प्रभाकर पाण्डेय जी का नौ का महिमागान पढ़ा जिसमें उन्होंने राम और सीता जी के नामों के पीछे छुपे अंको का नौ से रिश्ता बताया है तो सोच रहा था कि किस भाषा की वर्णमाला के हिसाब से अंक देखे जाते हैं? अगर हिंदी वर्णमाला में "क" एक के बराबर है तो अंग्रेज़ी के हिसाब से हुआ बारह, यानि तीन. और इतालवी वर्णमाला तो अंग्रेज़ी से भिन्न है. तो यह न्यूमोरोलोजिस्ट यानि अंकज्ञान विषेशज्ञ किस तरह निर्णय लेते हैं कि किस भाषा में अंकों की गिनती करें?
मुझे स्वयं विश्वास नहीं होता कि एकता कपूर को एकककता ककपूर करने से या विवेक को विवैक लिखने से हमारी नियती बदल सकती है. पर शायद मुसीबत में पड़े लोगों को कोई सहारा चाहिए और जिसमें विश्वास हो उसके लिए नाम के अक्षर बदलने से ही शायद किस्मत बदल जाये!
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पर प्रभाकर जी जैसे लोग जिन्हें गणित के अंकों में कविता दिख सकती है, उनसे कुछ जलन होती है. अपने को तो गणित का सवाल पूछिये तो तारे दिखने लगते हैं.
रामानुज जी कहते थे कि समस्त दुनिया में ही गणित छुपा है. यह बात अंतर्जाल और कम्प्यूटरों को जानने से समझ आती है कि यह कम्प्यूटर पटल पर दिखने वाले शब्द, तस्वीरें, संगीत, फिल्म, सब "शून्य" और "एक" का खेल हैं.
शायद यह मानव जीवन भी भगवान का रचा अंतर्जाल ही है जिसमें हर जीवित अजीवित वस्तु कणुओं और अणुओं का खेल है जिसके पीछे छिपी साँख्यकी मायाजाल में खोई है. शायद एक दिन अंतर्जाल पर दिन रात चलने वाले अंतहीन खेलों को भी यही भ्रम होगा कि उनमें भी जीवन है और हम उनके जीवन के लिए भगवान होंगे?
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बारह साल पहले मेरे एक मित्र ने मुझे एक किताब भेंट दी, डगलास आर होफश्टाटेर (Douglas R. Hofstadter) की लिखी हुई जिसका नाम है "गूडल, एशर, बाखः एक अंतहीन तेजस्वी माला" (Gödel, Escher, Bach: an eternal golden braid). इसमें गूडल के गणित प्रमेय (Theorem), बाख के संगीत और एशर के चित्रों के अंतर्निहित समानताओं का विश्लेषण है और यह समझाया गया कि किस तरह संगीत, चित्रकला और गणित एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. स्वयं सारी पुस्तक का ढाँचा बाख की सिमफनी "मुसिकालिशेस ओपफेर" पर आधारित है. इस एक पुस्तक ने होफस्टाटेर को प्रसिद्ध कर दिया.
बहुत बार इस पुस्तक को पढ़ना शुरु किया पर कभी सौ कभी दो सौ पन्ने तक पढ़ कर थक कर उसे रख दिया. कुछ समझ में नहीं आता. एक एक वाक्य को कई बार पढ़ कर भी उसका अर्थ नहीं समझ पाता. तब से यह पुस्तक उन रातों के लिए रखी है जब नींद न आये. दो पन्ने पढ़ कर तुरंत नींद आ जाती है.
खैर आप देखिये एशर के इन चित्रों को और समझने की कोशिश करिये कि सीढ़ियाँ कहाँ जा रही हैं या फ़िर कौन से रंग की मछलियाँ किस तरफ जा रही हैं!