यहाँ तो आज एक आम दिन है, अन्य दिनों जैसा, हालाँकि हमने शाम को बाहर खाना खाने जाने का प्रोग्राम बनाया है जहाँ भरतनाट्यम नृत्य भी होगा. कल यहाँ राजस्थान के लोकनर्तकों का कार्यक्रम भी है. फ़िर हम दिल को समझाते हैं कि चलो दूरी ही अच्छी है कम से कम पटाखों के शोर और प्रदूषण से तो बचेंगे!
आज दीपावली के शुभ अवसर पर मुझे बुद्ध प्रार्थना याद आती है, तमसो मा ज्योतिर्गमय. और यही शुभकामना है मेरी कि आप के परिवार में, घर में और दिलों में ज्योति का वास हो.
नीचे वाली तस्वीरें अभी हाल में चीन यात्रा में ली ज्यांग नाम के शहर में खींचीं थीं.
दीपावली शुभ हो जी! चलें हम अमृतत्व की ओर। धीरे-धीरे।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और वहतारीन रचना , अच्छी लगी !ज्योति - पर्व की ढेर सारी बधाईयाँ !
जवाब देंहटाएंदिवाली की शुभकामनाएं डाक्टर साहब।
जवाब देंहटाएंआप विदेश में रहकर घर से दूर हैं..और हम देस में रहते हुए भी घर नही जा पाये इस बार...
हाँ, मिठाई, शोरगुल और माहौल तो है ही। :)
सुनिल जी, आपको भी ज्योति पर्व की शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंदीपावली की बधाई व शुभकामनाएं आपको भी आदरणीय!!
जवाब देंहटाएंदीपावली पर शुभकामनाएँ । प्रार्थना बौद्ध नहीं है।
जवाब देंहटाएंतस्वीरें दिल को छूती हैं. अजाला छिपाया नहीं जा सकता. दीपक का हो या ज्ञान का.
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