१२ मार्च के जिस लेख की बात की थी वह जनसत्ता में नहीं अंग्रेजी के अखबार The Asian Age (sunday supplement) में निकला था. क्योंकि हिंदी के चिट्ठों की बात थी, और मुझे मालूम था कि छोटी बहन का यहाँ "जनसत्ता" आता है, मैंने स्वयं ही तुक लगा लिया था कि लेख जनसत्ता में निकला होगा.
उस लेख को स्केन करके आपको दिखाने में मैं असमर्थ हूँ पर शायद कोई उसे The Asian Age के वेबपृष्ठ से ढ़ुँढ़ सकता है ? मैंने कोशिश की पर सफलता नहीं मिली.
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
इस वर्ष के लोकप्रिय आलेख
-
हिन्दू जगत के देवी देवता दुनिया की हर बात की खबर रखते हैं, दुनिया में कुछ भी ऐसा नहीं जो उनकी दृष्टि से छुप सके। मुझे तलाश है उस देवी या द...
-
अगर लोकगीतों की बात करें तो अक्सर लोग सोचते हैं कि हम मनोरंजन तथा संस्कृति की बात कर रहे हैं। लेकिन भारतीय समाज में लोकगीतों का ऐतिहासिक दृष...
-
अँग्रेज़ी की पत्रिका आऊटलुक में बँगलादेशी मूल की लेखिका सुश्री तस्लीमा नसरीन का नया लेख निकला है जिसमें तस्लीमा कुरान में दिये गये स्त्री के...
-
पिछले तीन-चार सौ वर्षों को " लिखाई की दुनिया " कहा जा सकता है, क्योंकि इस समय में मानव इतिहास में पहली बार लिखने-पढ़ने की क्षमता ...
-
पत्नी कल कुछ दिनों के लिए बेटे के पास गई थी और मैं घर पर अकेला था, तभी इस लघु-कथा का प्लॉट दिमाग में आया। ***** सुबह नींद खुली तो बाहर अभी ...
-
सुबह साइकल पर जा रहा था. कुछ देर पहले ही बारिश रुकी थी. आसपास के पत्ते, घास सबकी धुली हुई हरयाली अधिक हरी लग रही थी. अचानक मन में गाना आया &...
-
हमारे घर में एक छोटा सा बाग है, मैं उसे रुमाली बाग कहता हूँ, क्योंकि वो छोटे से रुमाल जैसा है। उसमें एक झूला है, बाहर की सड़क की ओर पीठ किये,...
-
हमारे एक पड़ोसी का परिवार बहुत अनोखा है. यह परिवार है माउरा और उसके पति अंतोनियो का. माउरा के दो बच्चे हैं, जूलिया उसके पहले पति के साथ हुई ...
-
२५ मार्च १९७५ को भी होली का दिन था। उस दिन सुबह पापा (ओमप्रकाश दीपक) को ढाका जाना था, लेकिन रात में उन्हें हार्ट अटैक हुआ था। उन दिनों वह एं...
-
गृत्समद आश्रम के प्रमुख ऋषि विद्यार्थियों को पढ़ा रहे थे, जब उन्हें समाचार मिला कि उनसे मिलने उनके बचपन के मित्र विश्वामित्र आश्रम के ऋषि ग...
12th मार्च का अखबार तो ये रहा अब तो ढूंढ ही लोगे।
जवाब देंहटाएंकोई दिन आगे पीछे करना हो तो selpg की वैल्यू को घटा बढा लेना।
जीतू भाई, देबू भईया का जो लेख बतिया रहे हो, कहीं वह यह तो नहीं? पर यह देबू भईया ने नहीं लिखा है, यह सज्जन तो कोई और ही हैं, हाँ देबू भाई का सचित्र ज़िक्र अवश्य इसमें है। :)
जवाब देंहटाएं