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किताबें पढ़ने वाली औरतें

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आशा पूर्णा देवी के उपन्यास सुवर्णलता की नायका सुवर्ण अच्छी औरत नहीं. सब गलत मलत काम करती है. जब सबके सामने नहीं कर सकती तो छुप कर करती है. समाज में रहना नहीं जानती, उसके नियम नहीं समझती, जब कुछ नहीं मानना चाहती तो उसे चुप रहना नहीं आता. बार बार मार खा कर फ़िर अपनी इच्छा बताने नहीं घबराती. खुला आसमान, बारामदा, खिड़की, सीढ़ियाँ, समुद्र, किताबें, घर से बाहर दुनिया में क्या हो रहा है इसके बारे में जानना सोचना, सब उसकी इच्छाएँ हैं जिनको नहीं स्वीकारा जा सकता, क्योंकि यह सब बातें अच्छे घर की औरतों को शोभा नहीं देती. (सुवर्णलता, आशापूर्णा देवी, अनुवादक हंसकुमार तिवारी, भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली, 2001) "यह नाटक, उपन्यास पढ़ना बंद कराना ज़रुरी है. उसी से सारा अनर्थ घर में आता है." इसलिए प्रबोध ने स्त्री को काली माई की, अपनी कसम दी है. रात की निश्चिंत्ता में समझाया था कि उपन्यास पढ़ने में क्या क्या बुराईयाँ हैं. किन्तु बेहया सुवर्ण उस भयंकर घड़ी में भी एक अदभुत बात बोल बैठी थी. कहा था, "ठीक है, तो तुम भी एक कसम खाओ." "मैं? मैं किस लिए कसम खाऊँ? मैं क्या चोरी में पकड़ा गया हूँ?&q

नाम, रंग, जाति, धर्म में छुपी पहचान

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जिल रोस्सेलीनी की मृत्यु 3 अक्टूबर को सुबह साढ़े चार बजे रोम की अमरीकी अस्पताल में हुई. जिल का जन्म 23 अक्टूबर 1956 को बंबई में हुआ था और उनका नाम रखा गया था अर्जुन. उनके पिता थे कलकत्ता के जाने माने फिल्म निर्माता हरिसाधन दासगुप्ता और माँ थी बिमल राय की परिवार की सोनाली. हरिसाधन और सोनाली का पहले एक बेटा भी था, राजा जो 1952 में पैदा हुआ था. दिसंबर 1956 में इटली के जगप्रसिद्ध फिल्मकार रोबर्तो रोस्सेलीनी (Roberto Rossellini) भारत में फ़िल्म बनाने आये, सोनाली उनके साथ काम कर रही थीं. नौ मास के बाद रोबेर्तो और सोनाली करीब एक वर्ष के अर्जुन यानि जिल को ले कर रोम आ गये, तब भारत में उनके प्रेम को ले कर तुफ़ान चल रहा था, अखबारों में तरह तरह की बातें लिखी जा रही थीं. कुछ महीने बाद पेरिस में रोबेर्तो तथा सोनाली की बेटी राफेल्ला पैदा हुई. उस समय रोबेर्तो रोस्सेलीनी भी विवाहित थे, होलीवुड की प्रसिद्ध अभिनेत्री इंग्रिड बर्गमैन (Ingrid Bergman) के साथ. रोबेर्तो एवं सोनाली की कहानी के बारे में मैंने कुछ महीने पहले जाना जब मैंने दिलीप पदगाँवकर की एक पुस्तक की समीक्षा पढ़ी. सोनाली को अपना बड़ा बेटे राज