोकगीतों की बात करें तो अक्सर लोग सोचते हैं कि हम मनोरंजन तथा संस्कृति की बात कर रहे हैं। लेकिन भारतीय समाज में लोकगीतों का ऐतिहासिक दृष...
-
भारत की शायद सबसे प्रसिद्ध महिला चित्रकार अमृता शेरगिल, भारत से बाहर कला विशेषज्ञों में उतनी पसिद्ध नहीं हैं, पर भारतीय कला क्षेत्र में उनका...
-
"हैलो, मेरा नाम लाउरा है, क्या आप के पास अभी कुछ समय होगा, कुछ बात करनी है?" मुझे लगा कि वह किसी काल सैन्टर से होगी और पानी या...
-
पाराम्परिक भारतीय सोच के अनुसार अक्सर बच्चों को क्या पढ़ना चाहिये और क्या काम करना चाहिये से ले कर किससे शादी करनी चाहिये, सब बातों के लिए मा...
यह एक कड़वी सच्चाई है लेकिन इस पर "मेरा भारत महान " का लेबल लगा है।सिर्फ कुर्सीयों का खेल है।जो शायद अब कभी बंद नही होगा।
जवाब देंहटाएंजनतंत्र सिर्फ नाम का है. गुन्डाराज एक पहलू है, रजनैतिक समीकरण् दूसरा. पर सबसे बडी बात जो मुझे दिखती है वो जन मे एक डेमोक्रटिक प्रक्रिया से सवालो के जबाब न तलाश् करने की खामी. हर समस्या का व्यक्तिगत समाधान सम्भव नही है. और कोई भी प्रक्रिया सिर्फ जोड-तोड और छोटे स्वार्थो मे दम तोड देती है.
जवाब देंहटाएंलोकतंत्र वोट का गुलाम होता है. वोट अगर गुण्डो के बल पर आयेंगे तो राज भी वही करेंगे.
जवाब देंहटाएं