मंगलवार, सितंबर 20, 2005

अगर वह न आये

कल बात हो रही थी नींद की. पिछले १५ सालों में शायद एक बार जागा हूँ रात के १२ बजे तक, नये साल के आने के इंतज़ार में. अधिकतर तो पत्नी ही जगाती है नये साल की बधायी देने के लिए. कभी रात की यात्रा करनी पड़े या फिर बहुत साल पहले जब अस्पताल में रात की ड्यूटी करनी पड़ती थी, तब न सो पाने पर बहुत गुस्सा आता था.

पर अगर जल्दी सोने वाले की शादी, देर से सोने वाले से हो जाये तो क्या होता है ? अपना यही हुआ. मैं रात को दस बजे सोने वाला और श्रीमति जी रात को दो बजे सोने वाली. नयी शादी के बाद इस बात पर बहस होती थी कि सोने जायें या बाहर घूमने. पहले यह सोचा कि कभी हमारी चलेगी और कभी उनकी. पर बात बनी नहीं, जब हमें रात को बाहर जाना पड़ता, तो हर ५ मिनट में मेरा जुम्हाई लेना या घड़ी की ओर देखना, न श्रीमति को भाता न अन्य मित्रों को. खैर, शादी के २५ सालों में हमने इसका हल ढ़ूँढ़ ही लिया. मैं सोने जाता हूँ और वह सहेलियों के साथ घूमने.

पर, इसी बात का दूसरा पहलू भी तो है. रोज आती थी, जाने एक दिन अचानक क्यों नहीं आती ? अनूप जी जैसा होने के लिए, यानि काम पड़े तो सारी रात जगते रहो और सोना हो तो घंटो सोते रहो, दिमाग में बिजली का बटन चाहिये, जिसे दबाने से काम की बात दिमाग से एकदम से बंद हो जाये.

कालीचरण जी को शायद ऐसे ही बटन की आवश्यकता है. और जब वह नींद नहीं आती तो क्या करें ? अगर दोपहर को या शाम को, काफी पी लूँ या सफेद वाइन पी लूँ तो ऐसा अक्सर होता है. जब बिस्तर में करवटें बदलते बदलते थक जायें तो नींद लाने के लिऐ क्या करें ?

मैं कोई भारी सी, न समझ में आने वाली किताब ढ़ूँढ़ता हूँ. होफश्टाडेर की किताब "गोडल, एशर, बाख", मुझे इसीलिए बहुत पसंद है. कितनी भी बार पढ़ लूँ कुछ समझ में नहीं आता पर आधा घंटा पढ़ने की कोशिश के बाद नींद अवश्य आ जाती है. इसी तरह की एक अन्य प्रिय पुस्तक है, कथोउपानिषद. धार्मिक किताबों में से यह मेरी सबसे प्रिय किताब है. पर अगर संस्कृत के श्लोक, बिना उनके हिंदी अर्थ के पढ़ूँ, तो भी नींद आ जाती है. और आप का कोई रामबाण नुस्खा है नींद लाने के लिए ?


इतालवी एसप्रेसो काफी का छोटा सा प्याला, मेरी नींद गुम कर देता है
इन्हें सोने की कोई चिंता नहीं - रोबेन द्वीप (दक्षिण अफ्रीका) का कब्रीस्तान

2 टिप्‍पणियां:

  1. हमारे ब्लाग पढों ना, नींद शर्तिया आयेगी. वैसे भाई मेरा नुस्खा तो कुछ दूसरा ही है, नींद ना आने की दशा मे मै तो सीधा टीवी का रुख करता हूँ, कोई सड़ी सी डीवीडी.(आस पास की सबसे सड़ी फ़िल्म "बच के रहना..") निकालता हूँ, इधर डीवीडी चलती है और मै सोफ़े पर ही लुड़्क जाता हूँ, सुबह सुबह खूब हो ह्ल्ला मचता है, लेकिन अपने को क्या...नींद तो आ गयी.

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  2. आप समय से सोते हैं ,समय से जागते हैं इसीलिये तो लोग आपकोशरीफ आदमी कहते हैं।

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"जो न कह सके" पर आने के लिए एवं आप की टिप्पणी के लिए धन्यवाद.

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