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संजय गाँधी की विरासत

आज के हिंदुस्तान टाईमस अखबार में वीर सिंघवी का आलेख पढ़ा जिसमें उन्होंने वरुण गाँधी को जेल में बंद होने पर भारतीय जनता पार्टी द्वारा पीलीभीत में किये जा रहे दंगा फसाद के बारे में लिखा है. आलेख पढ़ते समय बहुत सी बातें मन में उठ रही थीं. जैसे कि सिंघवी जी को मैंने हमेशा सोनिया, प्रियंका और राहुल गाँधी के परिवार से जुड़े पत्रकार के रूप में देखा है तो सोच रहा था कि किस तरह वह संजय, मेनका और वरुण गाँधी पर वार कर सकते हैं, बाकी के गाँधी परिवार पर बिना कीचड़ उछालें ? क्या पारिवारिक राजनीति की बराई की जा सकती है पर उसके साथ सोनिया, राहुल आदि का नाम न जोड़ा जाये ? आलेख बहुत चतुराई से लिखा गया है, कुछ थोड़ा सा दोष श्रीमति इंदिरा गाँधी पर डाला गया है, बाकि सब दोष संजय, मेनका और वरुण गाँधी पर ही डाला गया है. वरुण गाँधी के राजनीतिक घटियापन के साथ साथ ठगी, गुँडागर्दी, और उनके मोटापे को भी जोड़ा गया है, जबकि सोनिया तथा राहुल गाँधी का नाम सफ़ाई से बचा लिया गया है. मेरे विचार में आज के पत्रकार संघवी जी से बहुत कुछ सीख सकते हैं. वरुण जी का हिंदू धर्म के रक्षक होने के नाटक में मुझे नये धर्मपरिवर्तित क