रक्त की गंध
केनेडा की पत्रिका वालरस में फेरनांद मेसोनिये का साक्षात्कार निकला है जिन्हें अलजीरिया का अंतिम जल्लाद कहा जाता है और जिन्होंने करीब 200 लोगों को मौत की सजा दी थी. वह मृत्युदँड प्राप्त कैदियों को अपने पिता के साथ गिल्योटीन से मारने का काम करते थे. गिल्योटीन में एक भारी चाकू ऊँचाई से कैदी की गर्दन पर गिराया जाता है ताकि एक ही झटके में सिर धड़ से अलग हो जाये. इस साक्षात्कार में फेरनंद कहते हैं, "खून निकलता है? अरे बहुत खून निकलता है, यह कोई बिजली का करंट देनी वाली कुर्सी नहीं है! पाँच से सात लिटर तक खून निकलता है जब गर्दन कटती है. खून के फुव्वहारे छूटते हैं, दो तीन मीटर दूर तक धार जाकर गिरती है. मानव खून की गंध विषेश होती है, जैसे घोड़े के खून की होती है. घोड़े काटने वाले कसाई के शरीर से जो गंध आती है वह अन्य कसाईयों से नहीं आती. मानव खून को भी तुरंत धोना पड़ता है, नहीं तो बदबू आने लगे. हम गिल्योटीन को भी धोते हैं पर उसपर साबुन नहीं लगाते." जबकि उनके पिता का काम था ऊपर टँगे चाकू को छोड़ना, फेरनांद का काम था कैदी का सिर को कानों से खींच कर रखना, ताकि वह सिर पीछे न खींच सके. हालाँकि कै