कोज़प्ले यानि पौशानाटिका
हमारे शहर में जो पौशानाटिकी समारोह होते हैं, उनमें सबसे अधिक लोकप्रिय हैं - डनजेन एण्ड ड्रेगनज जैसे रोलप्ले वाले खेल, जापान की माँगा (Manga) कोमिक्स किताबें और आनिमे (Anime) एनेमेशन फ़िल्में और टीवी सीरियल। इन सबमें दिलचस्पी रखने वाले लोग, अपने किसी एक प्रिय पात्र को चुन कर उनके जैसी पौशाकें बनाते हें, उनकी तरह बालों का स्टाईल बनाते हैं, उनके जैसा मेकअप करते हैं। जब यह सब लोग मिल कर कहीं इक्ट्ठा हो जाते हैं तो वहाँ कोज़प्ले के मेले लग जाते हैं।
जापान से धीरे धीरे कोज़प्ले का फैशन सारी दुनिया में फ़ैला है। यूरोप के हर देश में जगह जगह पर वार्षिक कोज़प्ले मेले लगते हैं, जहाँ लाखों लोग एकत्रित होते हैं, उनकी प्रतियोगिता होती हैं कि किसकी पौशाक सबसे सुंदर है, किसका अभिनय अपने पात्र से अधिक मेल खाता है, आदि।
अमरीका में सन दियेगो और लोस एन्जेल्स शहरों के कोज़प्ले बहुत मशहूर हैं। जापान के नागोरो में आयोजित होने वाला कोज़प्ले अपनी तरह का दुनिया का सबसे बड़ा मेला है। इटली में कई शहर ऐसे आयोजन करते हैं, जिसमें सबसे प्रसिद्ध है लुक्का (Lucca) शहर में होने वाला मेला। हमारे शहर का पौशानाटिकी मेला उन सबके मुकाबले में छोटा सा है, इसमें कोई सौ या दो सौ नवजवान हिस्सा लेते हैं जबकि बड़े समारोहों में लाखों लोग सजधज कर एकत्रित हो जाते हैं।
हमारे शहर का पौशानाटकी मेला नया है, केवल कुछ साल पुराना, लेकिन मैं इसमें शामिल होने वालों की पौशाकें और मेकअप देख कर दंग रह गया। पौशानाटिका के अभिनेता जिस पात्र को चुनते हैं उसके हावभाव, बोलने और चलने का तरीका, सब कुछ उन्हें वैसे ही करना होता है। मुझे इन कमप्यूटर खेलों, माँगा, आनिमे कामिक्स और फ़िल्मों की थोड़ी सी भी जानकारी नहीं है इसलिए यह तो नहीं कह सकता कि वह लोग अपने पात्रों की नकल करने में कितने सफल थे, लेकिन उन्हें देख कर मुझे लगा कि हमारे बचपन में इस तरह के मेले होते तो मुझे भी ज़ोम्बी या राक्षस बनना अच्छा लगता।
कोज़प्ले में हिस्सा लेने वालों का एक नियम है कि बिना उन्हें बताये उनकी फोटो नहीं खींचे। फोटो खींचनी हो तो आप को उन्हें बताना चाहिये ताकि वह अपने पात्र की अपनी मुद्रा में पोज़ बना कर फोटो खिंचवायें। हमारे कोज़प्ले में मैंने जितने लोगों से फोटो खींचने की अनुमति माँगी, उनमें से केवल एक युवती ने मना किया।
क्या भारत में कोई कोज़प्ले मेले लगते हैं? अगर आप को उनके बारे में मालूम है तो नीचे टिप्पणीं में यह जानकारी दीजिये।
कोज़प्ले जैसे अन्य मेले
वेनिस में फरवरी-मार्च के महीनों में कार्निवाल का त्योहार मनाते हैं जिसे आप पुराने ज़माने का पौशानाटिका मेला कह सकते हैं। आजकल कार्निवाल को ईसाई त्योहार मानते हैं लेकिन लोगों का कहना है कि यह त्योहार बहुत पुराना है, ईसाई धर्म से भी पुराना।
हर वर्ष कार्निवाल के लिए करीब एक महीने तक भिन्न उत्सवों को आयोजित किया जाता है जिनमें लोग विषेश पौशाकें और मुखौटे बनवा कर पहनते हैं। पौशानाटिकी की तरह लोग इसके लिए बहुत पैसा खर्च करते हैं और कई कई महीनों तक इसकी तैयारी करते हैं। कोज़प्ले और कार्निवाल में एक अंतर है कि कोज़प्ले किशोरों और नवजवानों का शौक है, जबकि कार्निवाल में नवजवान, प्रौढ़ और वृद्ध सभी लोग अपनी पौशाकों में हिस्सा लेते हैं।
वेनिस का कार्निवाल दुनिया भर में प्रसिद्ध है, लोग दूर दूर से इसे देखने आते हैं।
हमारे शहर में एक अन्य तरह का पौशानाटकी मेला भी होता है जिसका नाम है स्टीमपँक (Steampunk)। स्टीम यानि भाप और पँक यानि रंगबिरंगे और अजीबोगरीब कपड़ों और बालों का स्टाईल जिसे कुछ रॉकस्टार गायकों से प्रसिद्धी मिली थी। कोज़प्ले की तरह इसकी शुरुआत भी पिछली शताब्दी के सत्तर के दशक के आसपास हुई थी।
इस परम्परा को शुरु करने वाले लोग फ्राँसिसी लेखक जूल्स वर्न की किताबों से प्रभावित थे। यह लोग प्राद्योगिक युग के प्रारम्भ में भाप से चलने वाली स्टीम इंजन जैसी मशीनों को महत्व देते हैं और इनकी पौशाकों में एक ओर से कीलों, ट्यूबों, नलियों, घड़ी के भीतर के हिस्सों आदि का प्रयोग किया जाता है, दूसरी ओर से यह लोग विक्टोरियन समय के वस्त्रों को प्राथमिकता देते हैं। कार्निवाल तथा कोज़प्ले की तरह, यह लोग भी अपने पौशाकों, मेकअप आदि पर बहुत पैसा और समय लगाते हैं। बहुत से लोग हर वर्ष नयी पौशाकें बनवाते हैं।
मुझे स्टीमपँक की पौशाकें बहुत अच्छी लगती हैं। कई बार देखा कि यह लोग आधुनिक उपकरण जैसे कि मोबाईल फोन, कमप्यूटर और कैमरे आदि को ले कर, उन्हें विभिन्न धातुओं या पदार्थों से ढक कर पुराने ज़माने की वस्तुओं का रूप देते हैं, जैसे कि आप नीचे वाली तस्वीर के सज्जन के कैमरे में देख सकते हैं। उन्होंने मुझे बताया कि उन्होंने अपने नये कैमरे को पुराने बक्से में बँद करके, उन्होंने उस पर भिन्न बटन लगाये, डॉयल फिट किये और धातूओं का लेप लगाया, जिससे कैमरा देखने में किसी म्यूज़ियम से निकला लगता था लेकिन तस्वीरें अच्छी खींचता था।
इसमें हिस्सा लेने वाले अधिकतर लोग प्रौढ़ या वृद्ध होते हें, उनमें नवजवान कम दिखते हैं, शायद इसलिए क्योंकि इस शौक को पूरा करने के लिए काफ़ी पैसा और समय होना चाहिये।
इनके अतिरिक्त, इटली के विभिन्न भागों में एतिहासिक घटनाओं और त्योहारों पर भी पुराने समय की पौशाकें पहनने का प्रचलन है, जैसे कि कुछ लोग अपनी नृत्य मँडली बनाते हैं जिसमें वह लोग मध्ययुगीन पौशाकें पहन कर मध्ययुगीन यूरोपी नृत्य सीखते हैं और करते हैं। आधुनिकता की दौड़ में पुराने रीति रिवाज़ लुप्त हो रहें हैं, तो वह लोग चाहते हैं कि अपने पुराने नृत्यों और पौशाकों को जीवित रखें।
अंत में
गोवा में कार्निवाल मनाया जाता है। मैंने एक बार वहाँ कार्निवाल देखा था लेकिन उसमें वैसा कुछ नहीं था, जिस तरह की पौशाकें और मुखौटे इटली में दिखते हैं। ब्राजील में भी गोवा जैसा कार्निवाल मनाते हैं, हालाँकि उनके नृत्य व पौशाकें कुछ बेहतर होती हैं। गोवा तथा ब्राज़ील के लोग पुर्तगाली सभ्यता से अधिक प्रभावित हैं।
मुझे मालूम नहीं कि भारत में किसी अन्य जगह पर कोज़प्ले या स्टीमपँक जैसे मेले लगते हैं या नहीं। लेकिन भारत में भी कुछ लोग धार्मिक मौकों पर देवी देवता का रूप धारण करते हें, जो कि धार्मिक कारणों से करते हैं या फ़िर श्रधालुओं से पैसा माँगने के लिए। भारत में ऐसे कोई त्योहार या मेले हों जहाँ आम लोग भिन्न पौशाकें पहन कर एकत्रित होते हों, मुझे उसके बारे में जानकारी नहीं। अगर आप को हो तो नीचे टिप्पणी में उसके बारे में बताईये।
मेरे विचार में जापानी और पश्चिमी देशों में अकेलापन अधिक बढ़ा है, यहाँ कम लोग विवाह करते हैं और उनमें से केवल कुछ लोग बच्चे पैदा करते हैं। नौकरी करके कमाने वाले और अकेले रहने वाले लोगों के पास पैसे और समय की कमी नहीं, उन्हें जीवन में कुछ अलग सा चाहिये जिससे उनकी मानवीय रिश्तों की कमी घटे। उन्हें इस तरह के मेलों और त्योहारों में अन्य लोगों से मिलने और आनन्द लेने के मौके मिलते हैं, इसीलिए यहाँ यह सब पौशानाटिकी समारोह लोकप्रिय हो रहे हैं।