आज हिंदी अभिनेता आमिर खान का चिट्ठा देखा, द लगान ब्लोग (The Lagaan Blog). 29 जून को उन्होंने चिट्ठा लिखा "घजनी" के शीर्षक से, और इन दो दिनों में इस चिट्ठे को मिली हैं 766 टिप्पणियाँ, वह भी छोटी मोटी टिप्पणियाँ नहीं कि किसी ने एक दो वाक्य लिखे हों, बल्कि कई लोगों की टिप्पणियाँ चिट्ठे से अधिक लम्बी हैं.
यह सच भी है कि जाने पहचाने प्रसिद्ध लोग क्या कहते हैं, क्या सोचते हैं, कैसे वे फ़िल्मे बनती हैं जिनके हम सब दीवाने होते हैं, यह सब बातें बहुत दिलचस्प लगती हैं और सुप्रसिद्ध अभिनेता द्वारा लिखी बात पढ़ना, फ़िल्मी पत्रिकाओं में छपे साक्षात्कारों से अधिक दिलचस्प लगता है.
पर अगर आमिर खान की तरह अन्य जनप्रिय अभिनेता और अभिनेत्रियाँ अगर चिट्ठे लिखने लगेंगे तो फ़िल्मी पत्रिकाँए कौन पढ़ेगा? पर शायद इसका खतरा अधिक नहीं क्योंकि मेरे विचार में ढँग से चिट्ठा लिखने के लिए कुछ दिमाग चाहिये और मुझे जाने क्यों लगता है कि बहुत से प्रसिद्ध अभिनेता फ़िल्में में ही अच्छे लगते हैं, उनकी बातें सुन कर मन में बनी उनकी छवि टूट सकती है. अधिकतर अभिनेताओं का आत्मकेंद्रित जीवन बोर करने वाला लगता है.
और अगर वह लोग परदे के पीछे हो रहे काम के बारे में या अपनी भावनाओं के बारे में सच सच लिखने लगे तो शायद उन्हें काम मिलना ही बंद हो जाये. जैसे कि सोचिये कि कोई अभिनेत्री लिखे कि सुल्लु मियाँ यानि सलमान खान के साथ गाने का सीन बड़ा कष्टदायक था क्योंकि शायद वह सुबह दाँत ब्रश करना भूल गये थे तो क्या आगे से सलमान जी उस अभिनेत्री के साथ काम करेंगे?
पर अगर आमिर जैसे प्रसिद्ध लोग हिंदी में चिट्ठा लिखें तो इससे हिंदी चिट्ठा जगत को बहुत लाभ होगा, सामान्य जनता में हिंदी का मान भी बढ़ेगा और हिंदी चिट्ठा जगत नाम की किस चिड़िया का नाम है, यह मालूम भी चलेगा.
इटली में सबसे प्रसिद्ध चिट्ठा लेखक श्री बेपे ग्रिल्लो (Beppe Grillo) जी भी अभिनेता हैं. अभिनेता के रूप में वह अपनी कामेडी और व्यंग के लिए अधिक प्रसिद्ध थे. पर चिट्ठाकार के रूप में उन्होंने इतालवी जन सामान्य का ध्यान बहुत सी समस्याओं की ओर खींचा है और समाजसुधारक चिट्ठाकार के रूप में जाने जा रहे हैं. उनके चिट्ठों पर भी कई सौ टिप्पणियाँ मिल जाती हैं. उनका नया अभियान है इतालवी संसद में सजा पाये अपराधी संसद सदस्यों की ओर ध्यान खींचना ताकि संसद इन लोगों को कानून से न बचाये.
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क्या इटली में राजनैतिक द्वेषवश आपराधिक मुकदमे नहीं लगाए जाते? मुझ पर २०-२५ आपराधिक मुकदमें रहे हैं।सजा नहीं मिली , यह बात अलग है।हम तारीखों पर अदालत में भी नही जाते।पुलिस भी जानती है कि फर्जी मुकदमे हैं ,इसलिए आगे की कार्रवाई नहीं करती।
जवाब देंहटाएंआपके सुझाव - हिन्दी में वो क्यों नहीं लिखते - को मैंने वहां टिपिया दिया है. कभी सूझ जाए!
जवाब देंहटाएंहिन्दी में लिखने के लिए हिन्दी आनी तो चाहिए, जोकि ज़्यादातर तथाकथित सितारों को नहीं आती है।
जवाब देंहटाएंअपन ने भी वहां यही बात टिपिया दी कि भला हो अगर आप हिन्दी में लिखें!!
जवाब देंहटाएंमेरे विचार में ढँग से चिट्ठा लिखने के लिए कुछ दिमाग चाहिये और मुझे जाने क्यों लगता है कि बहुत से प्रसिद्ध अभिनेता फ़िल्में में ही अच्छे लगते हैं, उनकी बातें सुन कर मन में बनी उनकी छवि टूट सकती है
जवाब देंहटाएं******सही फरमाया आपने । ऎसी जानकारियां बाटने के लिए धन्यवाद !
मेरे विचार में ढँग से चिट्ठा लिखने के लिए कुछ दिमाग चाहिये
जवाब देंहटाएंयह आप हमारा चिट्ठा पढ़ने के बावजूद कह रहे हैं :)
बिल्कुल सही लिखा है आपने।अब आमिर खान लिखे और लोग कमेंट ना करें ऐसा कहॉ हो सकता है।
जवाब देंहटाएंअफलातून जी, ग्रिल्लो जी का अभियान उनके विरुद्ध नहीं जिनपर कभी छोटे मोटे मुकदमें चलें हों, बल्कि वह उनकी बात कर रहे जिन कर बड़े घपलों या माफिया सम्बंधी अपराधों की बात है. जहाँ तक झूठे मुकदमों की बात है, इटली के पूर्व प्रधानमंत्री श्री बरलुस्कोनी का कहना है कि उनके विरुद्ध और उनके सहयोगियों के विरुद्ध चलने वाले सभी मुदकमें क्मयुनिस्ट मजिस्ट्रेटों ने राजनीतिक द्वेष की वजह से ही चलाये हैं.
जवाब देंहटाएंहिन्दी में कैसे लिखेंगे? वे तो रोमन में लिखी हिन्दी पढ़ते है. हिन्दी उनकी मजबुरी की भाषा है. सम्मान व प्रेम की नहीं.
जवाब देंहटाएंसुनिलजी यह सब मार्केटिंग ने नए फंडे हैं. आमीर ने वह ब्लोग खुद नही लिखा होगा ब्लकि उनकी पी.आर. एजेंसी ने किया होगा और फोटो आमीर की होगी.
जवाब देंहटाएंदुसरी बात वे हिन्दी तो क्या कोंकणी में भी छाप सकते हैं यदि उन्हे ग्राहक मिलें तो. यानि जिस दिन हिन्दी चिट्ठाजगत की हैसियत विज्ञापन एजेंसियो को समझ आ जाएगी उस दिन आमीर, शाहरूख अमिताभ के ब्लोग भी नजर आने लग जाएंगे.
लिखे चाहे कोई भी. :)
अभी हिन्दी चिट्ठाजगत में एक बडे व्यंग्यकार और कवि का ब्लोग भी दिख रहा है. कुछ दिन पहले उनकी सेक्रेटरी का मेल आया था सहायता के लिए. :) यानि वे खुद ब्लोग नही लिखते, शायद ही देखते हों!!
पंकज उवाच> ...अभी हिन्दी चिट्ठाजगत में एक बडे व्यंग्यकार और कवि का ब्लोग भी दिख रहा है. कुछ दिन पहले उनकी सेक्रेटरी का मेल आया था सहायता के लिए. :) यानि वे खुद ब्लोग नही लिखते, शायद ही देखते हों!!
जवाब देंहटाएंवाकई? शेम! यहां हम खुद ड़ेढ़ उंगली से टाइप करते हैं कि हमारा ब्लॉग है - किसी और से टाइप तक नहीं कराते. मैं समझ सकता हूं कम्पनियों/अभिनेताओं के घोस्ट ब्लॉग को. पर हिन्दी का व्यंगकार भी इत्ता नखरीला हो गया! :)
'टिप्पणियों की धुआँदार वर्षा' तो अच्छी है, परन्तु कभी कभी ऐसे प्रसिद्ध लोगों पर जूते-चप्पल, सड़े अण्डे, आलू टमाटर की भी वर्षा हो सकती है। आजकल वर्षा में बड़े बड़े ओले भी गिरने लगे हैं। हाल ही में क्विण्टल भर की बर्फ की सिल्ली जैसा ओला गिरने का समाचार छपा था।
जवाब देंहटाएंकुछ लोग आजकल टिप्पणियाँ भी इतनी बड़ी लिखते हैं कि मूल लेख की कई गुना लम्बी हो जाती हैं। क्या यह उनके लिए ऐसा ही ओला जैसा नहीं होगा?
...अभी हिन्दी चिट्ठाजगत में एक बडे व्यंग्यकार और कवि का ब्लोग भी दिख रहा है. कुछ दिन पहले उनकी सेक्रेटरी का मेल आया था सहायता के लिए. :) यानि वे खुद ब्लोग नही लिखते, शायद ही देखते हों!!
जवाब देंहटाएंहा हा हा
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