गुरुवार, अगस्त 03, 2006

सँकरा नर दिमाग

आज बात का विषय नर के सँकरे दिमाग का है. बात मानव जाति के पुरुष पर उतनी लागू नहीं होती, बल्कि अधिकतर यह बात कुत्ता जाति के नरों की है. मेरे बहुत से उच्च विचारों की तरह, यह उच्च विचार भी उस समय मन में आया जब अपने कुत्ते, श्री ब्राँदो को ले कर कल शाम को बाग में सैर को निकला.

अगर आप ने कभी नर कुत्ते को करीब से कुछ समय के लिए जाना पहचाना हो तो आप जानते ही होंगे कि सैर को बाहर निकलते समय, आप को अन्य नर कुत्तों से बच कर चलना पड़ता है. पिल्ले, बहुत बूढ़े कुत्ते और वह कुत्ते जिनका आपरेश्न से गोली हरण हो चका हो, उनको छोड़ कर बाकि के सभी नर कुत्ते हमारे ब्राँदो जी के जानी दुश्मन हैं. उन्हें यह दूर से ही पहचान लेता है, शायद उनकी नर सूँघ से, और देखते ही उनकी तरफ़ ऐसे झपटता है कह रहा हो, "छोड़ो मुझे, रोको मत, इसका खून पी जाऊँगा." और दोनो जोर शोर से एक दूसरे की ओर भौंकते हैं.

फ़िर जैसे ही हो सके उसे वहीं मूतना होता है जहाँ दूसरे कुत्ते ने मूता हो. यह उनके "क्षेत्र" पर झँडे गाड़ने वाली बात है. वह बात और है कि कई क्षत्रों पर इतनी तरह के झँडे गड़े होते हैं कि स्वयं वे खुद भी नहीं पहचान सकते कि उनका झँडा वहाँ गड़ा भी या नहीं.

कितने सालों से हर दिन वही कुत्ते एक दूसरे को देख कर ऐसे ही भौंकते रहते हैं, हालाँकि कई बार लगता है कि यह भौंकना केवल आदत की वजह से है और बेमन से किया जा रहा है.

पर किसी भी मादा कुत्ते को देखते ही पूँछ हिलनी शुरु हो जाती है. अगर आप थोड़ी सी ढील दें तो उसके आसपास जा कर सूँघाई शुरु हो जाती है. थोड़ी सी और ढील दें तो टाँगे उठा कर उसके ऊपर चढ़ने की कोशिश शुरु हो जाती है. आप कहते रह जाईये, "अरे यार, थोड़ा शाँत हो, तुम्हें हर समय क्या एक ही बात सूझती है? क्या नर और मादा में केवल यही रिश्ता होता है? किसी को केवल मित्र बना कर देखो, और भी तो रिश्ते हो सकते हैं पुरुष और नारी के बीच!", वह कुछ नहीं सुनता.

मानव किशोरावस्था भी शायद कुछ कुछ एसी ही होती है, जब अचानक जवान हुए शरीर में नर होरमोन टेस्टोस्टिरोन तूफ़ान मचा देता है. सड़कों पर रोमियो बन कर सीटियाँ बजाने वाले या बस में झीड़ में लड़कियों के शरीरों को छूने की कोशिश करने वाले शायद हमारे ब्राँदो जी जैसे ही होते हैं, जिनका जीवन होरमोन से संचालित होता है. उनके लिए रुक कर सोचना कि क्या कर रहा हूँ और क्यों, बहुत कठिन होता है.

आज की तस्वीरें हमारे ब्राँदो जी की हैं.








2 टिप्‍पणियां:

  1. बडा मवाली किस्म का कुत्ता है आपका. :-)

    शौच शब्द का प्रयोग किया होता आपने.

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  2. सुनिलजीः माफ करना आप तो यूरोपी देश मे रहते हैं - कुत्ता तो हमारा जानी दुशमन है - वोह इस लिए कि हमने पिछले आठ वर्षों से अखबारों मे नाईट शिफ्ट ड्युटी की है - बाकी आप ही समझलें - यहां भारत में जितने भी लोग नाईट शिफ्ट ड्युटी करते हैं शायद वोह लोग भी कुत्तों से दुशमनी रखते हैं ;)

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"जो न कह सके" पर आने के लिए एवं आप की टिप्पणी के लिए धन्यवाद.

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