शनिवार, सितंबर 10, 2005

ग्रीशम बोलोनिया में

कल जाह्न ग्रीशम (John Grisham) बोलोनिया विश्वविद्यालय आये और हम भी उन्हे देखने सुनने गये. करीब एक हजार साल पुराना "सांता लूचिया हाल" जो हैरी पोटर फिल्मों का डाइनिंग हाल जैसा लगा है, ठसाठस भरा था, खड़े होने की जगह नहीं थी. ग्रीशम ने अपने नये उपन्यास "द बरोकर" (The Broker) के बारे में बात की, अपने फिल्मकार होने के अनुभव के बारे में बताया, अपने बेसबाल के कोच होने के अनुभव के बारे में कहा, अमरीकी राष्ट्रपति बुश, न्यू ओरलिओन्स के कटरीना तूफान और अमरीका में "फ्रीडम आफ एक्सप्रेशन" की बढ़ती हुई कमी आदि बातों पर अपने विचार प्रकट किये.

जो सवाल मैं उठाना चाहता था, आलोचकों का उन्हें साहित्यकार न मानने का, वह भी उठा. ग्रीशम गुस्से से बोले, "आलोचक जायें भाड़ में, मैं उनकी कुछ परवाह नहीं करता. जनप्रिय लेखन क्या होता है, उन्हें नहीं मालूम. पहले आलोचना करते थे कि मेरी हर किताब का एक जैसा फारमूला होता है, अब उन्हें यह एतराज है कि मैं फारमूला छोड़ कर भिन्न क्यों लिख रहा हूँ." यानि की भीतर भीतर से, आलोचकों के प्रति उनमें गुस्सा है हालाँकि वे परवाह न करने की कहते हैं.

एक अन्य सवाल का उत्तर देते हुए बोले "पिछले पंद्रह सालों में मैं बहुत भाग्यशाली रहा हूँ. २० करोड़ के करीब मेरी किताबें बिकी हैं और मुझे दुनिया का सबसे अधिक बिकने वाला लेखक कहते थे, जब तक हैरी पोटर नहीं आ गया ..."

पर उनकी सब बातों से अधिक तालियाँ तभी बजी जब उन्होंने हमारे शहर बोलोनिया के बारे में कहा. बोले, "पिछले साल जुलाई में पहली बार बोलोनिया आया. शहर को जानता नहीं था, पर इटली मुझे बहुत अच्छा लगता है, पहले भी कई बार आ चुका था अन्य मशहूर शहर देखने. मुझे एक ऐसे छोटे शहर की तलाश थी, जहाँ मेरा जासूस नायक छुप सके. जब मैंने नाज़ी और फासिस्ट शासन के खिलाफ लड़ने वाले शहीद हुए जवानों की फोटो से भरी दीवार देखी, उसने मेरे मन को छू लिया और मुझे इस शहर से प्यार सा हो गया."

आज की तस्वीरों में ग्रीशम और उन्हें सम्मान देते बोलोनिया के मेयस, श्री कोफेरातीः


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