सोमवार, जुलाई 30, 2007

शाहरुख का कमाल

इटली में हिंदी सिनेमा के बारे में बहुत कम जानकारी है. एक तरफ है समानान्तर सिनेमा जो हमेशा से ही फिल्म फेस्टिवलों के माध्यम से जाना जाता है, इसकी जानकारी इटली में भी है. नसीरुद्दीन शाह, शबाना आज़मी जैसे कलाकारों को इन समाराहों में जाने वाले लोग जानते हैं, पर आम व्यक्ति को इसकी जानकारी न के बराबर है. फिल्म समारोहों में आने वाली फिल्में विभिन्न शहरों में "सिनेमा द एसाई" यानि प्रायोगिक सिनेमा नाम के कुछ सिनेमाघर होते हैं जहाँ दिखाई जाती हैं. इस तरह के सिनेमाघरों में नारी भ्रूण हत्या के विषय पर बनी "मातृभूमि" पिछले वर्ष बहुत देखी तथा सराही गयी. पर बात वहीं तक आ कर रुक जाती है, यानि थोड़े से लोग जिन्हें गम्भीर सिनेमा पसंद है वह वहाँ यह फिल्में देखते हैं.

आम लोग जो सिनेमाहाल में फिल्म देखने जाते हैं उन्हें भारतीय फिल्मों के बारे में कुछ नहीं मालूम.

इस बारे में पिछले कुछ वर्षों में कुछ बदलाव आने लगा है. कुछ वर्ष पहले शाहरुख कान की फिल्म "अशोक" वेनिस फिल्म फेस्टिवल के समय दिखायी गयी हालाँकि वह पुरस्कार प्रतियोगिता में नहीं थी. पर वेनिस फिल्म फेस्टिवल ने लोकप्रिय हि्दी फिल्मों को अभी तक नहीं अपनाया है जैसे कि फ्राँस के कान फेस्टिवल में होने लगा है. फ्राँस में हिंदी फिल्म समारोह होने लगे हैं, कुछ हिंदी फिल्में प्रदर्शित भी हुई हैं. मेरी एक फ्रँसिसी मित्र ने कुछ दिन पहले मुझे लिखा था कि उसने डीवीडी पर "कभी खुशी कभी गम" देखी जो उसे बहुत अच्छी लगी, पर इस तरह की डीवीडी यहाँ इटली में नहीं मिलती. कुछ वर्ष पहले आमिर खान की फिल्म "लगान" अव्श्य डीवीडी पर आई थी पर न ही इसका ठीक से विज्ञपन दिये गये, न ही कोई चर्चा हुई.



बोलोनिया भारतीय एसोसियेशन के माष्यम से हम लोग भी भारतीय फिल्मों को लोकप्रिय करने का प्रयास कर रहे हैं, पर यह आसान नहीं, क्योंकि फिल्मों में इतालवी के सबटाईटल नहीं होते, होते भी हैं तो शायद कम्पयूटर से भाषा का अनुवाद किया जाता है जो समझ में नहीं आते या फ़िर कई बार गलत अर्थ बना देते हैं.

कल रात को बोलोनिया में पहली बार एक लोकप्रिय हिंदी सिनेमा की फिल्म दिखाई गयी, यश चोपड़ा की "वीर ज़ारा". शहर के पुराने हिस्से में नगरपालिका भवन के सामने बहुत बड़ा खुला चौबारा है, वहाँ खुले में सिनेमा का पर्दा लगाया गया है और करीब चार हज़ार दर्शकों के बैठने की जगह है. पिछले दिनों वहाँ अमरीकी फ़िल्में दिखा रहे थे और कल रात को इस समारोह के अंतिम दिन में भारतीय फ़िल्म दिखाने का सोचा गया था. हम लोग सोच रहे थे कि इतने लोग कहाँ आयेंगे और बोलोनिया फि्लम सँग्रहालय की तरफ से हमने सब लोगों को ईमेल भेजे, टेलीफोन किये और कहा कि भारत की इज़्ज़त का सवाल है और सब लोगों को आना चाहिये.



फ़िल्म शुरु होने से दो घँटे पहले ही लोग आने शुरु हो गये. बोलोनिया में भारतीय तो कम ही हैं पर बँगलादेश और पाकिस्तान के बहुत लोग हैं, अधिकतर उनके ही परिवार थे, बाल बच्चों समेत, सब लोग सजधज कर यूँ आ रहे थे मानो किसी की शादी पर आये हों. जब फिल्म प्रारम्भ होने का समय आया तो हर जगह लोग ही लोग थे, कुर्सियाँ भर गयीं तो लोग आसपास जहाँ जगह मिली वहीं बैठ गये. अंत में करीब सात आठ हज़ार लोग थे. समारोह वाले बोले कि इतनी भीड़ तो किसी अन्य फ़िल्म में नहीं हुई थी.

भीड़ से भी अधिक उत्साहमय था लोगों का फिल्म में भाग लेना. गाना होता तो लोग सीटियाँ बजाते, हीरो हिरोईन गले लगे तो लोगों ने खूब तालियाँ बजायीं. बहुत से इतालवी लोगों में मुझसे शाहरुख खान के बारे में पूछा, बोले कि बहुत ही एक्सप्रेसिव चेहरा है, कुछ भी बात हो उसके चेहरे से भाव समझ में आ जाता है नीचे सबटाईटल पढ़ने की आवश्यकता नहीं पड़ती. कई लोग बोले कि शाहरुख खान की कोई अन्य फ़िल्म दिखाईये!

अब हम लोग सोच रहे हैं कि अप्रैल में एक और भारतीय फ़िल्म समारोह का आयोजन किया जाये.

7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छे. शाहरूख विदेश मे हिट है, मामला फिट है. ;)

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  2. मैं विर-जारा टाइप फिल्मे नहीं देखता, मगर विदेश में फिल्म की प्रशंसा सुन अच्छा लगा. हिन्दी फिल्मे दिखते-दिखाते रहें, शुभकामनाएं, बधाई.

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  3. भाषा इस काम में एक बहुत बड़ी बाधा है। उदाहरण के तौर पर आपके पुत्र मार्को को हिन्दी नहीं आती। नई भारतवंशी पीढ़ी जो न हिन्दी पढ़ स‌के न स‌मझ स‌के उसे हिन्दी फिल्में क्यों पसंद आने लगीं।

    स‌ाथ ही हिन्दी फिल्में क्वालिटी के तौर पर पश्चिमी स‌िनेमा स‌े बहुत पीछे हैं, यह भी स‌त्य है। स‌ाल में एक दो ही उल्लेखनीय फिल्में बनती हैं।

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  4. आजकल शाहरुख़ खान विदेशों मे काफी धूम मचा रहे है।
    किसी ज़माने मे विदेश मे राज कपूर और नरगिस बहुत लोकप्रिय हुआ करते थे।
    कहने का मतलब है हिंदी फ़िल्में विदेशों मे पसंद की जाती है।

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  5. Wah ! Ye to badhiya raha ...Veer Zara ka sangeet pasand aaya ya nahee ?
    Bhartiya filmon mei Geeton ki badi ahmiyat rehti hai .
    Western world mei to jyadatar Bhartiya log ya koyee Firangee jisko Bhartiya film dekhne ka shauk hai, sirf wahee log HINDI cinema dekhne ikaththa hote hain.
    Raj Kapoor aur Nargis Soviet Russia mei famous hain.
    America mei to Lindsy Lohan, Brittney Spear aur Paris Hilton
    ka bolbala hai aaj kal in mass media.

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  6. कई साल पहले, जापान में एक सज्जन से मुलाकात हुयी, उन्होंने पूछा कि 'आ गले लग जा' के क्या मायने हैं. मैंने उन्हें अंग्रेज़ी में इसका मतलब बताया और पूछा कि उनको ये हिन्दी शब्द कैसे पता चले. साहब ने ख़ुलासा किया कि वो शशि कपूर के बहुत बड़े भक्त हैं और उनकी सारी फिल्में हांग-कांग से मंगवा कर देखते हैं.
    बताइये, शशि कपूर के फैन और वो भी जापान में. ताज्जुब होता है.

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  7. 'Bahar se budhau bheetar se Hritik Roshan'main tumhare bachpan ka ek kissa belatedly add kiya hai.Zaroor padhna!

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"जो न कह सके" पर आने के लिए एवं आप की टिप्पणी के लिए धन्यवाद.

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