मौसम का हाल बता रहे हैं, टेलिविजन पर फिल्म देखने का यही तो मजा है कि बीच बीच में आप को कुछ और सोचने पर मजबूर कर देते हैं, कह रहे हैं कि गरम और ठँडी हवाओं के मिलने से बादल छाने और बारिश होने की सम्भावना है पर मुझे बाथरुम जाना है और वहाँ सोच रहा हूँ कि अगर कार की खिड़की खोल दी जाये और बाहर गरमी हो और अंदर ठँडी एयरकंडीनशीनिंग पूरी चला दी जाये तो क्या गरम और ठँडी हवा के मिलने से कार के भीतर भी बादल बन सकते हैं और फिर ऐसा हो कि कार के बीतर बारिश हो और बाहर सूखा रहे ? और अगर सूखा छाया हो और कई हजार कारें साथ साथ ऐसा करें तो क्या वहाँ इतने बादल छा बन जाये कि बारिश हो सकती है, ऐसे सवाल मुझे याद दिलाते हैं कि भौतिकी या रसायन शास्त्र में कमजोर होने का यही फायदा है कि आप यह सवाल किसी और के सामने रखें और पूँछें.
अपने हिंदी के चिट्ठे लिखने वालों में से कई इन्जीनियर और वैसे ही महानुभाव हैं, वे अवश्य दे सकेंगे मेरे सवाल का उत्तर. उन्हें संदेश भेजूँगा, ले जइयो बदरा संदेशवा, जाने किस राग में गाया है यह गाना, राग मल्हार होगा जिससे बारिश आती है, जिसे मियाँ तानसेन जी अकबर के दरबार में फतहपुर सिकरी में गाते थे, आस पास फुव्वारे और बीच में बैठे हुए तानसेन जी जब राग मल्हार गायेंगे तो बारिश आ जायेगी लेकिन अगर बादल राग मल्हार गा कर बरस जायेंगे तो संदेश कौन ले कर जायेगा, क्योंकि बरसने के बाद तो बादलों का न बाँस रहेगा न बजेगी बाँसुरी ? बाथरुम की यही तो खासियत है, जाने कैसी ऊल जलूल बातें आती हैं दिमाग में.
कैसा लगा आप को मेरा संज्ञा धारा (stream of consciousness) में लिखने का यह प्रयास ? आज की एक तस्वीर जहाज से दिखते एल्पस् पहाड़ों और बादलों की.

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