रविवार, फ़रवरी 27, 2011

रँगबिरँगे मुखोटों का त्योहार

बहुत सालों से वेनिस के रँगबिरँगे मुखोटों के कार्नेवाल को देखने की इच्छा थी, लेकिन हर बार बीच में कोई न कोई अड़चन आ जाती थी. हमारे शहर बोलोनिया से वेनिस कुछ विषेश दूर नहीं, रेलगाड़ी से केवल दो घँटे का रास्ता है. करीब तीस वर्ष पहले जब इटली में नया था तब अस्पताल में साथ काम करने वाले मित्र मुझे शाम को साथ वेनिस ले गये थे, लेकिन तब वाइन पी कर हुल्लड़ करने में हमारी अधिक दिलचस्पी थी, तो क्या देखा था उसकी मन में बस कुछ धुँधली सी यादें थीं. इसलिए कल जब मौका मिला छोटा कार्नेवाल देखने का, तो उसे खोना नहीं चाहा. आज उसी वेनिस के मुखोटों वाले कार्नेवाल की कुछ तस्वीरें प्रस्तुत हैं.

Venice carneval, 2011

कार्नेवाल शब्द लेटिन से बना है, जिसका अर्थ है "कारने लेवारे" (Carne=meat, levare=remove), यानि "माँस को हटा दीजिये". जैसे मुसलमानों में रोज़े होते हैं, कुछ उसी तरह कैथोलिक ईसाई अपने त्योहार ईस्टर के पहले 40 या 44 दिनों का खाने का परहेज़ करते हैं, जिसमें माँस खाना वर्जित होता है. ईस्टर की तारीख रोमन कैलेंडर से नहीं बल्कि वसंत की पूर्णमासी से निर्धारित की जाती है, इसलिए हर साल अलग दिन पड़ती है. कार्नेवाल का दिन मँगलवार का होता है जिसे "मोटा मँगलवार" (Mardì Gras) कहते हैं, क्योंकि इस दिन खाने में माँस हटाने से पहले, लोग जी भर के माँस खाते हैं, पीते पिलाते हैं, मजे करते हैं. इस वर्ष मोटा मँगलवार, यानि कार्नेवाल होगा 8 मार्च को. पर अब यह केवल मस्ती का त्योहार ही रह गया है क्योंकि अब अधिकतर लोग खाने में कम खाने, सादा खाने या माँस न खाने में विश्वास नहीं करते.

कार्नेवाल के त्योहार को विभिन्न शहर अपने अपने ढंग से मनाते हैं, हाँलाकि हर कार्नेवाल में एक जलूस का होना आवश्यक होता है. ब्राज़ील में रियो दे जानेइरो शहर का कार्नेवाल अपनी रंगीन झाँकियों और थोड़े से वस्त्र पहने हुए साम्बा नाचने वालों के लिए प्रसिद्ध है. इस समय में वहाँ सेक्स की स्वच्छँदता भी बहुत होती है. भारत में गोवा का कार्नेवाल भी अपनी झाँकियों और मस्ती के लिए प्रसिद्ध है. इटली में बहुत से शहर अपने जलूसों और झाँकियों के कार्नेवाल के लिए जाने जाते हैं, लेकिन वेनिस का कार्नेवाल सबसे अनोखा माना जाता है क्योंकि इसमें सतारहवीं और अठाहरवीं शताब्दी की पोशाकों के साथ रँगबिरँगे मुखोटे जुड़े हैं.

आजकल कार्नेवाल में लोग बहुत मेहनत करते हैं, लाखों रुपये खर्च करते हैं वस्त्र और झाँकिया बनवाने में. साथ ही इसमें व्यवसायिक लाभ की बात भी जुड़ गयी है क्योंकि लाखों पर्यटक कार्नेवाल को देखने देश विदेश से आते हैं. तो कार्नेवाल की अवधि बढ़ा दी गयी है, "मोटे मँगलवार" के बड़े जलूस और असली कार्नेवाल के दो तीन सप्ताह पहले ही, शनिवार और रविवार को छोटे कार्नेवाल आयोजित किये जाते हैं ताकि अधिक से अधिक पर्यटक उन्हें देखने आयें.

कल 26 फरवरी को वेनिस में कार्नेवाल का पहला जलूस था. इसकी खासियत थी "सात मारिया की यात्रा", जिसमें शहर की सात सुबसे सुन्दर युवतियों को चुना जाता है, और शहर के युवक उन्हें पालकी में कँधे पर उठा कर ले जाते हैं, उनके पीछे पीछे शहर के जाने माने व्यक्ति प्राचीन पौशाकें पहन कर चलते हैं. वेनिस कार्नेवाल के अखिरी दिन, इन्हीं सात मारियों का नावों का जलूस निकलेगा, और सबसे सुन्दर युवती को "वेनिस की मारिया" का खिताब मिलेगा. कार्नेवाल के आखिरी दिन सबसे सुन्दर मुखोटे और पौशाक वाले व्यक्ति को भी चुना जायेगा.

कल की इसी वेनिस यात्रा से कार्नेवाल की कुछ तस्वीरें प्रस्तुत हैं. इन्हे देख कर आप स्वयं निर्णय ले सकते हैं कि वेनिस का कार्नेवाल अनूठा है या नहीं. घँटों चल चल कर और भीड़ में धक्के खा कर थकान से चूर हो कर घर लौटा पर मुझे लगा कि वाह, बहुत सुन्दर और रँगबिरँगा कार्नेवाल है.

Venice carneval, 2011

Venice carneval, 2011

Venice carneval, 2011

Venice carneval, 2011

Venice carneval, 2011

Venice carneval, 2011

Venice carneval, 2011

Venice carneval, 2011

Venice carneval, 2011

Venice carneval, 2011

Venice carneval, 2011

Venice carneval, 2011


***

6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत मजेदार और ज्ञानवर्धक भी ! आप तो मुझे वेनिस लेकर चले गए :))

    जवाब देंहटाएं
  2. वेनिस के कार्निवाल के बारे में पहली बार जाना और शब्द के व्युत्पत्ति के बारे में भी -आभार ! अच्छा तो हैवोलीन की तरह इसमें भी मुखौटे पहनते हैं?

    जवाब देंहटाएं
  3. अरविंद जी, हैलोवियन का त्योहार नवम्बर में होता है, जो कि मृत दिवस की तरह होता है जब लोग अपने प्रियजनों की कब्रों पर प्रार्थना करने जाते हैं. हैलोवियन के मुखोटे अधिकतर डरावने बनाये जाते है, भूत प्रेत पिचाश जैसे, और उन्हें लोग रात को पहनते हैं.

    जवाब देंहटाएं

"जो न कह सके" पर आने के लिए एवं आप की टिप्पणी के लिए धन्यवाद.

इस वर्ष के लोकप्रिय आलेख