एक रुपइया बारह आना
कल कार में "चलती का नाम गाड़ी" फिल्म का यह गीत सुन कर मन में उन दिनों की याद आयी जब पैसों के नाम पाई, धेला, टका और आने होते थे. आज भी कितने पुराने तरीके हैं बोलने के जिनमें वो दिन अभी भी जिंदा हैं. "मैं तुम्हारी पाई पाई चुका दूंगा" या फिर "दो टके का आदमी" और "बात तो सोलह आने सच है", जैसे वाक्य शायद अब लोग कम ही समझते होंगे ? क्या कभी कभी कोई पूछता भी है कि इस तरह के शब्द कहां से आये ? पाई, धेला और टका में से कौन सा बड़ा है और कौन सा छोटा, मुझे नहीं याद. मेरे ख्याल से १९६० के आसपास भारतीय प्रणाली बदल कर रुपये और पैसे वाली बन गयी थी. मुझे कथ्थई रंग का सिक्का जिसके बीच में छेद था और एक आने के चकोर सिक्के की थोड़ी सी याद है. एक आना यानि ६ पैसे, चवन्नी यानि चार आने, अठन्नी यानि आठ आने और सोलह आने का रुपया जिसमें ९६ पैसे होते थे. शायद अब ये शब्द केवल पुराने फिल्मी गानो में ही रह गये हैं, जैसे एक रुपइया बारह आना, आमदन्नी अठन्नी खर्चा रुपइया. हां मन में एक शक सा है. लगता है कि पाई, धेला, टका पंजाब के या उत्तर भारत के शब्द हैं. इन्हें दक्षिण भारत में क्या कह