लेखक का संसारः लाल्टू
जनवरी 2008 में हैदराबाद में जाने माने हिंदी लेखक और कवि लाल्टू से मुलाकात हुई. उस बातचीत के कुछ अंश जो मैंने रिकार्ड किये थे, वह प्रस्तुत हैं. मैं कविता क्यों लिखता हूँ? बहुत पहले दैनिक भास्कर का एक चंडीगढ़ संस्करण होता था; वहाँ हमारे एक मित्र थे अरुण आदित्य. उन्होंने एक विषेशांक निकाला था कि हम लोग कविता क्यों लिखते हैं. बहुत से लोगों से उन्होंने यह प्रश्न पूछा था. मैंने इस बात पर सोचा तो मुझे लगा कि हम कविताएँ इस लिए लिखते हैं क्योंकि हम जीवन से प्यार करते हैं, हम प्रकृति से प्यार करते हैं, हम आदमी से प्यार करते हैं और प्यार ही हमारे लिए विद्रोह का एक स्वरूप है. मुझे लगता है कि आधुनिकता के जिस संकट में हम लोग फँसे हुए हैं जहाँ जीवन कहीं कई तहों में, कई सतहों में, अनगिनत संकटों में उलझा हुआ है, ऐसे माहौल में प्यार ही ऐसी चीज़ है जो सबसे ज़्यादा संकट में है. किसी तरह, जो दूसरों के प्रति हमारे अंदर जो प्यार की भावना है, उसको अभिव्यक्त कर पायें यह हमारी कविताओं में कोशिश होती है. जब हम किसी राजनीतिक विषय पर भी लिखते हैं, मूलतः हमारे अंदर एक ऐसा शख्स चीख रहा है, जिसे लगातार प्यार की ज़रुरत