रविवार, सितंबर 24, 2006

क्या बोलता तुम?


कुछ दिन पहले आमिर खान का नया कोका कोला का विज्ञापन देखा तो कुछ अजीब सा लगा. आमिर खान मुझे अच्छे लगते हैं और उनकी कई फिल्में मुझे बहुत पसंद हैं. उनके पहले भी बहुत से विज्ञापन देखे थे जिनमें वे विभिन्न भेष रुप बदल कर "कोक यानि ठँडा" कहते थे, जो मुझे अच्छे लगे थे, तो फ़िर इस बार क्या हुआ जो ठीक नहीं लगा?

कुछ सोचा पर ठीक से समझ नहीं पाया कि क्यों मुझे अच्छा नहीं लगा, और पिछले कुछ दिनों में जब भी वह विज्ञापन देखने का मौका मिला, बार बार लगता कि इस तरह का विज्ञापन दे कर आमिर खान ने कुछ ठीक नहीं किया.

मैं मानता हूँ कि कोका कोला एक व्यवसायिक कम्पनी है और उसका धर्म है अपना सामान बेचना. दूसरी ओर आमिर खान भी व्यवसायिक अभिनेता हैं और उनका काम है अपनी कला, अपना चेहरा बेचना. अगर किसी जगह पर दोनो के व्यवसायिक सम्बंध बनते हैं तो इसमें अच्छा या बुरा सोचने की बात नहीं, अगर आप को पसंद आये तो ठीक, नापसंद आये तो भी किसी को क्या फ़र्क पड़ता है!

पर कभी कभी अभिनेता भी अपने व्यवसायिक जीवन से बाहर अपने निजी जीवन में अपनी पसंद नापसंद और सही या गलत के विचार रख सकता है. आमिर खान ने कुछ महीने पहले नर्मदा बाँध के बारे जब बोला था तो वह अभिनेता नहीं उनके निजी विचारों की बात थी.

कहने का अर्थ है, अभिनेता पैसे ले कर, भेस बदल कर, किसी के लिखे डायलाग बोल दे तो वह उसका काम है पर अगर वह अभिनेता के पीछे छिपे व्यक्ति की तरफ से जनता के सामने आ कर कुछ कहता तो यह दूसरी बात है. शायद यही बात है जो मुझे अच्छी नहीं लगी, आमिर खान के नये विज्ञापन में, कि इस विज्ञापन में वह उत्तर प्रदेश का भैया या जापानी पर्यटक या खेतों में काम करने वाला पंजाबी युवक बन कर नहीं, स्वयं आमिर खान की तरफ से बात करते हैं.

हो सकता है कि आमिर ने विज्ञापन से पहले कोका कोला के बोतल चढ़ाने के सारे काम को स्वयं ठीक से जाँचा परखा हो, उन्हें पूरा भरोसा हो कि उसको बनाने के पानी में कोई प्रदूषण नहीं है, और उसके पीने में प्रदूषण के पदार्थों की वजह से कोई खतरा नहीं है पर मेरा विचार है कि इसके लिए वह अभिनेता बन कर कोई अन्य रुप धारण करके कहते, अपनी तरफ से नहीं.

बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के पास बहुत तरीके होते हैं सच को छुपाने के, उसे घुमा फ़िरा कर दिखाने के, अपनी अपार ताकत के बस पर वह कुछ भी कर सकते हैं.

केरल में आदिवासी महिलाओं के कोका कोला के विरुद्ध आँदोलन के बारे में कुछ पढ़ा था. उनका कहना है कि वहाँ 260 कूँए सूख गये हैं, जो पानी है वह प्रदूषित हो गया है, जब कि कोका कोला वाले गहरे कूँए खोद कर पानी को निकाल सकते हैं. एक लिटर कोका कोला को बनाने के लिए 9 लिटर पानी चाहिए और कोका कोला वहाँ की प्राकृतिक सम्पदा को नष्ट कर रहे हैं. और भी ऐसी अनेक बातें पढ़ीं हैं. क्या वह सब बातें केवल बहूरा्ष्ट्रीय कम्पनियों के विरुद्ध राष्ट्रवादियों की फ़ैलाई अफवाहें हैं?

दुनिया के विभिन्न देशों में बहुराष्ट्रीय कम्पिनयों के इतिहास को पढ़ कर लगता है कि उनकी अपार ताकत से लड़ना आसान नहीं हैं और अपने जन सम्पर्क विभागों द्वारा, ऊँचे अधिकारियों को घूस दे कर और विज्ञापनों से वह किसी को भी झूठा साबित कर सकते हैं. ऐसे में आमिर खान का कोका कोला को अपने काम का नहीं, बल्कि अपने नाम का सहयोग देना मुझे कुछ ठीक नहीं लगा.

5 टिप्‍पणियां:

  1. आप द्वारा इस विषय पर लिखा देख अच्छा लगा. जब यह विज्ञापन पहली बार देखा तो इसकी नकल कर खुब हँसे थे.
    "मैं यह सब यूँ ही नहीं कह रहा, मैंने इतने करोड़ लिए हैं इसलिए कह रहा हूँ"
    हम जानते हैं यह सब विज्ञापनी झुठ हैं, पर अभिनेताओं को आदर्श मानने वाले क्या बहकेगें नहीं?

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  2. मुझे भी अजीब-सा लगा. आमिर ख़ान के इस कृत्य पर मुझे हैरानगी है. बाज़ार ने हमारी वैचारिक स्वतंत्रता को जकड़ लिया है. अब लगता है कि ब्रांड बड़ा है विचार नहीं. झूठ क्या है सच क्या है ये तो तभी तय होगा जब भारत सरकार शीतलपेय के लिए मानक तय कर दे. रिश्वतखोरों ने इसे लागू करने में बहुत देर कर दी है. मुझे इंतज़ार है कि कोई इन पर लगाम लगाए. वरना तब तक क़ानून कुछ नहीं कर सकेगा और आम जनता को इन दैत्याकार कंपनियों की मनमानियां झेलनी ही पड़ेगी.

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  3. केरल के कोर्ट ने कोला को फिज़ वापिस दी--यह कल की खबर थी।
    पर लोग स्वयं ही जागरुक हो रहे है । कुछ रोज़ पहले एक बच्चों की पार्टी में एक बच्ची को कोला मतलब टायलेट क्लीनर कहकर पय लेने से इंकार करते देख अच्छा लगा।

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  4. हा बढिया लिखा है - ये हुई ना बात, ब्लॉग तो बढिया लग हा है काश अगर आप हमारे आंगन (वर्डप्रेस डात कॉम) परर होते तो और भी मज़ा आता।

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  5. भारतिय नेता और अभिनेता पैसे और नाम के लिये कुछ भी कर सकते है।
    मुझे कोई आश्चर्य नही हुआ आमीर की इस हरकत पर !

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"जो न कह सके" पर आने के लिए एवं आप की टिप्पणी के लिए धन्यवाद.

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