गुरुवार, सितंबर 28, 2006

रक्त की गंध

केनेडा की पत्रिका वालरस में फेरनांद मेसोनिये का साक्षात्कार निकला है जिन्हें अलजीरिया का अंतिम जल्लाद कहा जाता है और जिन्होंने करीब 200 लोगों को मौत की सजा दी थी. वह मृत्युदँड प्राप्त कैदियों को अपने पिता के साथ गिल्योटीन से मारने का काम करते थे. गिल्योटीन में एक भारी चाकू ऊँचाई से कैदी की गर्दन पर गिराया जाता है ताकि एक ही झटके में सिर धड़ से अलग हो जाये.

इस साक्षात्कार में फेरनंद कहते हैं, "खून निकलता है? अरे बहुत खून निकलता है, यह कोई बिजली का करंट देनी वाली कुर्सी नहीं है! पाँच से सात लिटर तक खून निकलता है जब गर्दन कटती है. खून के फुव्वहारे छूटते हैं, दो तीन मीटर दूर तक धार जाकर गिरती है. मानव खून की गंध विषेश होती है, जैसे घोड़े के खून की होती है. घोड़े काटने वाले कसाई के शरीर से जो गंध आती है वह अन्य कसाईयों से नहीं आती. मानव खून को भी तुरंत धोना पड़ता है, नहीं तो बदबू आने लगे. हम गिल्योटीन को भी धोते हैं पर उसपर साबुन नहीं लगाते."

जबकि उनके पिता का काम था ऊपर टँगे चाकू को छोड़ना, फेरनांद का काम था कैदी का सिर को कानों से खींच कर रखना, ताकि वह सिर पीछे न खींच सके. हालाँकि कैदियों के गर्दन पर लकड़ी का पट्टा रखा जाता है जिससे वह सिर पीछे न खींच सकें, फ़िर भी कैदी कितना ही ज़ोर लगा कर अंतिम क्षण में सिर को पीछे खींचने की कोशिश करते हैं. फेरनंद कहते हैं, "अगर ठीक जगह पर चाकू न गिरे तो सिर धड़ से अलग नहीं होता और उसे फ़िर हाथ से चाकू ले कर काटना पड़ता है."

सच कहिये, यह सब पढ़ते हुए आप का मन काँप जाता है या नहीं? मेरा अवश्य काँपा, झुरझुरी सी आई, जी कच्चा हुआ. शायद बीते समय में इन्सान को मार काट और खूण को करीब से देखना मिलता था पर यहाँ तो सुपरमार्किट में कटी मुर्गियाँ और माँस भी प्लास्टिक की पारदर्शी थैलियों में यूँ रखे होते हैं जिसमें एक बूँद खून नहीं दिखता मानो ऐसे ही पैदा होते हुए हों. एक बूँद खून देखने को मिल जाये तो सबकी तबियत खराब होने लगती है. खून दिखता है तो फिल्म में या वीडियोगेम पर, जहाँ वह सच्चा नहीं लगता.

5 टिप्‍पणियां:

  1. कमाल है! आप पेशे से डॉक्टर हैं और रक्त से डरते हैं!

    वैसे, कइयों को रक्त देखकर चक्कर खाते गिरते मैंने भी देखा है.

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  2. "सिर धड़ से अलग नहीं होता और उसे फ़िर हाथ से चाकू ले कर काटना पड़ता है"
    इंसानी सर को....
    पढ़ने के साथ कल्पनाएं भी चलती हैं, यह पढ़ते समय साँस भारी हो गई और पाँव में झनझनाहट होने लगी. धन्य हैं ऐसे जल्लाद जो यह काम कर सकते हैं.

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  3. पढ़कर कांप गए हैं.. तो देखना भी चाहेंगे या नहीं? इराक़ी और अलक़ायदा के चरमपंथियों ने सैकड़ों का सर कलम करने की ख़बरे तो आपने सुनी ही होंगी. इसके अलावा भी ऐसे ही अन्य वीभत्स दृश्य देखने के लिए आप यहां जा सकते हैं.

    http://www.ogrish.com/
    http://www.rotten.com/

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  4. नहीं भाई निरज, अपने को खाना भी खाना हैं. इन धर्म के ठेकेदारो के काम देख कर खाया नहीं जाएगा. खुदा अपने इन बन्दो को जन्नत बक्शे, तत्काल.

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  5. बडा भयावय वातावरण निर्मित कर दिया आपने पढते पढते.

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"जो न कह सके" पर आने के लिए एवं आप की टिप्पणी के लिए धन्यवाद.

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