मेरी अस्सिटेंट का नाम है "फ़ैलीचिता" जिसका इतालवी में अर्थ है "खुशी" पर कभी कभी उसका हिंदी अर्थ सोच कर अजीब सा लगता है. हमारे दफ्तर में तीन अन्य नाम हैं जिनके हिंदी अर्थ कुछ और ही होंगेः "मारा" यानि समुद्री, "मारियो" जो संत का नाम है और "पिया" यानि भक्त. मैं कभी कभी मारा को कहता, "मारा तुझे किसने मारा?" और हँसता पर वह समझ नहीं पाती कि मैंने क्या कहा.
इटली में अधिकतर नाम किसी संत के नाम पर रखे जाते हैं. यहाँ के कैलेण्डर में साल का हर दिन एक संत के नाम से जुड़ा होता है. जैसे ११ नवंबर था संत मार्तीनो, १२ नवंबर था संत रेनातो, आज १३ नवंबर है संत और कल १४ नवंबर होगा संत अगोस्तीना. अधिकतर लोगों को बच्चों के नाम चुनने के लिए "नामों की किताब" की आवश्यकता नहीं पड़ती, बस कैलेण्डर देख कर जितने संतो के नाम हैं उनमे से एक चुन लेते हैं. इन नामों के अर्थ नहीं होते. अगर लड़का हो तो नाम अधिकतर "ओ" पर स्माप्त होगा और लड़की हो तो नाम अधिकतर "आ" पर स्माप्त होते हैं. जिस दिन आप के नाम वाले संत का दिन हो, वह आप का ओनोमास्तिको दिन बन जाता है, यानि एक तरह का जन्मदिन.
एक उदाहरण से बात स्पष्ट हो जायेगी. मान लीजिये आप के यहाँ बेटी पैदा हुई है और आप को संत रेनातो का नाम अच्छा लगता है तो आप अपनी बेटी का नाम "रेनाता" रख सकते हैं, और आप की बेटी के साल में दो तरह के जन्मदिन मनाये जायेंगे, एक उसकी जन्मतिथि पर और दूसरा, १२ नवंबर को जब उसका ओनोमास्तिको मनाया जायेगा.
चूँकि साल में ३६५ दिन होते हैं, इसलिए इटली में ३६५ नाम प्रचलित हैं. उनको भिन्न करने के लिए कई बार लड़कियों के नाम में संत के नाम के बाद "पिया" या "ग्रात्सिया" (कृपा) जैसे शब्द जोड़ दिये जाते हैं. इसी तरह, लड़कों को दो संतों के नाम मिला कर दो नाम दे दिये जाते हैं जैसे "जानलूका" जो संत जान्नी और संत लूका के नामों को मिला कर बना है. कभी कभी माता पिता बच्चों को उन संतों के नाम से अलग कोई नाम दे देते हैं जैसे फ़ैलीचिता, पर अगर उनका जन्म सार्टिफिकेट देखिये तो अधिकतर पायेंगे कि उनका एक और नाम है, संत के नाम वाला, जिसका वह आम जीवन में प्रयोग नहीं करते पर उस दिन ओनोमास्तिको मनाते हैं.
इतालवी टेलीफोन डायरेक्टरी के अनुसार मारियो और मारिया सबसे अधिक प्रचलित इतालवी नाम हैं. केवल ३ लाख की आबादी वाले बोलोनिया शहर में ६०० से अधिक मारियो रहते हैं. मेरे एक मित्र का नाम है अंतोनियो, उसके साले का नाम भी अंतोनियो है और साली के पति का नाम भी अंतोनियो है. चूँकि नाम इस तरह से मिल कर गलतफहमी पैदा करने की स्थितियां पैदा कर देते हैं, इतालवी संस्कृति में पारिवारिक नाम यानि सरनेम को अधिक महत्व दिया जाता है. अक्सर लोग एक दूसरे को उनके पारिवारिक नाम से बुलाते हैं और इतालवी फोर्म, सर्टीफिकेट आदि पर पहले पारिवारिक नाम आता है, फिर नाम.
***
कल के चिट्ठे की बात को ले कर कालीचरण जी ने मोटापे के बारे में पूरा चिट्ठा लिख दिया. कल जब चिट्ठे में तस्वीरें लगा रहा था तो पीछे श्रीमति जी पीछे आ कर खड़ी हो गयीं. १९८६ की बिबियोने की तस्वीर देख कर बोलीं, "कितने पतले थे तुम तब. मैं तो बिल्कुल भूल गयी थी कि कभी तुम पतले भी थी! मेरे ख्याल से तुम्हें कुछ व्यायाम वगैरा करना चाहिये."
***
आज की तस्वीरें हैं रोम सेः
रविवार, नवंबर 13, 2005
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
इस वर्ष के लोकप्रिय आलेख
-
हिन्दू जगत के देवी देवता दुनिया की हर बात की खबर रखते हैं, दुनिया में कुछ भी ऐसा नहीं जो उनकी दृष्टि से छुप सके। मुझे तलाश है उस देवी या द...
-
अगर लोकगीतों की बात करें तो अक्सर लोग सोचते हैं कि हम मनोरंजन तथा संस्कृति की बात कर रहे हैं। लेकिन भारतीय समाज में लोकगीतों का ऐतिहासिक दृष...
-
अँग्रेज़ी की पत्रिका आऊटलुक में बँगलादेशी मूल की लेखिका सुश्री तस्लीमा नसरीन का नया लेख निकला है जिसमें तस्लीमा कुरान में दिये गये स्त्री के...
-
पिछले तीन-चार सौ वर्षों को " लिखाई की दुनिया " कहा जा सकता है, क्योंकि इस समय में मानव इतिहास में पहली बार लिखने-पढ़ने की क्षमता ...
-
पत्नी कल कुछ दिनों के लिए बेटे के पास गई थी और मैं घर पर अकेला था, तभी इस लघु-कथा का प्लॉट दिमाग में आया। ***** सुबह नींद खुली तो बाहर अभी ...
-
सुबह साइकल पर जा रहा था. कुछ देर पहले ही बारिश रुकी थी. आसपास के पत्ते, घास सबकी धुली हुई हरयाली अधिक हरी लग रही थी. अचानक मन में गाना आया &...
-
हमारे घर में एक छोटा सा बाग है, मैं उसे रुमाली बाग कहता हूँ, क्योंकि वो छोटे से रुमाल जैसा है। उसमें एक झूला है, बाहर की सड़क की ओर पीठ किये,...
-
हमारे एक पड़ोसी का परिवार बहुत अनोखा है. यह परिवार है माउरा और उसके पति अंतोनियो का. माउरा के दो बच्चे हैं, जूलिया उसके पहले पति के साथ हुई ...
-
२५ मार्च १९७५ को भी होली का दिन था। उस दिन सुबह पापा (ओमप्रकाश दीपक) को ढाका जाना था, लेकिन रात में उन्हें हार्ट अटैक हुआ था। उन दिनों वह एं...
-
गृत्समद आश्रम के प्रमुख ऋषि विद्यार्थियों को पढ़ा रहे थे, जब उन्हें समाचार मिला कि उनसे मिलने उनके बचपन के मित्र विश्वामित्र आश्रम के ऋषि ग...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
"जो न कह सके" पर आने के लिए एवं आप की टिप्पणी के लिए धन्यवाद.