यह सब बिकरी कराने के विषेशज्ञों का कमाल है, जो यह देखते हैं कि कैसे अपनी ब्रेंड बनायी जाये, कैसे अपने प्रोडक्ट को बाजार मे बिकने वाली उस जैसी अन्य सभी वस्तुओं से भिन्न बनाया जाया और कैसे मानव मन में छुपे डरों और विश्वासों का विज्ञापनमों में ऐसे प्रयोग किया जाये कि आप उनकी कम्पनी की वस्तु को ही खरीदें.
अगर आपने जीव विज्ञान पढ़ा है तो जानते ही होंगे कि यह दुनिया, आँखों से न दिखने वाले किटाणुओं से भरी है. ये मानव के लिए कोई हानी नहीं करते. मानव शरीर के अंदर भी ऐसे किटाणु भरे हैं, जो हमारे जीने के लिए जरुरी हैं और जब बिमार होने पर एंटीबायटिक लेने से यह किटाणु मर जाते हैं तो दस्त लगना और अन्य तकलीफें हो जाती हैं. एंटीबायटिक के गलत इस्तमाल की वजह से बहुत से किटाणु पर इन दवाईयों का असर होना बंद हो जाता है इसलिए नयी दवाईयों की खोज हमेशा जारी रहती है. ऐसे में, मेरे विचार में ऐसे विज्ञापन लोंगो को गलत विचार देते हैं और इन पर विश्वास नहीं करना चाहिये.
आज की तस्वीरें किटाणुओं से भरी हुई प्रकृति कीः


ये विज्ञापनों की दुनिया है.कल को यह भी हो सकता है कि आदमी को आदमी से खतरा बताया जाये.बच्चों के माध्यम से भावनात्मक शोषण किया जाता है.
जवाब देंहटाएंमैने एक कहानी पढी थी,कहानी तथा लेखक का नाम याद नही आ रहा है.
जवाब देंहटाएंदो बचपन के दोस्तो की कहानी थी जो बाद मे अलग अलग रास्तो मे चले जाते है.
एक दोस्त शहर मे आकर टॊर्च बेचना शुरू कर देता है, टोर्च बेचने के लिये वह भरी दोपहरी मे लोगो को अंधेरे का डर, सांप बिच्छु का भय दिखा कर टॊर्च बेचा करता था.
विज्ञापन कुछ ऐसे ही होते है, पहले लोगो को डराओ, फिर अपना उत्पाद बेचो.
कहानी मे आगे वह राजनीती मे आ जाता है. यहां भी वह लोगो को डराना शुरू कर वोट बटोरना शुरू कर देता है. अंतर सिर्फ इतना होता है कि पहले वो अंधेरे का भय दिखाता था, अब धर्म जाति का डर दिखाता था.