अच्छा, कौन है लेखक? मैंने उत्सुक्ता से पूछा, क्योंकि इटली में रहने वाला कोई भारतीय लेखक भी है यह मुझे मालूम नहीं था. पता चला कि कोई ज़हूर अहमद ज़रगार नाम के लेखक हैं जो कि कश्मीर से हैं और पश्चिमी उत्तरी इटली में सवोना नाम के शहर में रहते हैं जिन्होंने भारतीय कहानियों पर किताब लिखी है.
जब किताब मिली तो देख कर कुछ आश्चर्य हुआ, उस पर शिव, पार्वती और गणेश की तस्वीर थी. जब नाम सुना था और यह जाना था कि ज़हूर कश्मीर से हें तो मन में छवि सी बन गयी थी कि अवश्य भारत विरोधी, कट्टर किस्म के व्यक्ति होंगे. किताब पढ़नी शुरु की तो बहुत अच्छी लगी. अहमद, किताब का हीरो लखनई रेलवे स्टेशन पर फ़ल बेचता है और माँ की चुनी लड़की से विवाह के सपने भी, पर अचानक एक दिन स्टेश्न पर उसकी मुलाकात एक व्यास गिरी नाम के साधू से होती है और वह सब कुछ छोड़ कर यात्रा पर निकल पड़ता है. अलग अलग शहरों में उसकी मुलाकात विभिन्न लोगों से होती है और यात्रा की कहानी में अन्य कई कहानियाँ जुड़ती जातीं हैं पर उसे किस चीज़ की तलाश है यह वह समझ नहीं पाता.
उनके बारे में खोज की पता चला कि वह उत्तर पश्चिमी इटली के लिगूरिया प्रदेश में मुस्लिम एसोशियेशन के अध्यक्ष हैं. ऐसी एसोशियोशनों और उनसे जुड़े लोगों के बारे में मन में जो तस्वीर थी उसमें लेखक ज़हूर फिट नहीं बैठता था. अंतर्जाल पर उनके लिखे कुछ लेख पढ़े जिसमें उनका उदारवादी, आधुनिक मुस्लिम दृष्टिकोण झलकता था तो उनसे ईमेल के द्वारा सम्पर्क किया.
परसों रात को अचानक उनका टेलीफ़ोन आया, बोले, बोलोनिया एक मीटिंग में आ रहा हूँ, क्या मिल सकते हैं?
तो कल उनसे मुलाकात भी हुई. श्रीनगर से हैं वह और भारत में उनकी सोने के गहनों की दुकाने थीं. पत्नी उनकी इटालवी हैं और जब कश्मीर में हालात बिगड़े तो वह अपनी पत्नी और बच्चों के साथ यहाँ इटली में आ गये और करीब बीस साल से यहीं रहते हैं. बिसनेस के साथ साथ उन्होंने लिखना भी शुरु किया और कई किताबें छप चुकीं हैं. कहते हें कि पहले उर्दू में लिख कर उसका इतालवी में अनुवाद करते थे पर अब तो सीधा ही इतालवी में लिखते हैं.
बोले कि वह बोलोनिया इतालवी राष्ट्रीय मुस्लिम एसोसियेशन की मीटिंग में आये थे और उनका ध्येय है कि वृहद मुस्लिम समाज को भारतीय ध्रमों के साथ मिल जुल कर रहने के बारे में बता सकें. "मैं बहुत धार्मिक नहीं हूँ, जिस परिवार में पैदा हुआ हमें यही सिखाया गया कि सभी धर्मों का आदर करो, साथ पढ़ने वालों में हिंदू, मुसलमान, सिख, ईसाई, सभी धर्मों के लोग थे. मुसलमान परिवार में पैदा हुआ तो मुसलमान हो गया, किसी और धर्म के परिवार में पैदा होता तो कुछ और बन जाता, तो फ़िर धर्म को ले कर इतने झगड़े क्यों? अरब देशों वाले लोगों ने सिर्फ इस्लाम देखा है, यहाँ इटली वालों ने सिर्फ कैथोलिक धर्म देखा है, इन्हें भारत जैसा अनुभव नहीं कि कैसे विभिन्न धर्म वाले साथ साथ रहें और हम भारतीयों को दुनिया को यह बताना है, अपना तरीका सिखाना है. इसीलिए मैं इस एसोशियेशन में आया हूँ और मैं सब से अपनी बात स्पष्ट कहता हूँ, कोई डर नहीं मुझे."
ज़हूर बहुत अच्छे लगे मुझे. शायद फ़िर उनसे अगली बार मिल कर उनके बारे में और जानने का मौका मिलगा. जाते जाते अगली बार मीटिंग में आने पर मिलने का वादा भी किया है उन्होंने.