सोमवार, नवंबर 01, 2010

शाह रुख और महाश्वेता देवी

रोम फ़िल्म फेस्टीवल में कल रात को एक ओर थे कर्ण जौहर और शाहरुख खान, "माई नेम इज़ खान" के साथ. दूसरी ओर थी महाश्वेता देवी जिनकी कहानी पर इतालवी निर्देशक इतालो स्वीनेल्ली (Italo Spinelli) ने फ़िल्म बनायी है, "गँगोर" (Gangor).

शाहरुख रोम आने वाले हैं इसका हल्ला तो इटली के बोलीवुड प्रेमियों में कई हफ्तों से चल रहा था. पहले यही बहस थी कि आयेंगे या नहीं? रोम में बोलीवुड के नृत्य करने वाली लड़कियों से जब पूछा गया कि क्या वह शाहरुख की फ़िल्म से पहले वहाँ रेड कार्पट पर नृत्य करेंगी तो उनके हर्ष की सीमा नहीं थी. उनमें से एक युवती कुछ महीने पहले जब मुंबई में जोन एब्राहम से मिल कर आयी थी, तो फेसबुक पर कई महीनों तक उस एक मिलन की गाथा के किस्से सुने थे. अब जिन युवतियों को शाहरुख के सामने नृत्य दिखाने का मौका मिलेगा, तो उसके किस्से तो अगले बारह महीने तक सुनने को मिलेंगे!



खैर आज सुबह के अखबारों में "माई नेम इज़ खान" की आलोचना ठीक ठाक ही है. सबसे अधिक बिकने वाले अखबार "कोरिएरे देल्ला सेरा" (Corriere della Sera) ने शाहरुख को भारत का टाम क्रूज़ कहा है.

स्पीनेल्ली की फ़िल्म "गँगोर" की आलोचना अधिक दिलचस्प है. फ़िल्म की मुख्य अभिनेत्री प्रियँका बोस की बहुत प्रशँसा की गयी है. फ़िल्म की कहानी है, बच्चे को दूध पिलाती युवती गँगोर की, जिसके नँगे वक्ष की तस्वीर पर हल्ला मच जाता है और पुलिस अत्याचार जिसे शरीर बेचने वाली बना देता है.

"माई नेम इज़ खान" इतालवी सिनेमा हालों में 26 नवम्बर को प्रदर्शित होगी, गँगोर को सिनेमा में निकलने का मौका मिलेगा या नहीं, यह नहीं पता.

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