मंगलवार, जून 28, 2005

माजरा क्या है?

दुनिया में दो तरह के लोग रहते हैं, एक वह जो तमाशा करते हैं और दूसरे वह जो आस पास से खड़े हो कर पूछते हैं, क्या माजरा है भाई साहब. दूसरी श्रेणी के लोग, यानी माजरा क्या है पूछने वाले, पहली श्रेणी के लोगों से बहुत अधिक हैं. जब से टेलीविज़न का आविष्कार हुआ है तब से तो माजरा देखने वालों की संख्या और भी कई गुना बढ़ गयी है.

"अरे साला, देखो कैसे अपनी जोरु को पीट रहा है?" "अजी, क्या अखबार में मुँह घुसाये बैठे हो, देखो बाहर पुलीस शास्त्री जी के सुपुत्र को ले कर जा रही है." "देखा तुमने कैसे चुन्नु की बीवी ने चौदराईन को दो टूक ज़बाव दिया, बोलती बन्द हो गयी उसकी." "कौन जाने कौन था, बेचारा यूँ सड़क पर ही मर गया."... इत्यादी अन्य बातें हो सकती है जो "माजरा क्या है" जैसे सवाल के बाद, माजरा देखने वालों में अक्सर निकल आती हैं. माजरा देखने वाले, रस ले ले कर खुशी से दूसरों पर आयी मुसीबत का मजा उठाते है.

कभी कभी, माजरा देख कर भी चुपचाप ही रहना पड़ता है. यानी मन में खुशी के लड्डु फूट रहे हों, फिर भी चेहरा गम्भीर बना कर यूँ रहने पर हम मजबूर होते हैं मानो हमें सचमुच बहुत दुख हो रहा हो. घर में अगर पिता जी का झापड़ अगर आप के छोटे या बड़े भाई को पड़े, या फिर जब मास्टर साहब उस लड़के को मुर्गा बनवायें जिससे आप का झगड़ा हुआ था, तो ऐसा भी हो सकता है कि आप माजरा तो देखें, पर छुप छुप कर.

तो क्या, माजरा देखना केवल दूसरों की मुसीबतों में ही हो सकता है. जब दूसरे लोग खुशी मना रहें हो तो क्या वहाँ माजरा देखने वाले नहीं हो सकते? आप का क्या खयाल है?

अरे साहब आप क्या सिर्फ हमारे चिट्ठे को पढ़ कर मन ही मन खुश होते रहेंगे कि कितनी बेवकूफी की बातें लिखी हैं हमने ? माजरा देखना छोड़िये और आप भी अपनी कलम उठाइये, इन माजरा देखने वालों ने तो नाक में दम कर दिया है.

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14 टिप्‍पणियां:

  1. सुनील भाई,
    स्वागत है, आपका हिन्दी चिट्ठाकारों के परिवार मे.
    आपसे निवेदन है कि आप अपना चिट्ठा, "चिट्ठा विश्व" मे रजिस्टर करवा लें.
    लिंक ये रहाः http://www.myjavaserver.com/~hindi/Feedback.html

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  2. सुनील,

    आप बहुत सुंदर देश मे रहते हैं|

    इटली की सुंदरता under the tuscan sun फिल्म में देख कर मन प्रसन्न हो जाता है.

    आशा है आपका ब्लॉग इटली के सुंदर चित्रों से भरपूर रहेगा और हम कहेंगे "बेलिस्सीमो"!

    ई-स्वामी

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  3. Just looked at your Italian blog Sunil, though the language is Greek to me, didn't know you are fluent in it.

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  4. और आप सब को प्रशंसा और प्रोत्साहना के लिये धन्यवाद.

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  5. प्रिय यश, इतने पुराने लेख की याद दिलाने के लिए धन्यवाद :)

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  6. हा हा उल्लूक इन माजरों पर ही बकवास करता चला आ रहा है !

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  7. hahahahhaha padhna achha laga..par haan khushi dekhne wale bhi hote hain aur dekh kar khush hone wale bhi :)

    shubhkamnayen

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  8. कल (एक बार फिर) 23/05/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद !

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  9. काश के मेरी जीवन मे भी इतनी समृद्धी आ जाये फिर मे बहुत सारी किताबे पढ़ूंगा और लिखूंगा भी ,, रात को अकेले ,, 1 बजे ,, जीवन की चिंता मे डुबकर आपको पढ़ा और अपने विचार रखें

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"जो न कह सके" पर आने के लिए एवं आप की टिप्पणी के लिए धन्यवाद.

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