डिजिटल तस्वीरों के कूड़ास्थल
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एक इतालवी मित्र जो एक म्यूज़िक कन्सर्ट में गये थे, ने कहा कि उन्हें समझ नहीं आता था कि इतने सारे लोग जो इतने मँहगे टिकट खरीद कर एक अच्छे कलाकार को सुनने गये थे, वहाँ जा कर उसे सुनने की बजाय स्मार्ट फ़ोन से उसके वीडियो बनाने में क्यों लग गये थे? उनके अनुसार वह ऐसे वीडियो थे जिनमें उस कन्सर्ट की न तो बढ़िया छवि थी न ध्वनि, और उनके विचार में उन वीडियो को कोई नहीं देखेगा, वह स्वयं भी नहीं। उनकी बात सुन कर मैं इसके बारे में सोच रहा था। मुझे वीडियो बनाने की बीमारी नहीं है, कभी कभार आधे मिनट के वीडियो खींच भी लूँ, पर अक्सर बाद में उन्हें कैंसल कर देता हूँ। लेकिन मुझे भी फोटो खींचना अच्छा लगता है। यह फोटो और वीडियो जो हम हर समय, हर जगह खींचते रहते हैं, यह अंत में कहाँ जाते हैं? क्लाउड पर तस्वीरें कुछ सालों से गूगल, माइक्रोसोफ्ट आदि ने नयी सेवा शुरु की है जिसमें आप अपने मोबाईल या क्मप्यूटर में रखने के बजाय, अपनी डिजिटल फाइल की कॉपी "क्लाउड" यानि बादल पर रख सकते हैं। शुरु में यह सेवा निशुल्क होती है लेकिन जब आप की फाईल का "भार" एक सीमा पार लेता है तो आप को इस सेवा का पैसा देना