पत्नी कल कुछ दिनों के लिए बेटे के पास गई थी और मैं घर पर अकेला था, तभी इस लघु-कथा का प्लॉट दिमाग में आया।
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सुबह नींद खुली तो बाहर अभी भी अंधेरा था। कुछ देर तक फोन पर इमेल, फेसबुक, आदि चैक किये, फ़िर सोचा कि उठ कर कॉफी बना लूँ। नीचे आ रहा था कि सीढ़ी पर पाँव ठीक से नहीं रखा, गिर ही जाता पर समय पर हाथ बढ़ा कर दीवार से सहारा ले लिया, इसलिए गिरा नहीं केवल पैर थोड़ा सा मुड़ गया।
मेरे मुँह से "हाय राम" निकला तो वह बोली, “देख कर चलो, ध्यान दिया करो।"
“ठीक है, सुबह-सुबह उपदेश मत दो", मैंने उत्तर दिया।
“एक दिन ऐसे ही हड्डी टूट जायेगी, फ़िर मेरे उपदेशों को याद करना", उसने चिढ़ कर कहा।
कॉफी पी कर कमप्यूटर पर बैठा तो समय का पता ही नहीं चला। साढ़े आठ बज रहे थे, उसने कहा, “आज सारा दिन यहीं बैठे रहोगे क्या? नहाना-धोना नहीं है?”
“उठता हूँ, बस यह वीडियो पूरा देख लूँ।"
“यह वीडियो कहीं जा रहा है? इसे पॉज़ कर दो, पहले नहा लो, फ़िर बाकी का देख लेना।"
“अच्छा, अच्छा, अभी थोड़ी देर में जाता हूँ, तुम जिस बात के पीछे पड़ जाती हो तो उसे छोड़ती नहीं", मुझे भी गुस्सा आ गया।
“नहाने के बाद तुम्हें दूध और सब्ज़ी लेने भी जाना है", वह मुस्करा कर बोली।
वह बहुत ज़िद्दी है, जब तक अपनी बात नहीं मनवा लेती, चुप नहीं होती, इसलिए अंत में मुझे उठना ही पड़ा। नहा कर निकला ही था कि बन्नू का फोन आ गया।
बोला, “दोपहर को मिल सकता है? गर्मी बहुत हो रही है, कहीं बियर पीने चलते हैं, फ़िर बाहर खाना खा लेंगे।"
मैंने कहा, “नहीं यार, सच में गर्मी बहुत है, दोपहर को बाहर निकलने का मन नहीं कर रहा। शाम को मिलते हैं।"
उसने कहा, “सारा दिन घर पर अकेले बोर हो रहा हूँ, चल न, कहीं गपशप मारेंगे।"
मैं हँसा, बोला, “एक नयी एप्प आई है, जीवनसाथी एप्प, अपने फोन पर डाऊनलोड कर ले, सारा अकेलापन दूर हो जायेगा।"
फोन रखा तो वह बोली, “अपने दोस्त से मेरी इतनी तारीफें कर रहे थे, अब एप्प रिवयू में मुझे पाँच स्टार देना, समझे?”
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